चंद्रपुर जिला सहकारी (CDCC) बैंक में 358 पदों की विवादित भर्ती घोटाले की जांच के लिए गठित एसआईटी की आंच ने शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के जिला प्रमुख और बैंक के पूर्व अध्यक्ष रवींद्र शिंदे को राजनीतिक पलटी मारने पर मजबूर कर दिया। मंगलवार को मुंबई में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष रवींद्र चव्हाण, मंत्री चंद्रकांत पाटील और चंद्रपुर के तीन विधायकों – कीर्तीकुमार भांगडिया, किशोर जोरगेवार और करण देवतले की मौजूदगी में शिंदे ने शिवबंधन तोड़कर बीजेपी का कमल थाम लिया।
SIT जांच के डर से बदली निष्ठा?
चंद्रपुर जिला बैंक भर्ती घोटाले में एसआईटी की जांच ने कई पूर्व अध्यक्षों और संचालकों की नींद उड़ा दी है। सूत्रों के अनुसार, भाजपा समर्थक संचालकों ने शिंदे को समझाया कि यदि वे भाजपा में शामिल होते हैं तो जांच की आंच से उन्हें राहत मिल सकती है। राजनीतिक दबाव, सीबीआई-जैसी जांच एजेंसियों का खतरा और सत्ता में भागीदारी का लालच—इन तीनों फैक्टर ने शिंदे को पाला बदलने पर विवश किया।
भाजपा की रणनीति: कांग्रेस का किला ध्वस्त
बैंक में कुल 21 संचालकों में से अब 14 भाजपा समर्थक माने जा रहे हैं। इससे आगामी 22 जुलाई को होने वाली अध्यक्ष व उपाध्यक्ष पद की चुनावी जंग में बीजेपी को स्पष्ट बहुमत मिल चुका है। जानकारी के अनुसार, रवींद्र शिंदे बैंक के नए अध्यक्ष और संजय डोंगरे उपाध्यक्ष बन सकते हैं।
‘किंगमेकर’ भांगडिया की चाणक्यनीति
कांग्रेस के गढ़ माने जाने वाले इस बैंक पर भाजपा लंबे समय से नजर गड़ाए बैठी थी। भाजपा विधायक कीर्तीकुमार भांगडिया ने इस पूरे ऑपरेशन को बड़ी चतुराई से अंजाम दिया। कांग्रेस सांसद प्रतिभा धानोरकर, विधायक विजय वडेट्टीवार और जिला अध्यक्ष सुभाष धोटे की रणनीति विफल रही और कांग्रेस का बैंक पर दशकों पुराना वर्चस्व खत्म हो गया।
कांग्रेस की गुटबाजी बनी हार की वजह
सोमवार रात नागपुर के एक होटल में कांग्रेस समर्थक संचालकों की बैठक हुई थी जिसमें सांसद धानोरकर ने अध्यक्ष पद की दावेदारी जताई। लेकिन समर्थन के अभाव में उन्हें पीछे हटना पड़ा। भाजपा नेताओं ने इसी समय घोटाले की जांच का कार्ड खेला और कुछ संचालकों को अपनी ओर खींच लिया।
राजनीतिक रंग में अपराध की छाया
शिंदे के साथ बीजेपी में शामिल हुए भद्रावती बाजार समिति के पूर्व सभापति वासुदेव ठाकरे पर पहले दो बार तड़ीपारी की कार्रवाई हो चुकी है। हाल ही में उन पर फिर से तड़ीपारी का प्रस्ताव भेजा गया है। शराब सेवन कर ताडोबा में हंगामा और उनकी कार पर हमले जैसी घटनाएं उनके विवादास्पद छवि को उजागर करती हैं।
एसआईटी जांच की धमक और भाजपा की सधे हुए राजनीतिक योजना ने चंद्रपुर जिला बैंक के सत्ता समीकरण को पूरी तरह बदल दिया है। कांग्रेस जहां अंदरूनी फूट और रणनीतिक गलतियों के कारण पस्त नजर आ रही है, वहीं भाजपा सत्ता के खेल में एक निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है। शिंदे का पक्ष परिवर्तन सिर्फ एक राजनीतिक घटना नहीं, बल्कि महाराष्ट्र की बदलती राजनीतिक दिशा का संकेत है।
