चंद्रपुर जिले के चिमूर शहर में इंसानियत को झकझोर देने वाली एक दिल दहला देने वाली वारदात सामने आई है। दो हैवानों ने 13 और 10 साल की दो मासूम बच्चियों को बार-बार अपनी हवस का शिकार बनाया। यह घिनौना कृत्य ‘टॉफी’ और खाने का लालच देकर कई महीनों से किया जा रहा था। सोमवार रात जब पीड़िता ने अपनी मां को पूरी आपबीती सुनाई, तो पूरे चिमूर शहर में जैसे भूचाल आ गया।
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रात साढ़े दस बजे जब बच्ची की मां ने पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई, तो देखते ही देखते खबर पूरे शहर में फैल गई। आक्रोशित नागरिकों ने चिमूर पुलिस थाने का घेराव कर दिया। आरोपी रसिद रुस्तम शेख (नड्डेवाला) और नासिर वजीर शेख (गोलावाला) के खिलाफ लोगों में गुस्सा इस कदर था कि पुलिस पर पथराव कर दिया गया। जवाब में पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। इस दौरान थाने की खिड़कियां टूट गईं और एक महिला पुलिसकर्मी समेत दो पुलिसवाले घायल हो गए।
चार घंटे तक पुलिस थाने का घेराव, “फांसी दो, फांसी दो” के नारे
जैसे-जैसे रात बढ़ती गई, गुस्से की आग और भड़कती गई। करीब 500-600 लोग पुलिस थाने के बाहर इकट्ठा हो गए। लोगों ने टायर जलाकर प्रदर्शन किया और आरोपियों को जनता के हवाले करने की मांग की। भीड़ का दबाव देखकर दोनों आरोपी रात में ही पुलिस थाने में शरण लेने पहुंच गए। हालात इतने तनावपूर्ण हो गए कि पुलिस को नागभीड़, भिसी, शेगांव और चंद्रपुर से अतिरिक्त बल बुलाना पड़ा। दंगा नियंत्रण पथक ने हालात को संभालने में रातभर मशक्कत की। तड़के तीन बजे पुलिस अधीक्षक और अपर पुलिस अधीक्षक खुद चिमूर पहुंचे और कड़ा बंदोबस्त तैनात किया गया।
दरिंदगी की पूरी कहानी मासूम की जुबानी
13 साल की पीड़िता ने अपनी मां को जो बताया, वो सुनकर किसी का भी खून खौल जाए। मार्च में जब वह और उसकी 10 वर्षीय सहेली घर के बाहर खेल रही थीं, तब मोहल्ले में ही रहने वाले रसिद ने उन्हें ‘टाफी ’ देने के बहाने घर बुलाया और दोनों पर बारी-बारी से अत्याचार किया। अगले ही दिन नासिर ने भी यही हरकत की। यह सिलसिला सितंबर तक चलता रहा, मासूम बच्चियां डर के मारे चुप रहीं। लेकिन सोमवार को आखिरकार एक बच्ची ने साहस दिखाया और अपनी मां को सब कुछ बताया।
शहर में तनावपूर्ण शांति, भारी पुलिस तैनात
मंगलवार सुबह तक चिमूर शहर में हालात काबू में आ गए हैं, लेकिन अब भी तनाव का माहौल बना हुआ है। आरोपियों और पीड़ितों के घरों के आसपास पुलिस की कड़ी निगरानी है। जनता की मांग है कि दोनों दरिंदों को जल्द से जल्द फांसी की सजा दी जाए।
यह घटना सिर्फ दो बच्चियों के साथ अत्याचार नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए एक चेतावनी है। जब तक ऐसे दरिंदों को कड़ी से कड़ी सजा नहीं दी जाती, तब तक बेटियों की सुरक्षा एक सवाल बनी रहेगी।