केंद्र सरकार ने जाति के आधार पर जनगणना कराने का बड़ा फैसला किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस निर्णय को मंजूरी दी गई। केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि यह कदम सामाजिक न्याय और संवैधानिक मूल्यों को ध्यान में रखकर उठाया गया है।
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OBC समुदाय ने किया स्वागत
इस फैसले के बाद महाराष्ट्र के चंद्रपुर में राष्ट्रीय OBC महासंघ के नेताओं और स्थानीय छात्रों ने जोरदार जश्न मनाया। OBC महासंघ के राष्ट्रीय समन्वयक व भाजपा OBC मोर्चा के उपाध्यक्ष डॉ. अशोक जीवतोड़े के नेतृत्व में आयोजित कार्यक्रम में फटाके फोड़कर केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत किया गया। डॉ. जीवतोड़े ने कहा, “यह ऐतिहासिक निर्णय है। जाति आधारित जनगणना से OBC सहित सभी वर्गों को उनके संवैधानिक अधिकारों का लाभ मिलेगा।”
क्यों महत्वपूर्ण है यह फैसला?
-» 1951 के बाद पहली बार: स्वतंत्र भारत में 1951 में पहली जनगणना हुई थी, जिसमें जाति आधारित आंकड़े एकत्र किए गए थे। लेकिन 2011 की जनगणना (UPA सरकार के दौरान) में इसे शामिल नहीं किया गया।
-» OBC आरक्षण का मुद्दा: पिछले कई वर्षों से OBC संगठन जाति जनगणना की मांग कर रहे थे, ताकि आरक्षण और योजनाओं का लाभ सही हकदारों तक पहुंचे।
-» राजनीतिक प्रभाव: यह फैसला OBC समुदाय को साधने की केंद्र सरकार की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, खासकर 2024 लोकसभा चुनाव के बाद।
सरकार का पक्ष
केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने कहा, “मोदी सरकार समाज के सभी वर्गों के हितों के प्रति प्रतिबद्ध है। जाति जनगणना से सामाजिक न्याय और विकास योजनाओं को सटीकता से लागू करने में मदद मिलेगी।”
अब गृह मंत्रालय और रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया जल्द ही जनगणना प्रक्रिया शुरू करेंगे। इसके लिए राज्यों के साथ समन्वय किया जाएगा।
मोदी सरकार का यह फैसला सामाजिक न्याय और राजनीतिक समीकरणों को ध्यान में रखकर लिया गया है। OBC समुदाय के लिए यह एक बड़ी जीत मानी जा रही है, लेकिन इसके दीर्घकालिक प्रभावों पर बहस जारी है।