महाराष्ट्र सरकार ने हाल ही में पूरे राज्य में मानव-वन्यजीव संघर्ष रोकने के लिए AI तकनीक को दी मंजूरी, जबकि ताडोबा में यह प्रयोग 2023 से ही हो रहा है; 16 गांवों में मौतों में आई बड़ी कमी
महाराष्ट्र में मानव-वन्यजीव संघर्ष की समस्या लगातार गंभीर होती जा रही है, खासकर चंद्रपुर जिले में, जहां राज्यभर में सबसे अधिक ऐसे टकराव होते हैं। हाल ही में राज्य सरकार ने इस संकट को रोकने के लिए AI पर आधारित उपायों को लागू करने का निर्णय लिया है। लेकिन इससे पहले ही चंद्रपुर जिले के Tadoba-Andhari Tiger Reserve क्षेत्र में 2023 से इस दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल की जा चुकी है — AI आधारित आभासी दीवार (Virtual Wall) की स्थापना।
इस तकनीकी प्रयोग ने वन्यजीवों की घुसपैठ पर नजर रखने और समय रहते चेतावनी देने में जबरदस्त कामयाबी हासिल की है। इससे ग्रामीणों और वनविभाग को सतर्क होकर संघर्ष टालने में मदद मिली है।
AI से बनी आभासी दीवार: संघर्ष पर पहला वार
2023 में वन विभाग ने ताडोबा बफर जोन के 16 गांवों में आभासी दीवार (Virtual Wall) तकनीक लागू की। इसका मकसद था — जब भी कोई बाघ, तेंदुआ या भालू मानवी बस्तियों की ओर बढ़े, तो तत्काल चेतावनी दी जाए। परिणामस्वरूप, वन्यजीवों की गतिविधियों के 9,267 अलर्ट दर्ज किए गए:
🐅 टाइगर : 4,588 बार
🐆 लीपर्ड : 2,367 बार
🐻 भालू : 2,322 बार
इनमें से कई बार इन जानवरों ने बफर क्षेत्र की बस्तियों में प्रवेश करने की कोशिश की, लेकिन AI अलर्ट सिस्टम से गांव वाले और वन अधिकारी समय रहते सक्रिय हो गए, जिससे संघर्ष और जानमाल की हानि टल गई।
वास्तविक परिणाम: मौतों में भारी गिरावट
2019 से 2023 के बीच इन 16 गांवों में 8 लोगों की जान गई थी। परंतु AI आधारित आभासी दीवार (Virtual Wall) के लागू होने के बाद दो वर्षों में केवल 1 मौत हुई — यह खुद में एक बड़ा संकेत है कि तकनीक सही दिशा में काम कर रही है।
कौन-कौन से गांवों में हुआ प्रयोग?
प्रमुख 16 गांवों में यह AI तकनीक लागू की गई:
सीताराम पेठ, काटवन, पडझरी, भादुर्णा-1, मारोड, रत्नापूर, कुकडहेटी, वासेरा, मोहाबाडी, खटेरा, वायगाव, चक निंबाडा, शिओनी, बेलारगाव, विहीरगाव और मदनापूर।
इनमें सीताराम पेठ में सबसे अधिक 2,269 अलर्ट मिले — जिनमें 1,018 बाघ, 434 तेंदुआ और 817 भालू से जुड़े थे। वहीं भादुर्णा-1 गांव में अकेले 1,454 वाघों की उपस्थिति दर्ज की गई।
यह प्रयोग दर्शाता है कि यदि तकनीक का सही दिशा में उपयोग किया जाए, तो प्राकृतिक पारिस्थितिकी और मानव जीवन के बीच संतुलन स्थापित किया जा सकता है। AI आधारित (Virtual Wall) न केवल समय रहते चेतावनी देती है, बल्कि लोगों की जान भी बचा रही है।
अब जब राज्य सरकार ने पूरे महाराष्ट्र में इस मॉडल को अपनाने का फैसला किया है, तब ताडोबा का यह केस स्टडी पूरे देश के लिए एक प्रेरणास्रोत बन सकता है।
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