पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच संबंध तनावपूर्ण हैं। इस पृष्ठभूमि में चंद्रपुर जिले के भद्रावती स्थित चांदा आयुध निर्माणी प्रबंधन ने सभी अधिकारियों और कर्मचारियों की छुट्टियाँ रद्द करते हुए उन्हें तुरंत काम पर लौटने का आदेश दिया है।
देश की रक्षा तैयारियों को और भी मज़बूत करने के इरादे से केंद्र सरकार के रक्षा मंत्रालय ने भद्रावती स्थित चांदा आयुध निर्माणी को गोला-बारूद उत्पादन में भारी बढ़ोतरी के निर्देश दिए हैं। इस निर्णय के साथ ही आयुध निर्माणी में कार्यरत 2400 अधिकारियों और कर्मचारियों की सभी छुट्टियाँ – यहां तक कि साप्ताहिक विश्राम भी – तत्काल प्रभाव से रद्द कर दी गई हैं।
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सूत्रों के मुताबिक, अब कर्मचारियों को सुबह 7:30 से लेकर शाम 5:30 बजे तक निरंतर काम करना होगा, और ज़रूरत पड़ी तो अतिरिक्त समय तक भी। केवल आपातकालीन या चिकित्सकीय कारणों से ही अवकाश स्वीकृत होगा। यह कदम स्पष्ट रूप से बताता है कि सरकार आनेवाले समय में किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार रहना चाहती है।
इतिहास से वर्तमान तक: हमेशा निभाई अग्रणी भूमिका
चांदा आयुध निर्माणी की नींव 1962 में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय मारोतराव कन्नमवार के अथक प्रयासों से रखी गई थी। तब से लेकर आज तक इस कारखाने ने भारत की सुरक्षा व्यवस्था को सशक्त बनाने में अहम योगदान दिया है।
कारगिल युद्ध के दौरान इसी निर्माणी में बनी तोपों ने दुश्मन के दांत खट्टे कर दिए थे। वहीं, हाल के वर्षों में पिनाका जैसे विध्वंसक मल्टी-बैरल रॉकेट सिस्टम का उत्पादन यहीं हुआ है, जो अब भारत की सैन्य शक्ति का गर्व बन चुका है।
क्या है इस अचानक कदम के पीछे की वजह?
विश्लेषकों का मानना है कि बदलते वैश्विक परिदृश्य, सीमाओं पर संभावित तनाव और रणनीतिक दृष्टिकोण से सरकार ने यह फैसला लिया है। इससे यह साफ संकेत मिलता है कि भारत अब अपने सैन्य संसाधनों को तेज़ी से सुदृढ़ करने की दिशा में गंभीरता से काम कर रहा है।
कर्मचारियों के लिए चुनौतीपूर्ण समय
आयुध निर्माणी के कर्मचारियों के लिए यह समय बेहद चुनौतीपूर्ण है। ना सिर्फ़ लगातार काम, बल्कि मानसिक और शारीरिक दबाव भी बढ़ेगा। फिर भी, देशभक्ति और जिम्मेदारी की भावना से ओतप्रोत ये कर्मचारी हर परिस्थिति में सेवा देने के लिए तत्पर दिख रहे हैं।
भद्रावती की चांदा आयुध निर्माणी आज एक बार फिर राष्ट्रीय सुरक्षा के मोर्चे पर अग्रिम पंक्ति में आ गई है। उत्पादन के इस युद्ध स्तर के फैसले से भारत की आत्मनिर्भर रक्षा नीति (आत्मनिर्भर भारत) को भी नया बल मिलेगा। आने वाले दिनों में इसके और भी बड़े असर देखे जा सकते हैं।