चंद्रपुर जिले से एक बड़ी खबर सामने आई है। बाघ के शिकार में कुख्यात बहेलिया गिरोह के सरगना अजित राजगोंड को राजुरा तालुका से गिरफ्तार कर लिया गया है। वन विभाग और पुलिस को शक है कि मध्यप्रदेश के इस गिरोह ने 2013 से 2015 के बीच विदर्भ क्षेत्र में कम से कम 19 बाघों का शिकार किया है।
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जांच में खुलासा हुआ है कि अजित और उसके दो भाई, केरू और कुट्टू, इस गिरोह के प्रमुख मास्टरमाइंड थे। वाइल्डलाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो ने 2015 में अजित को तिरुपति से गिरफ्तार किया था। सीबीआई द्वारा जांच के बाद उसे दोषी ठहराकर सजा सुनाई गई। हालांकि, वह सितंबर 2024 में जमानत पर जेल से बाहर आ गया था।
अजित जैसे कुख्यात तस्कर का चंद्रपुर में पाया जाना वन विभाग के लिए चिंता का कारण बन गया है। अब सवाल उठ रहा है कि वह इस क्षेत्र में कब से था? क्या उसने यहां फिर से बाघों का शिकार किया? उसके गिरोह के कितने सदस्य अब भी सक्रिय हैं? इन सभी पहलुओं की गहन जांच की जा रही है।
महाराष्ट्र में बहेलिया शिकारी फिर हुए सक्रिय
महाराष्ट्र में एक बार फिर बहेलिया शिकारी सक्रिय हो गए हैं, जो मध्यप्रदेश के कटनी इलाके से आते हैं। ये वही शिकारी हैं, जिन्होंने महाराष्ट्र के मेलघाट जंगल क्षेत्र में 19-20 बाघों का शिकार किया था। इस बार वन विभाग ने बहेलिया शिकारी गैंग के सरगना अजित राजगोंड को चंद्रपुर जिले के राजुरा क्षेत्र से गिरफ्तार किया है। इस घटना के बाद राज्य सरकार ने पूरे राज्य में “रेड अलर्ट” जारी कर दिया है।
मेलघाट के बाघों का भयानक अंत
2013 से 2016 के बीच अमरावती जिले के मेलघाट जंगल क्षेत्र में बाघों का बड़े पैमाने पर शिकार किया गया। उस वक्त घटांग से शुरू हुई इस जांच में पता चला कि बहेलिया शिकारी गैंग ने 19 से ज्यादा बाघों का शिकार किया। पर्यावरण संगठनों ने दावा किया कि असल में शिकार किए गए बाघों की संख्या इससे भी ज्यादा थी। वन विभाग ने बड़ी कार्रवाई करते हुए इस दौरान करीब 150 शिकारी और आरोपियों को गिरफ्तार किया। यह सभी शिकारी मध्यप्रदेश के बहेलिया समुदाय से ताल्लुक रखते थे।
केरू और कुट्टू: गैंग के सदस्य और परिवार का रोल
केरू, कुट्टू और अजित, तीनों भाई शिकार में माहिर थे। केरू की पत्नी भी इस काले धंधे में शामिल थी। हालांकि, केरू अब तक पुलिस और वन विभाग के हाथ नहीं आया है। उसने “राष्ट्रपति” नाम के एक प्रसिद्ध बाघ का शिकार पवनी डैम क्षेत्र में किया था।
अजित की वर्तमान गिरफ्तारी और खुलासे
25 जनवरी 2025 को महाराष्ट्र वन विभाग ने अजित को गिरफ्तार कर लिया। उसकी पूछताछ के दौरान मोबाइल में 20 लाख रुपये के लेन-देन का खुलासा हुआ। यह सौदा बाघों के अवयवों से जुड़ा हुआ हो सकता है। इस जानकारी से यह आशंका बढ़ गई है कि हाल में 4-5 बाघों का शिकार किया गया है।
बाघों के अवयवों की अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत
बताया जाता है 2012-13 में एक बाघ की खाल लगभग 5 लाख रुपये में बिकती थी। वर्तमान समय में यह कीमत 15 लाख रुपये तक पहुंच गई है। बाघ की हड्डियां भी 12-15 लाख रुपये में बेची जाती हैं। इस तरह एक बाघ के अंगों की कुल कीमत अब 25 लाख रुपये तक होती है।
वन्यजीवों के शिकार पर कड़ी कार्रवाई और मजबूत कानून व्यवस्था की आवश्यकता स्पष्ट है। बाघ जैसी लुप्तप्राय प्रजातियों की सुरक्षा करना न केवल पर्यावरणीय संतुलन के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमारी नैतिक जिम्मेदारी भी है।