गोंडपिपरी के खराळेपठ का लाल बना देश के प्रतिष्ठित अनुसंधान संस्थान का हिस्सा, संघर्ष से रचा सफलता का इतिहास
Chaturbhujam Nagapure BARC Scientist Chandrapur’s Pride “यदि संकल्प सच्चा हो, मेहनत अथक हो और धैर्य अडिग हो, तो कोई मंज़िल दूर नहीं होती।” यह बात चरितार्थ की है चंद्रपुर जिले के छोटे से गांव खरालेपट के चर्तुभूजम मनोहर नागापूरे ने। साधारण किसान परिवार से आने वाले इस युवक ने अब देश के प्रतिष्ठित भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (BARC), मद्रास में सहायक वैज्ञानिक अधिकारी के पद पर नियुक्ति प्राप्त कर ली है।
इस शानदार उपलब्धि के बाद न केवल उसके माता-पिता बल्कि पूरे गांव में जश्न का माहौल है। फटाकों की गूंज, मिठाईयों की बौछार और ढोल-ताशों के साथ गांव में उसका स्वागत किया गया। एक ऐसे समय में जब युवा शॉर्टकट की तलाश में रहते हैं, चर्तुभूजम ने अपनी मेहनत, लगन और धैर्य से यह सिद्ध कर दिया कि सफलता का कोई विकल्प नहीं होता।
ग्रामीण पृष्ठभूमि से लेकर विज्ञान के उच्च शिखर तक
गोंडपिपरी तहसील के पास स्थित खरालेपट गांव में जन्मे और पले-बढ़े चर्तुभूजम का शैक्षणिक सफर बहुत प्रेरणादायी है। उसने अपनी प्राथमिक शिक्षा गांव के स्कूल में प्राप्त की और बारहवीं तक की पढ़ाई जनता विद्यालय, गोंडपिपरी से पूरी की। उच्च शिक्षा के लिए शहर जाने का अवसर होते हुए भी उसने चिंतामणी महाविद्यालय, गोंडपिपरी से ही बीएससी पूरी की।
इसके बाद वह नागपुर गया, जहाँ उसने राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज विश्वविद्यालय से एमएससी की डिग्री प्राप्त की। वहीं से उसकी वैज्ञानिक यात्रा को गति मिली। इसी दौरान जब भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर ने वैज्ञानिक सहायक अधिकारी पद के लिए अधिसूचना जारी की, तब चर्तुभूजम ने आवेदन किया और पूरे समर्पण के साथ परीक्षा की तैयारी की। हाल ही में घोषित परिणाम में उसका चयन हो गया।
संघर्षों से भरी राह लेकिन इरादों में न था कोई झोल
चर्तुभूजम के पिता मनोहर नागापूरे पुलिस विभाग में कार्यरत थे और कुछ वर्ष पूर्व सेवा से निवृत्त हुए। वे अब पत्नी सुलता नागापूरे के साथ गांव की सात एकड़ खेती संभालते हैं। तीन भाइयों में सबसे छोटा चर्तुभूजम बचपन से ही पढ़ाई में मेधावी था। उसके माता-पिता का कहना है कि उन्होंने हमेशा उसे मेहनत और ईमानदारी का पाठ पढ़ाया, और आज उसका फल पूरे परिवार को मिला है।
प्रेरणा बन गया ‘चर्तुभूजम मॉडल’
चर्तुभूजम नागापूरे की कहानी आज चंद्रपुर जिले के युवाओं के लिए एक प्रेरणा बन चुकी है। ग्रामीण क्षेत्र से निकलकर विज्ञान की ऊँचाइयों को छूने वाला यह युवा न सिर्फ एक आदर्श है बल्कि यह भी साबित करता है कि कठिनाइयों के बावजूद भी कुछ कर गुजरने की चाह हो तो रास्ते अपने आप बन जाते हैं।
