महाराष्ट्र में नई महायुति सरकार का गठन हो चुका है। देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है। इसके साथ ही 288 सदस्यीय विधानसभा का तीन दिवसीय विशेष सत्र भी शनिवार से शुरू हो गया है।
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विपक्ष का विरोध और बहिष्कार
महा विकास अघाड़ी (MVA) के सहयोगी शिवसेना (यूबीटी) के नेता आदित्य ठाकरे ने इस सत्र का बहिष्कार करने की घोषणा की। उन्होंने कहा, “हमारे विधायक इस शपथ ग्रहण में शामिल नहीं होंगे। यह जीत जनादेश नहीं है। अगर ऐसा होता तो जनता इस पर खुश होती और जश्न मनाती। हमें चुनाव में इस्तेमाल हुई ईवीएम पर भी गहरा संदेह है।”
जनादेश या सत्ता संघर्ष?
नई सरकार के गठन पर जहां सत्ता पक्ष इसे जनता का निर्णय बता रहा है, वहीं विपक्ष का आरोप है कि यह जनादेश के साथ धोखा है। आदित्य ठाकरे ने दावा किया कि नई सरकार को लेकर जनता में उत्साह नहीं है, और यह ईवीएम (EVM) में गड़बड़ी का संकेत हो सकता है।
महाराष्ट्र की राजनीति में यह घटनाक्रम एक नई दिशा ले रहा है।
विपक्ष की रणनीति: एमवीए के इस कदम को सत्ता पक्ष पर दबाव बनाने और संभावित चुनावी अनियमितताओं पर चर्चा बढ़ाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।
ईवीएम पर सवाल: ईवीएम को लेकर उठाए गए सवाल से राजनीतिक माहौल गरम हो सकता है, क्योंकि इस पर पहले भी विवाद होता रहा है।
जनता का रुख: जनता की प्रतिक्रिया आगामी महीनों में तय करेगी कि इस सत्ता परिवर्तन का राज्य की राजनीति पर कितना गहरा प्रभाव पड़ेगा।
यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि महा विकास अघाड़ी इस विरोध को कितना प्रभावी बना पाती है और नई सरकार इन आरोपों का कैसे सामना करती है।