Flash Back Chandrapur वर्ष 2024 का साल लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव का रहा। इसलिए राजनीतिक गतिविधियां तेज होना स्वाभाविक था। हुआ यूं कि मुख्य दलों ने अपनी पूरी शक्ति लगाई। कांग्रेस लोकसभा में जीतने में कामयाब हुई तो भाजपा बुरी तरह से हार गई। विधानसभा चुनावों में भाजपा ने अपना बदला पूरा किया और कांग्रेस को जबरदस्त टक्कर देते हुए कांग्रेस के उम्मीदवारों का सूपड़ा साफ कर दिया। चंद्रपुर जिले में केवल एक ही सीट पर कांग्रेस जीत पाई। इन सभी राजनीतिक गतिविधियों के बीच वर्ष भर में अनेक गंभीर अपराधों से चंद्रपुर जिला सतत दहल रहा था। गोलिबारी की वारदातों से जिले की शांति भंग हुई। वर्ष के अंत तक तो पुलिस विभाग ने अनगिनत हथियारों का जखिरा ही पकड़ लिया। यह सिलसिला आज भी जारी है। देसी कट्टे, पिस्टल और जिंदा कारतूसों के जब्ती से अपराधों को काबू तो किया गया लेकिन इतनी बड़ी संख्या में हथियारों का मिलना इस जिले पर कलंक लगा गया।
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वर्ष 2024 हर बार की तरह इस बार भी औद्योगिक प्रदूषण की खबरों और बाघ के आतंक से जान गंवाने वाले ग्रामीणों के लिए दर्दभरा रहा। किसान आत्महत्या की वारदातें भी घटित होती रही। सड़कों की बुरी हालत, पेयजल की समस्या, खेतों में बिजली उपलब्ध न होना, सिंचाई व्यवस्था की कमी, कृषि उपज को उचित मूल्य न मिलना, महंगाई से परेशान जनता के बुरे हाल, पेट्रोल की कीमतों में लगातार उछाल ने जनता का जीना दुबर कर दिया। लेकिन जनता की तमाम तरह की दिक्कतों के बीच भी राजनीतिक दलों की खुब कमाई होती रही। क्योंकि जब देश स्तर पर इलेक्टोरल बाँड का विषय गूंज रहा था और सुप्रीम कोर्ट की फटकार पड़ रही थी, तब चंद्रपुर तक नामक हमारे डिजिटल मीडिया ने स्थानीय स्तर पर चुनावी चंदे की गहराई से पड़ताल की। इस दौरान चंद्रपुर जिले के बड़े उद्योगों से करीब 314 करोड़ से अधिक की धनराशि राजनीतिक दलों के जेब में भेजे जाने की जानकारी का खुलासा हुआ। एक तरफ जिले की जनता महंगाई और बेरोजगारी से सिसक रही थी तो दूसरी ओर राजनीतिक दल करोड़ों का चंदा पाकर ऐश में थे।
लोकसभा का चुनाव पास आते ही अनेक राजनीतिक दलों के नेताओं की सभाएं होने लगी। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी चंद्रपुर आना पड़ा। इसके लिए सजाये गये मंच पर लोकसभा के उम्मीदवार एवं जिले के कद्दावर नेता सुधीर मुनगंटीवार ने एक ऐसा बयान दे डाला, जिसके चलते जिले की जनता में काफी गुस्सा फूट पड़ा। भाजपा वाहन पर गोबर तक फेंका गया। पूर्व मंत्री मुनगंटीवार के भाई-बहन संबंधित विवादित बयान का असर यह हुआ कि उन्हें ढाई लाख से अधिक वोटों से हार का सामना करना पड़ा। इस चुनाव के पूर्व करोड़ों की सरकारी धनराशि खर्च कर किये गये तमाम इवेंट और फिल्मी हस्तियों को बुलाकर जनता का मन रिझाने की भाजपा की कोशिशें यहां नाकाम साबित हुई।
गंभीर अपराधों की यदि बात की जाएं तो अबकारी विभाग के पुलिस अधीक्षक को एक बियर शॉपी की मंजूरी देने के लिए एक लाख की रिश्वत मांगने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। वहीं राजुरा परिसर में पुरानी रंजिश का ऐसा खूनी खेल खेला गया कि एक बेकसूर महिला को अपनी जान गंवानी पड़ी। लल्ली-पूर्वशा के मामले में पूरा जिला दहल उठा। चंद्रपुर के एक नामी होटल में पत्नियों की अदला-बदली का एक मामला जिले में चर्चा का विषय बन गया। वाइफ स्वॉपिंग का यह नया चलन लोगों के लिए आलोचना का मुद्दा बना रहा। मूल शहर में घटित हत्याकांड हो या चंद्रपुर के बिनबा गेड परिसर में हाजी सरवर को गोली मारकर हत्या करने का मामला हो, इन गंभीर वारदातों ने जिले की जनता में भय उत्पन्न कर दिया। भले ही आरोपी पकड़े जाते रहे लेकिन जनता ने सतत ऐसे हथियारों के उपयोग को लेकर सोशल मीडिया पर अपना गुस्सा उतारती रही। पश्चात पुलिस ने तो हथियारों की जब्ती का अभियान ही छेड़ दिया। इक्का-दुक्का नहीं बल्कि सैंकड़ों की संख्या में पुलिस ने हथियार जब्त किये। तीक्ष्ण हथियारों की तो मानो बाढ़ ही आ गई। अवैध देसी कट्टे एवं पिस्टल रखने वालों को धर-दबोचा गया।
महाराष्ट्र में महिला अत्याचारों के खिलाफ आंदोलन तेज हुआ तो चंद्रपुरवासियों को आधी रात को मशाल मोर्चा निकालना पड़ा। इसके बावजूद जिले भर से अनेक अत्याचारों की वारदातों से अखबार पटे रहे। महिला अत्याचार, दुष्कर्म, नाबालिग को शिकार बनाये जाने की वारदातें सतत घटते रहे।
अपराधों ने जहां जिले की जनता को परेशान किया, वहां नैसर्गिक आपदाएं भी लोगों पर कहर बनकर टूट पड़ी। तेज बारिश और बाढ़ के चलते सैंकड़ों परिवारों का जनजीवन बर्बाद हुआ। अनेक मकान ढह गये। नदी तट से सटे निचले इलाकों में बाढ़ के प्रकोप का दंश लोगों को भुगतना पड़ा। वहीं एक गांव में तालाब का बांध टूटने के कारण 300 घरों में पानी प्रवेश कर गया।
जब विधानसभा चुनाव करीब आये तो भाजपा और कांग्रेस में द्वंद शुरू हुआ। बरसों से विरोध करने वाले भाजपाईयों को अंतत: विधायक किशोर जोरगेवार को अपने खेमे में लेते हुए स्वागत करना पड़ा। सांसद प्रतीभा धानोरकर अपने भाई प्रवीण काकडे को वरोरा की उम्मीदवारी दिलाने में कामयाब तो रही, लेकिन उन्हें जीताकर नहीं ला सकीं। वहीं विजय वडेट्टीवार भी अपने जिले का अर्थात कांग्रेस का गढ़ संभालने में नाकाम रहे। इधर, भाजपा ने जिले के 6 में से 5 सीटों पर जोरदार जीत हासिल की, लेकिन महाराष्ट्र के मंत्रिमंडल में जगह पाने में जिले का कोई भी विधायक कामयाब नहीं हो पाया। राजुरा के प्रत्याशी रहे देवराव भोंगडे का भाजपा में ही लगातार विरोध होता रहा। इसके बावजूद वे 4 पूर्व विधायकों को पटखनी देते हुए जीतने में कामयाब रहे। जबकि करीब 7 हजार फर्जी वोटरों के पंजीयन मामले में जिलाधिकारी के निर्देश होने के बावजूद एक भी आरोपी को पुलिस गिरफ्तार नहीं कर पायी। इस नाकामी के बीच ही गड़चांदूर के जागरूक निवासियों ने 61 लाख रुपयों से अधिक की नकद चुनावी राशि जब्त कर प्रशासन के हवाले किया। परंतु भाजपा के विजयी रथ को रोकने में हर विरोधी दल नाकाम ही रहा।
7 बार विधायक बने और अनेक बार मंत्री पद पर रहे कद्दावर भाजपा नेता सुधीर मुनगंटीवार को इस बार के मंत्रिमंडल में जगह नहीं दिये जाने के कारण भाजपा के कार्यकर्ता निराश हुए। कोई पैदल यात्रा कर रहा था तो कोई इस्तीफा पेश करने की पेशकश में लगा रहा। इस बीच विधायक देवराव भोंगले ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के द्वार पर दस्तक देते हुए मुनगंटीवार के लिए मंत्री पद देने की गुहार लगाई। ब्रिजभूषण पाझारे की बगावत और हंसराज अहिर की बढ़ती ताकत से भाजपा की गुटबाजी जिले में चर्चा का विषय बनी रही।
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