एक समय पर ‘शिस्तबद्ध’ यानी अनुशासित पार्टी के तौर पर पहचान रखने वाली 🔍भारतीय जनता पार्टी (BJP) में अब अंदरूनी गुटबाजी खुलकर सामने आने लगी है। इसका ताजा उदाहरण 🔍चंद्रपुर में भाजपा के स्थापना दिवस पर देखने को मिला, जब एक ही शहर में पार्टी के दो वरिष्ठ नेताओं ने एक ही दिन दो अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित कर दिए। इससे न केवल कार्यकर्ताओं में भ्रम की स्थिति बनी रही, बल्कि वरिष्ठ नेतृत्त्व की नाराजगी भी सतह पर आ गई।
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भाजपा नेता और महाराष्ट्र सरकार के पूर्व मंत्री 🔍सुधीर मुनगंटीवार ने जहां श्यामाप्रसाद मुखर्जी वाचनालय में स्थापना दिवस का आयोजन किया, वहीं चंद्रपुर के विधायक 🔍किशोर जोरगेवार ने कन्यका सभागृह में दूसरा कार्यक्रम रखा। दिलचस्प बात यह रही कि जोरगेवार के कार्यक्रम में 🔍मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की चाची और भाजपा की वरिष्ठ नेता पूर्व मंत्री 🔍शोभा फडणवीस और ओबीसी आयोग के अध्यक्ष 🔍हंसराज अहीर जैसे बड़े नेता मौजूद थे।
इन दोनों कार्यक्रमों के चलते कार्यकर्ता असमंजस में पड़ गए कि किस कार्यक्रम में शामिल हों और किसे नजरअंदाज करें। इससे यह स्पष्ट संकेत मिला कि पार्टी के भीतर दरारें गहरी हो चुकी हैं।
सूत्रों के मुताबिक, मुनगंटीवार और जोरगेवार के बीच तनातनी का दौर पिछले विधानसभा चुनावों के बाद से ही जारी है। ऐसा माना जा रहा है कि मुनगंटीवार को मंत्रीपद से दूर रखने के लिए खुद उनके ही पार्टी सहयोगियों—जोरगेवार, अहीर और शोभा फडणवीस—ने भीतरखाने विरोध किया था। यही वजह है कि मुनगंटीवार ने जोरगेवार के कार्यक्रम से दूरी बनाए रखी और अलग कार्यक्रम आयोजित किया।
इस पूरे घटनाक्रम पर शोभा फडणवीस की प्रतिक्रिया ने राजनीतिक हलकों में सनसनी फैला दी। बिना नाम लिए उन्होंने 🔍मुनगंटीवार पर निशाना साधते हुए कहा, “उन्हें यहां आना चाहिए था। भाजपा को कांग्रेस मत बनाइए।” उनके इस बयान ने यह साफ कर दिया कि पार्टी में चल रहा आपसी संघर्ष अब दबा नहीं रह गया है, बल्कि सार्वजनिक मंचों पर आने लगा है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि भाजपा समय रहते इस गुटबाजी पर लगाम नहीं लगाती, तो आगामी चुनावों में इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। फिलहाल तो पार्टी के स्थापना दिवस का अवसर एकजुटता की बजाय दरारों का प्रदर्शन बन गया है।
अब देखने वाली बात यह होगी कि भाजपा नेतृत्व इस अंदरूनी संकट को कैसे संभालता है – एकजुटता की ओर कदम बढ़ाता है या यह फूट और गहराई लेती है।