A Rare Celestial Event on Shivaji Jayanti Nature Pays Tribute as Winds Clear Restrictions! छत्रपति शिवाजी महाराज केवल महाराष्ट्र ही नहीं, बल्कि पूरे भारत के लिए वीरता, न्याय और प्रशासनिक कुशलता के प्रतीक हैं। उनकी शौर्यगाथा सुनकर कई पीढ़ियाँ बड़ी हुई हैं, और आज भी उनके नाम का जयघोष करने से युवा से लेकर वृद्ध तक का हृदय जोश से भर उठता है। लेकिन इस बार एक अनोखी घटना ने शिवभक्तों को असीम आनंद दिया—एक ऐसी घटना, जिसे कुछ लोगों ने परमात्मा का चमत्कार माना तो कुछ ने इसे प्रकृति द्वारा शिवराय को दिया गया सम्मान कहा।
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शिवराय के पुतले को प्रशासन ने किया था ढँकने का प्रयास
चंद्रपुर जिले के गोंडपिपरी तालुका स्थित सकमूर गाँव में श्रद्धालु ग्रामीणों ने अपने प्रिय राजा शिवाजी महाराज की पूर्णाकृति प्रतिमा स्थापित की। हालाँकि, गाँव की कुछ प्रशासनिक जटिलताओं के चलते इस प्रतिमा पर विवाद खड़ा हो गया। कुछ लोगों ने प्रशासन को साथ लेकर इसे ‘अनधिकृत’ बताने का प्रयास किया, जिसके परिणामस्वरूप प्रशासन ने शिवाजी महाराज की प्रतिमा को कपड़े से ढँक दिया।
शिवभक्तों की नाराजगी और विरोध
गाँव के नागरिक इस फैसले से बेहद आहत हुए। उन्होंने प्रशासन पर शिवराय का अपमान करने का आरोप लगाया और जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपकर तुरंत प्रतिमा से पर्दा हटाने की माँग की। उनका कहना था कि शिवाजी महाराज किसी व्यक्ति विशेष की संपत्ति नहीं, बल्कि संपूर्ण राष्ट्र के गौरव हैं।
प्रकृति ने खुद किया शिवराय का सम्मान
शिवजयंती से एक दिन पहले, सोमवार को अचानक गाँव में तेज़ आँधी चली। इस तेज़ हवा ने प्रशासन द्वारा डाले गए कपड़े को हटा दिया और देखते ही देखते शिवाजी महाराज का तेजस्वी मुखमंडल और उनकी तलवार फिर से दिखने लगी। गाँव के लोगों ने इस घटना को आस्था का प्रतीक मानते हुए इसे निसर्ग (प्रकृति) द्वारा शिवराय को दिया गया ‘सलाम’ कहा।
शिवभक्तों में उमंग और हर्ष
गाँव में इस घटना के बाद से ही शिवभक्तों में नया जोश और उत्साह है। वे इसे शुभ संकेत मान रहे हैं और मानते हैं कि उनके प्रिय राजा का सम्मान कोई छीन नहीं सकता। इस घटना ने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं, वहीं लोगों में शिवभक्ति की भावना को और प्रबल कर दिया है।
शिवजयंती का उल्लास: संपूर्ण महाराष्ट्र में उत्सव का माहौल
आज पूरे महाराष्ट्र ही नहीं, बल्कि देशभर में शिवजयंती की धूम मची हुई है। शिवभक्त अपने नायक की जयंती को धूमधाम से मना रहे हैं। गाँव के लोग अब खुली प्रतिमा के समक्ष पूजा-अर्चना कर रहे हैं और इस ऐतिहासिक दिन को भव्य बनाने की तैयारियों में जुटे हैं।
शिवाजी महाराज केवल एक ऐतिहासिक व्यक्तित्व नहीं हैं, बल्कि वे हर भारतीय के हृदय में वीरता, स्वाभिमान और कर्तव्यपरायणता की जीवंत प्रेरणा हैं। उनका सम्मान केवल मानवों तक सीमित नहीं है, बल्कि इस बार प्रकृति ने भी उन्हें नमन कर दिया!