बीते 8 वर्षों से लगातार जारी ‘सर्वधर्मीय महाआरती’ की परंपरा में इस वर्ष एक खलल पड़ गया। भाजपा समर्थकों की ओर से आयोजित होने वाले हर वर्ष के सर्वधर्म समभाव महाआरती में इस बार भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं जिले के पालकमंत्री सुधीर मुनगंटीवार किन्हीं कारणों से उपस्थित नहीं हो पाएं।
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सामाजिक एकता का संदेश देने वाली इस महाआरती में हर साल वे प्रमुखता से उपस्थित रहकर घुग्घुसवासी भाजपाइयों का हौसला बढ़ाते रहे हैं। परंतु इस वर्ष उनकी कमी खल गई। 15 सितंबर 2024 को शाम साढ़े 6.30 बजे घुग्घुस के गांधी चौक परिसर में जय श्रीराम गणेश मंडल की ओर से आयोजित हुए इस कार्यक्रम में उनकी अनुपस्थिति को लेकर अनेक भाजपा कार्यकर्ताओं व समर्थकों में नाराजगी दिखाई पड़ रही है।
ज्ञात हो जिले कि औद्योगिक नगरी घुग्घुस शहर में हर वर्ष सर्वधर्मीय महाआरती का आयोजन गणेशोत्सव के दौरान किया जाता है। इस वर्ष भी उक्त आयोजन को लेकर भाजपा समर्थकों में काफी उत्साह था। प्रमुख अतिथि के तौर पर बीते 8 वर्षों की तरह ही इस बार भाजपा नेता सुधीर मुनगंटीवार को आमंत्रित किया गया। बाकायदा इसके पोस्टर सोशल मीडिया पर भी वायरल किये गये। इस महाआरती की परंपरा में हर साल मंत्री मुनगंटीवार के अलावा जिले के कलेक्टर, जिला पुलिस अधीक्षक के अलावा क्षेत्र के विभिन्न उद्योगों के प्रमुख अधिकारियों के साथ-साथ शहर के हिंदू, मुस्लिम, सिख, इसाई, बौद्ध आदि धर्मों के धर्म गुरू प्रमुखता से शामिल होकर सामाजिक एकता का संदेश दिया करते थे। इस समय भाजपा के तमाम वरिष्ठ नेतागण भी उपस्थित रहते थे। लेकिन अचानक इस बार मंत्री मुनगंटीवार की अनुपस्थिति को लेकर भाजपा समर्थकों में नाराजगी का माहौल बना हुआ है। क्योंकि हर साल मंत्री मुनगंटीवार स्वयं यहां आरती किया करते थे।
बताया जाता है कि इस बार वे मूल के एक मंदिर में प्राणप्रतिष्ठा समारोह में व्यस्त रहे, इसके चलते वे घुग्घुस नहीं पहुंच पाएं। कुछ लोगों में चर्चा यह भी है कि मंत्री मुनगंटीवार घुग्घुस के भाजपाईयों से बीते अनेक दिनों से नाराज चल रहे हैं। कहा जा रहा है कि हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में जहां कांग्रेस उम्मीदवार प्रतिभा धानोरकर को 9 हजार 663 वोट मिले थे, वहीं सुधीर मुनगंटीवार को केवल 4 हजार 844 ही वोट मिल पाएं थे।
जबकि घुग्घुस को एक समय में भाजपा का गढ़ समझा जाता रहा है। यहां भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष देवराव भोंगले, भाजपा के जिला महामंत्री विवेक बोढे और पूर्व जिप सभापति ब्रिजभूषण पाझारे जैसे अनेक नेताओं का यह कार्यक्षेत्र होने के बावजूद वे अपने वरिष्ठ नेता अर्थात मुनगंटीवार के लिए पर्याप्त वोट तक नहीं दिला सकें।
आश्चर्य तो इस बात का है कि जिस वार्ड में देवराव भोंगले रहते हैं, उस वार्ड के वोट भी भाजपा के झोली में नहीं जा सकें। इस नाकामी को लेकर शायद मुनगंटीवार स्वयं भी घुग्घुस के भाजपा नेताओं से खफा है। बात चाहे जो भी लेकिन मंत्री मुनगंटीवार का महाआरती में शामिल न होना आम कार्यकर्ताओं के लिए भी निराशा का कारण बन गया है। हो सकता है कि मंत्री मुनगंटीवार अपने किसी निजी और जरूरी काम के चलते महाआरती में शरिक नहीं हो पाएं हो, परंतु उनकी उपस्थिति भाजपाइयों में जोश भरने के लिए आवश्यक मानी जा रही है।