चंद्रपुर की 6 कोल वॉशरियों पर राख मिलाकर कोयले की सप्लाई का घोटाला, जिलाधिकारी ने जारी की नोटिस, करोड़ों की कमाई
चंद्रपुर जिले में कोल वॉशरियों की कार्यप्रणाली को लेकर एक बड़ा घोटाला उजागर हुआ है, जिससे प्रशासन में खलबली मच गई है। जानकारी के अनुसार, जिले की छह बड़ी कोल वॉशरियों पर कोयले में राख मिलाकर उसे बिजली उत्पादन केंद्रों एवं अन्य औद्योगिक इकाइयों को आपूर्ति करने का गंभीर आरोप लगा है। इस घोटाले से जुड़ी प्रारंभिक जांच के आधार पर जिलाधिकारी विनय गौड़ा ने इन वॉशरियों को नोटिस जारी कर जांच की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
घोटाले की तह में क्या है?
बताया जा रहा है कि कुछ स्थानीय कोयला व्यापारी, चोरी में लिप्त माफिया और उद्योग से जुड़े प्रभावशाली अधिकारी मिलकर यह गोरखधंधा पिछले कई वर्षों से चला रहे थे। इसमें मुंबई से जुड़े कुछ वरिष्ठ अधिकारी और स्थानीय राजस्व व औद्योगिक विभागों के लोग भी संलिप्त बताए जा रहे हैं।
यह पूरा रैकेट इस प्रकार संचालित होता था कि औद्योगिक इस्पात कंपनियों से खरीदी गई राख को गांवों के खेतों में इकट्ठा कर वॉशरियों में कोयले में मिलाया जाता था। फिर इस मिश्रित कोयले की आपूर्ति महाराष्ट्र के महाऔष्णिक वीज केंद्र (थर्मल पावर स्टेशन) और निजी बिजली कंपनियों को की जाती थी।
नोटिस प्राप्त करने वाली वॉशरियाँ:
गुप्ता कोल वॉशरी – उसेंगाव, विठ्ठलवाडा और गौरी यूनिट्स
जांच के प्रमुख बिंदु:
क्या इन वॉशरियों के पास राजस्व विभाग की वैध अनुमति थी?
क्या वॉशरियों द्वारा पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन कर प्रदूषण फैलाया गया?
क्या वाकई कोयले में जानबूझकर राख मिलाई गई और उसकी आपूर्ति महत्त्वपूर्ण बिजली परियोजनाओं को की गई?
प्रशासन की प्रतिक्रिया:
जिलाधिकारी विनय गौड़ा ने स्पष्ट किया है कि मामले की गहन जांच अतिरिक्त जिलाधिकारी द्वारा की जा रही है और जांच रिपोर्ट शासन को सौंपी जाएगी। वहीं, एक कोल वॉशरी के प्रबंधक ने गुमनाम रहते हुए बताया कि उन्हें नोटिस मिल चुका है और आवश्यक जानकारी प्रशासन को दे दी गई है।
यह मामला न केवल औद्योगिक अनियमितता का उदाहरण है, बल्कि यह दर्शाता है कि कैसे कुछ व्यापारी और अधिकारी मिलकर ऊर्जा क्षेत्र की बुनियादी संरचना को नुकसान पहुँचा सकते हैं। इस कृत्य से जहां सरकारी परियोजनाओं को वित्तीय नुकसान हो सकता है, वहीं आम जनता को मिलने वाली बिजली की गुणवत्ता और उपलब्धता पर भी असर पड़ सकता है। यदि आरोप सिद्ध होते हैं, तो यह पूरे राज्य के कोयला व्यापार की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करेगा।
