राजनीति में चंद्रपुर जिले के जिवती तालुका ने शुक्रवार को जबरदस्त हलचल पैदा की, जब कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस (शरद पवार गुट) के 5 नगरसेवकों सहित लगभग 200 कार्यकर्ताओं ने भाजपा का दामन थाम लिया। यह राजनीतिक उथल-पुथल गोंडपिपरी में कांग्रेस से सत्ता छीनने के कुछ ही दिनों बाद सामने आई है।
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यह जोरदार राजनीतिक धमाका जिवती में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में हुआ, जहां राजुरा विधानसभा क्षेत्र के भाजपा विधायक देवराव भोंगले की प्रमुख उपस्थिति में सभी नेता और कार्यकर्ता पार्टी में शामिल हुए। उन्होंने इस घटनाक्रम को “जिवती तालुका के विकास की दिशा में एक बड़ा कदम” करार दिया और कहा कि इन नए साथियों के कारण भाजपा की ताकत अब और अधिक मजबूत हुई है।
कौन-कौन हुए शामिल?
जिन प्रमुख चेहरों ने भाजपा में प्रवेश किया उनमें जिवती नगर पंचायत के नगरसेवक शामराव गेडाम, अहिल्याबाई चव्हाण, अनुसया राठोड़, लियाकतबी रसूल शेख, और अश्विनी गुरमे शामिल हैं। इनके अलावा देवलागुडा गांव की सरपंच सुनीता किसन जाधव ने भी भाजपा में आस्था जताई। लगभग 200 अन्य कार्यकर्ताओं ने भी कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस से नाता तोड़ भाजपा की शरण ली।
गोंडपिपरी के बाद अब जिवती भाजपा के निशाने पर?
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही गोंडपिपरी नगर पंचायत में कांग्रेस की सत्ता को चुनौती देते हुए, भाजपा ने रणनीतिक तौर पर नगराध्यक्ष और अन्य पदाधिकारियों को तोड़कर सत्ता पर कब्जा जमाया था। अब बिल्कुल वैसी ही रणनीति जिवती में अपनाई जा रही है। वहां कुल 17 नगरसेवकों में से पहले भाजपा का कोई सदस्य नहीं था। कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस के पास 12 नगरसेवक थे और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के पास 5। लेकिन अब 5 नगरसेवकों के भाजपा में जाने के बाद भाजपा की स्थिति बदली है – अब भाजपा के पास 5, कांग्रेस-राकांपा के पास 7 और गोंडवाना के पास 5 नगरसेवक हैं।
यह समीकरण जिवती में सत्तांतर का खतरा पैदा कर रहा है। भाजपा की ये चाल कहीं गोंडपिपरी की पुनरावृत्ति न बन जाए – ऐसा स्थानीय राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बना हुआ है।
राजनीति में मोर्चाबंदी शुरू — निकाय चुनावों पर टिकी निगाहें
सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं के चुनाव कराने का मार्ग प्रशस्त किए जाने के बाद अब सभी दल मोर्चाबंदी में जुट गए हैं। विधायक देवराव भोंगळे की यह रणनीति बताती है कि भाजपा किसी भी हाल में सत्ता पर काबिज होना चाहती है — चाहे वह सत्ता पहले किसी और के पास क्यों न हो।
गोंडपिपरी के बाद अब जिवती में सत्ता परिवर्तन की बिसात बिछाई जा रही है, और इस पूरे घटनाक्रम से यह साफ है कि भाजपा “सिर्फ विपक्ष में रहने के लिए नहीं, बल्कि सत्ता छीनने के लिए” मैदान में उतरी है।
भाजपा की यह आक्रामक रणनीति महाराष्ट्र की ग्रामीण राजनीति में सत्ता-परिवर्तन का ट्रेंड सेट कर सकती है। यह स्पष्ट संकेत है कि भाजपा आने वाले निकाय चुनावों से पहले हर पंचायत और नगर परिषद में अपनी पकड़ मजबूत करने की योजना पर काम कर रही है। कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस के लिए यह एक राजनीतिक चेतावनी है कि अगर समय रहते उन्होंने अपने पाले को मजबूत नहीं किया, तो अगली बारी किसी और पंचायत की हो सकती है।