आज जब समाज अनेक प्रकार की धार्मिक, जातीय और सामाजिक विभाजनों से जूझ रहा है, ऐसे में यदि कोई घटना आपसी सौहार्द और एकता का संदेश दे, तो वह निश्चित ही अनुकरणीय बन जाती है। वणी शहर के ‘जन्नत सेलेब्रेशन’ में हाल ही में संपन्न हुई एक शादी ने ऐसा ही उदाहरण प्रस्तुत किया है, जो न केवल समाज को एकता का पाठ पढ़ाती है, बल्कि “वसुधैव कुटुम्बकम्” की भावना को भी सजीव करती है।
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यह अनोखी शादी एक प्रतिष्ठित ब्राह्मण व्यवसायी सुनील बाम की एकलौती बेटी राधा की थी। विशेष बात यह रही कि उन्होंने इस विवाह का आयोजन अपने मुस्लिम मित्र मिनाज के वणी स्थित समारोह स्थल ‘जन्नत सेलेब्रेशन’ में किया। इस आयोजन स्थल का चयन केवल स्थान की सुविधा या मित्रता के कारण नहीं, बल्कि एक गहरी भावनात्मक और सामाजिक सोच को दर्शाता है — कि धर्म कभी भी इंसानियत से ऊपर नहीं हो सकता।
इस शादी की दूसरी विशेषता यह रही कि विवाह भोज की संपूर्ण व्यवस्था जैन समुदाय के मित्र भांडारी रसोइयों द्वारा की गई थी। यह समावेश तीन प्रमुख समुदायों — ब्राह्मण, मुस्लिम और जैन — का ऐसा संगम बन गया, जिसमें एक ओर परंपराओं का सम्मान था, तो दूसरी ओर समावेशी सोच का आदर्श उदाहरण।
आज के समय में जहाँ धार्मिक असहिष्णुता की खबरें अक्सर समाज को विचलित करती हैं, वहीं इस विवाह समारोह ने यह साबित कर दिया कि धर्म और संस्कृति का उद्देश्य विभाजन नहीं, बल्कि जोड़ना होना चाहिए। सुनील बाम, मिनाज और जैन रसोइयों की यह त्रिविध भागीदारी एक ऐसी मिसाल बन गई है, जो आने वाले समय में सद्भाव और समरसता के कई दरवाज़े खोल सकती है।
यह विवाह समारोह केवल एक पारिवारिक आयोजन नहीं रहा, बल्कि यह एक सामाजिक संदेश बन गया — कि यदि इच्छाशक्ति हो, तो विभिन्नता में भी एकता की भावना को साकार किया जा सकता है। यह आयोजन आज चारों ओर चर्चा का विषय बना हुआ है और इसका कारण केवल उसकी भव्यता नहीं, बल्कि उसके पीछे की भावना है — सर्व धर्म सद्भावना।
समाज को इस विवाह से यह सीखने की आवश्यकता है कि मज़हब चाहे कोई भी हो, दिलों का रिश्ता सबसे बड़ा होता है। यदि हम एक-दूसरे के रीति-रिवाज़ों का सम्मान करते हुए साथ चलें, तो एक सुंदर, शांतिपूर्ण और समरस समाज की रचना संभव है।
वणी में हुआ यह विवाह समारोह एक ऐसा दीपक है, जो अंधकार में रोशनी बनकर समाज को राह दिखा रहा है। यह एक उदाहरण है, जिसे दोहराने की आवश्यकता है — ताकि आने वाली पीढ़ियाँ एक बेहतर, अधिक सहिष्णु और प्रेमपूर्ण भारत में साँस ले सकें।