देश में चुनावी फंडिंग को लेकर एक बार फिर बहस छिड़ गई है। असोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने सोमवार को 2023-24 वित्तीय वर्ष में राष्ट्रीय पार्टियों को 20,000 रुपये से अधिक मिली चंदों की विस्तृत रिपोर्ट जारी की है। यह रिपोर्ट चौंकाने वाले खुलासे करती है, खासकर
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को लेकर, जिसे अकेले 2,243.94 करोड़ रुपये का चंदा मिला है—कांग्रेस, आम आदमी पार्टी (AAP), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPM), और नेशनल पीपल्स पार्टी (NPEP) को मिले कुल चंदों से छह गुना ज्यादा!
भाजपा को 8,358 चंदों के जरिए 2,243.94 करोड़ रुपये!
ADR के मुताबिक, भाजपा को 2023-24 में कुल 8,358 चंदों के माध्यम से 2,243.94 करोड़ रुपये मिले। वहीं कांग्रेस को 281.48 करोड़ रुपये, जो भाजपा से काफी पीछे है।
कॉरपोरेट्स से सबसे ज्यादा मेहरबानी भाजपा पर!
राष्ट्रीय पार्टियों को मिले कुल चंदों में से 88.9% यानी 2,262.5 करोड़ रुपये कॉर्पोरेट/व्यावसायिक क्षेत्र से आए। इसमें भाजपा को अकेले 2,064.58 करोड़ रुपये की कॉर्पोरेट चंदा मिला—जो अन्य सभी राष्ट्रीय पार्टियों को मिले कुल कॉर्पोरेट चंदे से नौ गुना ज्यादा है!
प्रमुख डोनर्स की लिस्ट – किसने कितना दिया?
1. प्रुडंट इलेक्टोरल ट्रस्ट
भाजपा: 723.6 करोड़
कांग्रेस: 156.4 करोड़
कुल: 880 करोड़ (सबसे बड़ा दाता)
2. ट्रायम्फ इलेक्टोरल ट्रस्ट
भाजपा को 127.5 करोड़ रुपये
3. डेरिव इन्वेस्टमेंट्स
भाजपा को 50 करोड़
कांग्रेस को 3.2 करोड़
4. अॅक्मी सोलर एनर्जी प्रा. लि. – 51 करोड़ (भाजपा को)
5. रुंगटा सन्स प्रा. लि. – 50 करोड़
6. भारत बायोटेक इंटरनॅशनल लि. – 50 करोड़
7. ITC इन्फोटेक इंडिया लि. – 80 करोड़
8. दिनेश चंद्र आर. अग्रवाल इन्फ्रॅकॉन प्रा. लि. – 30 करोड़
9. दिलीप बिल्डकॉन लि. – 29 करोड़
10. मॅक्रोटेक डेव्हलपर्स लि. – 27 करोड़
व्यक्तिगत चंदा भी भाजपा के नाम!
भाजपा को 4,628 व्यक्तिगत डोनर्स से 169.13 करोड़ रुपये मिले, जबकि कांग्रेस को 1,882 डोनर्स से केवल 90.9 करोड़।
क्या कहता है यह डेटा?
इस रिपोर्ट से साफ है कि भाजपा ने अन्य सभी राष्ट्रीय पार्टियों की तुलना में भारी अंतर से सबसे ज्यादा चंदा हासिल किया है, खासतौर से कॉर्पोरेट सेक्टर से। सवाल यह भी उठता है कि आखिर इतनी बड़ी मात्रा में चंदा किस बदले में दिया गया? क्या ये कंपनियां किसी नीति या फायदे के बदले में इतनी बड़ी धनराशि दान कर रही हैं?
राजनीतिक फंडिंग पर पारदर्शिता की जरूरत
ADR की इस रिपोर्ट से यह स्पष्ट होता है कि चुनावी फंडिंग में पारदर्शिता अब भी एक बड़ा सवाल है। देश में निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए यह जरूरी है कि चंदे के स्रोत, उसके उपयोग और इसके बदले में मिलने वाले लाभ की जांच हो।