A late-night meeting by Minister Sudhir Mungantiwar Kosambi BJP-Congress altercation Congress protests outside Mul police station accusing code of conduct violations Maharashtra Assembly Election 2024 Ballarpur Assembly
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कल, 18 नवंबर 2024 की शाम संपूर्ण महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव प्रचार का भोपू थम गया। सभाएं लेने और माइक पर भाषण देने पर पाबंदी लगा दी गई। परंतु चंद्रपुर जिले के मूल तहसील के कोसंबी गांव में रात 12 बजे के दौरान प्रदेश के वनमंत्री एवं जिले के पालकमंत्री तथा भाजपा के वरिष्ठ नेता और बल्लारपुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के प्रत्याशी एक सभा को संबोधित कर रहे थे। कुर्सियां लगाकर तथा माइक से ग्रामीणों को संबोधित करने की सूचना कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को मिलते ही वे सभा स्थल पर पहुंच गये। और सवाल-जवाब, पूछताछ में गहमागहमी हो गई। चुनावी प्रचार का शोर मंगलवार शाम पांच बजे थमने के बाद मंत्री मुनगंटीवार की ओर से देर रात सभा लेने पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने आपत्ति जताते हुए इसे आचार संहिता का उल्लंघन बताया। कांग्रेस के उम्मीदवार संतोषसिंह रावत और उनके कार्यकर्ताओं की भाजपा के आयोजकों के साथ बहस हो गई। साथ ही दोनों नेताओं के बीच भी तीखी बहस हुई। इस दौरान रावत के वाहन चालक द्वारा घटना का वीडियो रिकॉर्ड करने पर मुनगंटीवार के सुरक्षा कर्मियों ने उन्हें पीट दिया। हालात और बिगड़ गए जब मारपीट रोकने आए कांग्रेस के पूर्व नगराध्यक्ष विजय चिमड्यवार को भी सुरक्षा कर्मियों ने पीटा। इसके पश्चात नाराज कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने सभा स्थल पर मौजूद कुर्सियां उठाकर भाजपा कार्यकर्ताओं पर हमला कर दिया। जवाब में भाजपा कार्यकर्ताओं ने भी कुर्सियां उठाईं और दोनों गुटों के बीच जमकर झड़प हुई। इस दंगे के समय पुलिस बंदोबस्त न होने एवं चुनाव अधिकारियों की अनुपस्थिति को लेकर अनेक सवाल उठने लगे हैं।
माइक पर रात 12 बजे क्या कह रहे थे मंत्री मुनगंटीवार ?
चंद्रपुर तक के पास उपलब्ध घटना के एक वीडियो में मंत्री सुधीर मुनगंटीवार का आवाज स्पष्ट रूप से सुना जा सकता है। वे एक सभा को संबोधित कर रहे हैं। 2 मिनट 48 सेकंद के इस वीडियो में मंत्री मुनगंटीवार कहते है कि मैंने शब्द दिया था कि मैं उस दिन आ न सका, लेकिन फिर भी मैं 18 तारीख को रात में निश्चित ही आऊंगा। साधारणत: रात 9, 10 बजे तक आऊंगा यह तय था, लेकिन देरी हुई। ठंड काफी है। परंतु आपने प्रेम व्यक्त किया। इतने रात में आप लोग जाग रहे है। लाड़ली बहनें भी जाग रहे हैं, इसके लिए मैं आप सभी का आभारी हूं। (कार्यकर्ताओं के नारे) आप सभी 20 तारीख को कमल चिन्ह् का बटन दबाकर मुझे मतों के रूप में आशीर्वाद दें, यह विनंती लेकर मैं आप सभी लोगों से मिलने आया हूं। रात का समय होने के कारण बाकी के लोग जगे हुए नहीं है। इसलिए आप लोगों की जिम्मेदारी है कि कल सभी गांव के निवासियों को मेरा संदेश दें। मैं मेरे लिए चुनाव नहीं लड़ रहा हूं, बल्कि इस निर्वाचन क्षेत्र के सर्वांगिन विकास के लिए तथा सभी जाति-धर्म के लोगों को न्याय दिलाने के लिए लड़ रहा हूं। मैं आने के बाद इस निर्वाचन क्षेत्र में साधारणत: 90 प्रतिशत सड़कों का निर्माण कराया है। पीएचसी सेंटर, ग्रामीण अस्पताल, पेयजल योजनाएं, आरओ मशीन आदि। मुझे ग्रामीणों ने सामाजिक सभागृह से लेकर गांव के अंतर्गत सड़कों तक जो जो मांगा गया, वह मैंने देने का प्रयास किया है। आपने यदि देखा होगा कि एक काल ऐसा था कि यहां से यदि भेजगांव से चिंचाला मार्ग से मूल जाना हो तो सभी मार्ग खराब था। (माइक अनियंत्रित होने का आवाज) आज आपने देखा है कि सभी ब्रिजेश ने करवा दिया है। और जो शेष कार्य बचा है, वह भी मैं करवा दूंगा। अभी हमने एक महत्वपूर्ण निर्णय किया है। मूल और पोंभूर्णा के बीच 40 हजार करोड़ का एक उद्योग हम ला रहे हैं। इसमें से प्रत्येक गांव के युवाओं को उचित मौका मिलेगा। लाड़ली बहनों के 1500 को हम 2100 रुपये करने वाले हैं। किसानों का कर्ज माफ करने का निर्णय हुआ है। और किसानों के खातों में हम जो 12000 रुपये डाल रहे हैं, वह राशि बढ़ाकर 15000 रुपये कर दी जाएगी। खेती के मार्ग और सिंचन पर हम अधिक जोर देने वाले हैं। महिला बचत गुटों पर भी विशेष ध्यान देंगे। लेकिन उसके लिए आप लोगों को कमल चिन्ह् का बटन दबाना होगा। अब कुछ लोग बताते है कि मतदान लेने के लिए बकरा काटिये, लेकिन मैं यह काम नहीं करता। कांग्रेस को लोग यह सब करते हैं, क्योंकि वे बाकी के 5 वर्षों में कुछ नहीं करते।
कांग्रेस ने दिया थाने में धरना
रात करीब 3 बजे कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने मूल पुलिस स्टेशन पहुंचकर शिकायत दर्ज कराई और थाने में धरना दे दिया। फिलहाल, पुलिस ने इस मामले में किसी पर कार्रवाई नहीं की है।
राजनीतिक तनाव
चुनावी माहौल के दौरान नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच इस प्रकार की घटनाएं चंद्रपुर के राजनीतिक परिदृश्य को गरमा रही हैं। दोनों दलों के कार्यकर्ताओं के बीच बढ़ती हिंसा से स्थिति और तनावपूर्ण हो गई है। इस घटना ने यह भी सवाल खड़ा किया है कि चुनावी सभाओं के दौरान सुरक्षा और राजनीतिक मर्यादा को बनाए रखना क्यों चुनौती बन गया है। चुनाव आयोग और पुलिस प्रशासन को ऐसी घटनाओं पर सख्त निगरानी रखने की जरूरत है ताकि चुनावी माहौल में शांति बनी रहे। इस झगड़े से यह भी स्पष्ट है कि चुनावी प्रतिस्पर्धा में व्यक्तिगत हमले और हिंसक घटनाएं लोकतांत्रिक मूल्यों को कमजोर कर रही हैं।