A heartwarming adoption story where a Swedish couple gives a new life to a child abandoned in Chandrapur. Discover how love transcended borders, creating a beautiful bond between India and Sweden!
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अनाथ और परित्यक्त बच्चों को दत्तक लेने की प्रक्रिया भारत में एक संवेदनशील विषय है, लेकिन शारीरिक या मानसिक रूप से दिव्यांग बच्चों को अपनाने का साहस बहुत कम लोग करते हैं। हालांकि, स्वीडन के एक निःसंतान दंपति ने इस सोच को बदला और एक विशेष आवश्यकता (स्पेशल नीड्स) वाले बच्चे को अपनाने का अनोखा निर्णय लिया।
स्वीडन निवासी रिकार्ड टोबायस हेडबर्ग और मारिया एलिज़ाबेथ विक्टोरिया एरिक्सन नामक इस दंपति ने भारत के चंद्रपुर जिले से एक दिव्यांग बच्चे को कानूनी रूप से गोद लिया और अब वे उसे अपने साथ स्वीडन ले जाने की तैयारी कर रहे हैं।
कानूनी प्रक्रिया पूरी, चंद्रपुर जिला न्यायालय से मिली मंजूरी
इस गोद लेने की प्रक्रिया को केंद्रीय दत्तक नियमावली 2022 और बाल न्याय (बालकों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम 2015 के तहत पूरा किया गया। चंद्रपुर जिला न्यायालय ने इस दत्तक प्रक्रिया को स्वीकृति दी, जिसके बाद 11 फरवरी को एक विशेष विदाई समारोह का आयोजन किया गया।
जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी दीपक बानाईत के हाथों इस बच्चे को उसके नए माता-पिता को सौंपा गया। इस अवसर पर किलबिल दत्तक संस्थान की संस्थापक प्रभावती मुठाळ, उपाध्यक्ष वंदना खाडे, प्रो. डॉ. विद्या बांगड़े, हेमंत कोठारे और अन्य कर्मचारी उपस्थित रहे।
बाल संरक्षण और दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया
अनाथ, छोड़े गए और परित्यक्त बच्चों की सुरक्षा जिला बाल संरक्षण कक्ष और चाइल्ड हेल्पलाइन (1098) के माध्यम से की जाती है। किलबिल दत्तक योजना संस्थान इस कार्य में सक्रिय रूप से योगदान देता है, जहां बच्चों की देखभाल और पुनर्वास किया जाता है।
बाल कल्याण समिति (CWC) इन बच्चों को दत्तक प्रक्रिया के लिए कानूनी रूप से मुक्त करती है। इच्छुक माता-पिता महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट cara.wcd.gov.in पर जाकर CARA पोर्टल के माध्यम से पंजीकरण कर सकते हैं और दत्तक ग्रहण प्रक्रिया में भाग ले सकते हैं।
पालक बनने के तीन प्रमुख विकल्प
भारत सरकार ने दत्तक ग्रहण प्रक्रिया को अधिक सरल और व्यापक बनाने के लिए तीन प्रकार के गोद लेने के विकल्प प्रदान किए हैं:
1. अनाथ बच्चों को गोद लेना – वे बच्चे जिन्हें उनके जन्म माता-पिता ने छोड़ दिया है।
2. रक्त संबंधियों में दत्तक ग्रहण (किनशिप अडॉप्शन) – परिवार के भीतर किसी बच्चे को कानूनी रूप से गोद लेना।
3. प्रतिपालक (फॉस्टर) दत्तक ग्रहण – ऐसे बच्चे जिन्हें अस्थायी रूप से किसी परिवार के संरक्षण में रखा जाता है।
कैसे लें दत्तक ग्रहण की अधिक जानकारी?
जो भी इच्छुक माता-पिता बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया को समझना चाहते हैं, वे अपने जिले के महिला एवं बाल विकास अधिकारी कार्यालय या जिला बाल संरक्षण कक्ष से संपर्क कर सकते हैं। चंद्रपुर के किलबिल दत्तक संस्थान भी इस प्रक्रिया में सहायता करता है।
इसके अलावा, अधिक जानकारी के लिए चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 पर कॉल कर सकते हैं।
स्वीडन के इस दंपति ने यह साबित कर दिया कि माता-पिता बनने का अधिकार सिर्फ जैविक संबंधों तक सीमित नहीं होता। उनके इस साहसिक कदम ने एक विशेष आवश्यकता वाले बच्चे को न सिर्फ एक नया घर दिया, बल्कि उसे एक नया जीवन भी प्रदान किया। यह प्रेरणादायक कहानी न केवल अन्य इच्छुक दत्तक माता-पिता को प्रोत्साहित करती है, बल्कि समाज में परित्यक्त और विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाने का भी कार्य करती है।