1928 से केंद्र संरक्षित स्मारक महादेव मंदिर के 100 मीटर दायरे में निर्माण सख्त मना – उल्लंघन पर जेल और 1 लाख जुर्माना संभव, सात दिन में अतिक्रमण हटाने के निर्देश
चंद्रपुर में स्थित महादेव मंदिर, जिसे भारत सरकार ने 11 अप्रैल 1928 की अधिसूचना के तहत केंद्रीय संरक्षित स्मारक घोषित किया था, अब एक बड़े विवाद के केंद्र में है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने मंदिर परिसर में हो रहे अवैध निर्माण और अतिक्रमण को लेकर नगरपालिका आयुक्त को नोटिस जारी कर सख्त कार्रवाई के आदेश दिए हैं।
इस विवाद की शुरुआत तब हुई जब चंद्रपुर शहर-जिला कांग्रेस ने शिकायत की कि मंदिर के 100 मीटर के दायरे में नगर निगम की ओर से “अम्मा चौक” स्मारक का निर्माण हो रहा है, जो कि भाजपा विधायक किशोर जोरगेवार की मां के नाम पर बनाया जा रहा था। शिकायत के बाद ASI ने जांच कर पुष्टि की कि यह निर्माण “प्राचीन स्मारक एवं पुरातात्विक स्थल एवं अवशेष अधिनियम 1958” का उल्लंघन है।
कानूनी सख्ती और संभावित सजा
इस अधिनियम के अनुसार, संरक्षित स्मारक के 100 मीटर के भीतर किसी भी तरह का निर्माण, उत्खनन या नवीनीकरण बिना अनुमति के सख्त वर्जित है। उल्लंघन करने वालों को दो साल तक की कैद और/या एक लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
ASI ने आदेश दिया है कि सात दिन के भीतर यह अवैध निर्माण हटाया जाए, अन्यथा स्थानीय पुलिस की मदद से अतिक्रमण तोड़ा जाएगा और संबंधित व्यक्तियों पर कानूनी कार्रवाई होगी।
नगर निगम की मुश्किलें बढ़ीं
नोटिस जारी होते ही नगर निगम पर दबाव बढ़ गया है, क्योंकि यह मामला न केवल राजनीतिक रूप से संवेदनशील है, बल्कि सीधे तौर पर केन्द्रीय कानून के उल्लंघन से जुड़ा है। प्रशासन ने अब मंदिर परिसर में सभी अवैध निर्माणों और अतिक्रमणों पर नज़र रखनी शुरू कर दी है।
संभावित प्रभाव
- राजनीतिक टकराव तेज हो सकता है, क्योंकि मामला विधायक के परिवार से जुड़ा है।
- चंद्रपुर में संरक्षित स्मारकों के संरक्षण पर अब और सख्त निगरानी की संभावना।
- नगर निगम के लिए यह मामला कानूनी और राजनीतिक दोनों मोर्चों पर चुनौती बन सकता है।
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