चंद्रपुर जिले की खासकर बल्लारपुर और वरोरा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में डॉक्टरों की सक्रियता बढ़ जाने के कारण अब मतदाताओं में भी हलचलें तेज हो गई है। ‘Doctor साहब ! वोट ले लीजिये, लेकिन विकास की बीमारी को ठीक कीजिए’ ! यह वाक्य अब उन मतदाताओं को यह कहने की नौबत आ गई है जो राजनीतिक दलों के नेताओं के अपूर्ण वादों, खोखले विकास और राजनीतिक जुमलों से परेशान हो चुके हैं। वर्तमान विधायकों को राजनीतिक पटखनी देने के लिए फिलहाल 6 डॉक्टरों के आगामी विधानसभा चुनावों में उम्मीदवार बनने की चर्चा ने यहां के राजनेताओं की नींद उड़ा दी है। Chandrapur Politics
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डॉक्टरों की राजनीति में बढ़ती सक्रियता
बल्लारपुर और वरोरा विधानसभा (Ballarpur-Warora Assembly) क्षेत्रों में आगामी चुनाव के लिए डॉक्टरों की बढ़ती सक्रियता ने राजनीतिक माहौल में हलचल पैदा कर दी है। जहां पहले से ही महाविकास अघाड़ी (Mahavikas Agadi) और बीजेपी (BJP) जैसी प्रमुख पार्टियों के बीच प्रतिस्पर्धा थी, अब इन सीटों पर डॉक्टरों के उभरने से नई तरह की लड़ाई शुरू हो गई है। यह एक असामान्य दृश्य है, जहां डॉक्टर अपने पेशे की सीमाओं से बाहर निकलकर राजनीति में नई संभावनाएं तलाश रहे हैं।
महाविकास अघाड़ी (MVA) की चुनौती और अंतर्कलह
महाविकास अघाड़ी के घटक दलों, (Congress) कांग्रेस, शिवसेना (Shivsena) (उद्धव ठाकरे गुट) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) (शरद पवार गुट), के बीच सीटों पर दावेदारी को लेकर मतभेद हैं। Ballarpur Assembly सीट पर कोई स्पष्ट निर्णय न होने से पार्टी के भीतर खींचतान जारी है। वहीं, डॉक्टरों की दावेदारी ने इस प्रतिस्पर्धा को और अधिक चुनौतीपूर्ण बना दिया है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के जिला अध्यक्ष Dr. Sanjay Ghate और Dr. Vishwas Zade जैसे डॉक्टरों ने अपने चुनावी प्रयास शुरू कर दिए हैं। Dr. Abhilasha Gavture, जो हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुई हैं, भी इस दौड़ में शामिल हैं और धार्मिक व सामाजिक उपक्रमों के माध्यम से जनाधार बना रही हैं।
वरोरा विधानसभा में डॉक्टरों की ताकतवर उपस्थिति
वरोरा विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस सांसद प्रतिभा धानोरकर (MP Pratibha Dhanorkar) सीट को कांग्रेस के पास बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं, लेकिन शिवसेना से भी इस सीट पर दावा जताया जा रहा है। इस बीच, Doctor Chetan Khutemate, Dr. Sagar Vaze और Dr. Hemant Khapne जैसे उम्मीदवार भी विभिन्न राजनीतिक दलों से टिकट की मांग कर रहे हैं। डॉ. चेतन खुटेमाटे ने स्वास्थ्य शिविरों के माध्यम से अपनी पहचान बनाई है और “चलो बदलाव लाएं” अभियान के तहत अपनी सक्रियता बढ़ाई है। उनका उद्देश्य चुनाव जीतकर विकास के मुद्दों को सुलझाना है।
डॉक्टरों की सामाजिक और राजनीतिक छवि
डॉक्टरों की चुनावी राजनीति में एंट्री से यह सवाल उठता है कि क्या वे केवल अपने पेशे के बल पर विधायक बनना चाहते हैं या समाज में उनका योगदान वास्तव में असरकारी रहा है। कुछ डॉक्टर, जिन्होंने समाजसेवा में वर्षों से काम किया है, अब राजनीति के माध्यम से विकास के कार्यों को गति देना चाहते हैं। वहीं, कुछ ऐसे डॉक्टर भी हैं जिनकी समाज में कोई खास भूमिका नहीं रही है और वे केवल अपने पेशे से मिले प्रभाव के बल पर चुनाव जीतने का प्रयास कर रहे हैं।
वरोरा और बल्लारपुर विधानसभा क्षेत्रों में डॉक्टरों की बढ़ती सक्रियता आगामी चुनावों को दिलचस्प और चुनौतीपूर्ण बना रही है। महाविकास अघाड़ी के घटक दलों के बीच आपसी प्रतिस्पर्धा और डॉक्टरों की एंट्री से चुनावी मैदान में नई संभावनाओं का उदय हुआ है। जनता के लिए अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि कौन सा उम्मीदवार विकास की दिशा में ठोस कदम उठाएगा और कौन केवल राजनीतिक खेल में शामिल होगा।