केंद्रीय बजट 2025 के तहत संसद में हुए बजट सत्र के दौरान चंद्रपुर-वणी-आर्णी लोकसभा क्षेत्र की सांसद प्रतिभा धानोरकर ने अपने क्षेत्र की जनता से जुड़े कई अहम मुद्दों को मजबूती से उठाया। उन्होंने मुख्य रूप से कोयला खदानों, विमान सेवा और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से जुड़े मामलों पर सरकार का ध्यान आकर्षित किया।
कोयला खदानों से पर्यावरण को खतरा – सरकार से जवाब मांगा
महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले में कोयला खदानों की भरमार है, लेकिन इन खदानों के विस्तार से पर्यावरणीय क्षति और प्रदूषण की समस्या बढ़ रही है। संसद में इस मुद्दे को उठाते हुए सांसद प्रतिभा धानोरकर ने कहा कि कोयला खनन के कारण जंगलों की कटाई हो रही है, जिससे वन्यजीवों और पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
उन्होंने यह भी सवाल किया कि खनन के बाद इन इलाकों में पुनर्वनीकरण और पुनरुद्धार कार्य सही तरीके से क्यों नहीं किया जा रहा? सांसद ने सरकार से जवाब मांगते हुए कहा कि कई खदानों में खनन समाप्त होने के बावजूद वहां चराई भूमि और हरित क्षेत्र विकसित नहीं किया गया है, जिससे स्थानीय किसानों और पशुपालकों को समस्या हो रही है।
सरकार ने जवाब में कहा कि कोयला खदानों से जितने पेड़ काटे जाते हैं, उतने ही नए पेड़ लगाने के लिए खनन कंपनियों को निर्देश दिए गए हैं। लेकिन सांसद धानोरकर ने इस जवाब को असंतोषजनक बताते हुए कहा कि व्यवहार में इस नीति का पालन नहीं हो रहा, और खनन क्षेत्रों में पर्यावरण संतुलन लगातार बिगड़ रहा है।
नागपुर से गया और वाराणसी के लिए सीधी विमान सेवा की मांग
बजट सत्र के दौरान सांसद प्रतिभा धानोरकर ने बौद्ध और हिंदू तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए नागपुर से गया और वाराणसी तक सीधी विमान सेवा शुरू करने की मांग उठाई। उन्होंने कहा कि गया बौद्ध अनुयायियों के लिए एक प्रमुख आस्था स्थल है, जहां भारत और दुनिया भर से बौद्ध श्रद्धालु आते हैं। इसी तरह, वाराणसी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल और पर्यटन केंद्र है।
उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि इन मार्गों पर सीधी उड़ानें शुरू करने से धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और विदर्भ क्षेत्र के नागरिकों को भी यात्रा में सहूलियत होगी। सरकार की ओर से इस पर तत्काल कोई ठोस जवाब नहीं मिला, लेकिन सांसद धानोरकर ने इस मांग को ज़ोरदार तरीके से आगे बढ़ाने का संकल्प लिया।
फसल बीमा योजना – किसानों को समय पर मुआवजा क्यों नहीं?
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों के लिए एक सुरक्षा कवच मानी जाती है, लेकिन महाराष्ट्र में इस योजना के तहत किसानों को समय पर मुआवजा नहीं मिल रहा। संसद में इस मुद्दे को उठाते हुए सांसद धानोरकर ने कहा कि एक साल से भी ज्यादा समय बीत जाने के बावजूद कई किसानों को उनके फसल नुकसान का बीमा भुगतान नहीं मिला है।
उन्होंने केंद्र सरकार से सवाल किया कि जब किसानों से प्रीमियम समय पर वसूला जाता है, तो मुआवजे का भुगतान देर से क्यों किया जाता है? उन्होंने मांग की कि फसल बीमा राशि 30 दिनों के भीतर किसानों के खातों में जमा की जाए।
सरकार ने जवाब में कहा कि राज्य सरकार के समन्वय से इस प्रक्रिया को तेज करने के लिए उपाय किए जाएंगे। लेकिन सांसद धानोरकर ने सरकार की प्रतिबद्धता पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर समय रहते किसानों को मुआवजा नहीं मिला, तो वे कर्ज के बोझ में दबते जाएंगे और आत्महत्याओं का सिलसिला नहीं रुकेगा।
सांसद प्रतिभा धानोरकर द्वारा उठाए गए ये तीनों मुद्दे आम जनता से सीधे जुड़े हुए हैं। उनकी आलोचना मुख्य रूप से सरकार की नीतियों के क्रियान्वयन की विफलता पर केंद्रित थी।
पर्यावरण और विकास के बीच संतुलन: सरकार कोयला खदानों को आर्थिक लाभ के लिए बढ़ावा दे रही है, लेकिन इससे जुड़े पर्यावरणीय और सामाजिक दुष्प्रभावों पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जा रहा। यदि खनन कंपनियों पर कड़ी निगरानी नहीं रखी गई, तो जंगलों की अंधाधुंध कटाई जारी रहेगी।
धार्मिक पर्यटन और क्षेत्रीय कनेक्टिविटी: नागपुर से गया और वाराणसी के लिए सीधी उड़ान सेवा विदर्भ क्षेत्र में पर्यटन और धार्मिक यात्राओं को बढ़ावा दे सकती है। लेकिन सरकार की तरफ़ से इस दिशा में कोई ठोस घोषणा नहीं की गई, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या सरकार छोटे शहरों की कनेक्टिविटी को गंभीरता से ले रही है?
फसल बीमा योजना की जमीनी हकीकत: किसानों के लिए फसल बीमा योजना मात्र एक कागजी योजना बनती जा रही है, क्योंकि उन्हें समय पर लाभ नहीं मिल रहा। अगर सरकार 30 दिनों के भीतर भुगतान सुनिश्चित नहीं कर पाती, तो यह योजना अपना उद्देश्य खो देगी।