Chandrapur Assembly Elections: Prestige at Stake for a Minister, Two Ex-Ministers, and an MP”
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महाराष्ट्र विधानसभा के चुनावों की प्रक्रिया अब अंतिम चरण में पहुंच गई है। कल, 20 नवंबर की सुबह से मतदान होगा। और 23 नवंबर को मतगणना होगी। चंद्रपुर जिले में कुल 6 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र हैं। इनमें चंद्रपुर, बल्लारपुर, राजुरा, ब्रम्हपुरी, चिमूर और वरोरा का समावेश हैं। हर राजनीतिक दल की ओर से अपनी शक्तियों का प्रदर्शन कर चुनाव प्रचार किया गया। जिले में सभी प्रमुख नेताओं ने इसमें हिस्सा लिया। खासकर भाजपा और कांग्रेस के दिग्गज नेता अग्रसर रहे। जिले में भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं प्रदेश के वनमंत्री सुधीर मुनगंटीवार, पूर्व आपदा मंत्री एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विजय वडेट्टीवार, पूर्व केंद्रीय गृहराज्य मंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता हंसराज अहिर तथा वर्तमान सांसद एवं कांग्रेस की नेता प्रतिभा धानोरकर ऐसे प्रमुख चेहरे हैं, जिन पर इस चुनाव का दारोमदार एवं प्रत्याशियों की जीत-हार का फैसला निर्भर रहा है। इन प्रमुख नेताओं की प्रतिष्ठा इस चुनाव में दांव पर लगी हुई है।
जिले में इस समय कुल 18 लाख 50 हजार 102 मतदाता हैं। इनकी सुविधा के लिए जिला प्रशासन की ओर से जिले भर में कुल 2 हजार 77 मतदान केंद्रों का निर्माण किया गया है। जिले के कुल 6 विधानसभा सीटों के लिए कुल 94 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। मतदान की प्रक्रिया सुलभ हो सकें, इसके लिए प्रशासन की ओर से कुल 2 हजार 314 मतदान केंद्राध्यक्ष, 2 हजार 314 मतदान अधिकारी, 4 हजार 903 अन्य मतदान अधिकारी इस तरह से कुल 9 हजार 531 कर्मचारियों को नियुक्त किया जा चुका है। इन सभी कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। इसके अलावा जिले भर में शांतिपूर्ण मतदान तथा कानून व सुव्यवस्था को सुचारू रखने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है।
मंत्री मुनगंटीवार पर रहेगा फोकस
भाजपा के दिग्गज नेता के रूप में जाने जानेवाले मंत्री सुधीर मुनगंटीवार स्वयं बल्लारपुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं। इसलिए न केवल चंद्रपुर जिले का बल्कि राज्य के राजनीतिक दलों एवं मीडिया का ध्यान बल्लारपुर पर टिका हुआ है। साथ ही मंत्री मुनगंटीवार के करीबी समझे जाने वाले कट्टर समर्थक देवराव भोंगले को उन्होंने राजुरा से भाजपा का टिकट दिलाया है। इसलिए जिले में 6 में से अधिक से अधिक सीटें जीताकर लाने की जिम्मेदारी भी उनकी है। चिमूर के विधायक बंटी भांगडिया वैसे तो सक्षम हैं, किंतु वरोरा के भाजपा प्रत्याशी को जीताकर लाना मुनगंटीवार के लिए टेढ़ी खीर जैसा मामला है। ब्रम्हपुरी से क्रिष्णा सहारे के लिए भाजपा की शक्ति परीक्षा काफी नाजूक विषय है। कुल मिलाकर यदि देखा जाएं तो मंत्री मुनगंटीवार के लिए जिले के सभी 6 सीटों पर जीत दर्ज कराना प्रतिष्ठा दांव पर लगाने का विषय बना हुआ है।
विधायक वडेट्टीवार की राह नहीं आसान
हालांकि यह सच है कि विरोधी दल नेता एवं कांग्रेस के दिग्गज विधायक के रूप में विजय वडेट्टीवार को जाना जाता है। ब्रम्हपुरी विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में भले ही उनकी स्थिति मजबूत दिखाई देती हो, लेकिन जिले के अन्य 5 सीटों पर यदि कांग्रेस के अधिक से अधिक उम्मीदवार नहीं जीत पाएं और महाराष्ट्र में महाविकास आघाड़ी की सरकार बन गई तो इन्हें बड़ा मंत्रालय और बड़ा ओहदा मिलने में काफी कठिनाई होगी। चंद्रपुर के कांग्रेस प्रत्याशी प्रवीण पडवेकर को के चलते ही टिकट मिली। बल्लारपुर के कांग्रेस प्रत्याशी संतोषसिंह रावत भी वडेट्टीवार के कट्टर समर्थक हैं। इन दोनों प्रत्याशियों की जीत और हार पर वडेट्टीवार का राजनीतिक भविष्य निर्भर है। राजुरा के विधायक सुभाष धोटे अपने आपमें सक्षम नेता है। वडेट्टीवार समर्थक व चिमूर के कांग्रेस प्रत्याशी सतीश वाजुरकर पिछली बार मामूली वोटों के अंतर से हार गये थे। यदि इस बार वे जीत नहीं पाएं तो इसका ठिकरा भी वडेट्टीवार पर ही फूटेगा। इसलिए इस बार के चुनाव वडेट्टीवार के लिए प्रतिष्ठा दांव पर लगाने जैसा मामला है।
पूर्व मंत्री अहिर की दमदार वापसी की आहट
पूर्व केंद्रीय गृहराज्य मंत्री एवं भाजपा के दिग्गज नेता हंसराज अहिर को पिछली बार लोकसभा चुनावों के दौरान टिकट काटा गया था। इसके बाद उनकी राजनीतिक क्षति की गूंज उनके समर्थकों में काफी दिनों तक रही। अब जब चुनाव के मुहाने पर मंत्री सुधीर मुनगंटीवार की ओर से चंद्रपुर के निर्दलीय विधायक किशोर जोरगेवार के भाजपा प्रवेश और उन्हें टिकट दिये जाने को लेकर विरोध की आवाज उठी तो हंसराज अहिर ने ही मध्यस्तता कर दिल्ली तक अपनी रसूख का इस्तेमाल कर विधायक जोरगेवार को भाजपा प्रवेश कराया और टिकट भी दिला दी। इसके चलते यह अहिर की राजनीतिक वापसी के संकेत तो है ही। लेकिन चंद्रपुर के चुनाव परिणामों में विधायक जोरगेवार की हार व जीत का असर हंसराज अहिर के भविष्य की राजनीतिक बिसात पर अच्छा या बुरा असर डाल सकता है। इसलिए जोरगेवार को जीताकर लाना अहिर के लिए प्रतिष्ठा दांव पर लगाने जैसा मामला बन गया है।
सांसद धानोरकर को तोड़ना होगा चक्रव्यूह
जिस समय कांग्रेस की ओर से टिकट बंटवारा चल रहा था तब मीडिया में खबरें आ रही थी कि सांसद प्रतिभा धानोरकर एवं विधायक विजय वडेट्टीवार के बीच तनावपूर्ण स्थिति हैं। हालांकि इसके पूर्व भी दोनों नेताओं के बयान एक-दूसरे के खिलाफ इस स्थिति की ओर इशारा कर रहे थे। परंतु ऐन समय पर कौनसा समझौता हुआ यह तो किसी को ज्ञात नहीं, लेकिन वडेट्टीवार समर्थकों को चंद्रपुर और बल्लारपुर की टिकट मिल गई और सांसद धानोरकर अपने सगे भाई प्रवीण काकडे के लिए टिकट हासिल करने में कामयाब रही। अब आलम यह है कि यदि यह टिकट जीद पर हासिल की गई होगी तो प्रवीण काकडे को जीताकर लाने की संपूर्ण जिम्मेदारी भी सांसद धानोरकर की ही है। ऐसे में वरोरा के कांग्रेस प्रत्याशी प्रवीण काकडे की हार व जीत पर ही सांसद प्रतिभा धानोरकर की आगामी राजनीतिक बिसात और दिशा तय हो पाएगी। इसलिए काकडे को जीताना सांसद धानोरकर के लिए प्रतिष्ठा दांव पर लगाने का विषय बन गया है।
हालांकि, तमाम अटकलों और राजनीतिक चालों के बीच कौन जीतेगा और कौन हारेगा, यह तो आगामी 23 नवंबर को ही ज्ञात हो पाएगा। लेकिन जिले के उपरोक्त तमाम बड़े नेताओं की धड़कनें तेज हो गई है। अपनी संपूर्ण शक्ति से अपने अस्तित्व को कायम रखने और शक्ति को बढ़ाने के लिए सभी नेता एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं। नतीजों को लेकर जनता में काफी उत्सुकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि किसकी प्रतिष्ठा कायम रहती है और कौनसा नेता अपनी ताकत को खो देता है ?