अब चंद्रपुर जिले के छह विधानसभा क्षेत्रों में 95 उम्मीदवार चुनावी मैदान में बचे हैं। इन उम्मीदवारों में कहीं बहुरंगी मुकाबला तो कहीं त्रिकोणीय और कहीं सीधा मुकाबला देखने को मिल रहा है। इसके साथ ही मंगलवार से चुनाव प्रचार का शोर भी शुरू हो जाएगा। इस प्रचार में कौन बढ़त बनाता है, इसी पर चुनाव परिणाम की दिशा भी निर्भर करेगी।
Chandrapur Assembly Elections : दिवाली के बाद राजनीतिक माहौल गरमा गया है, प्रत्याशियों ने नामांकन वापस लेने के चरण को पूरा कर अब पूरी तरह चुनाव प्रचार में जुट गए हैं। हर उम्मीदवार मतदाताओं तक पहुंचने के लिए घर-घर जाकर उनसे मुलाकात कर रहे हैं, पर्चे बांटे जा रहे हैं, सभाओं का आयोजन किया जा रहा है, और प्रचार बैठकों के साथ सोशल मीडिया पर भी जोरदार अभियान छेड़ा जा रहा है।
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सोशल मीडिया के माध्यम से चुनावी प्रचार अब बहुत अधिक प्रभावी हो गया है। इसके चलते कई उम्मीदवारों ने विशेष कार्यकर्ताओं की नियुक्ति भी की है, जो सोशल मीडिया पर फोटो, वीडियो और चुनावी सामग्री पोस्ट कर रहे हैं। घर-घर संपर्क और रैली के माध्यम से उम्मीदवार अपनी लोकप्रियता और मजबूती दिखाने का प्रयास कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर साझा किए जा रहे फोटो और वीडियो से इन अभियानों की चमक और अधिक बढ़ गई है, जिससे इस समय कई लोगों को रोजगार के अवसर भी मिल रहे हैं।
इस साल चंद्रपुर जिले के सभी छह विधानसभा क्षेत्रों में प्रत्येक राजनीतिक दल अपने तरीके से प्रचार का विस्तृत प्रबंध कर रहे हैं। रोड शो, रैलियाँ, और जनसभाओं के माध्यम से शक्ति प्रदर्शन की भी योजना बनाई जा रही है। प्रचार की यह दौड़ अब डिजिटल प्लेटफॉर्म तक पहुँच गई है और सभी राजनीतिक दल इसका अधिक से अधिक लाभ उठा रहे हैं।
चुनावी आयोग ने डिजिटल प्रचार पर कड़ी नजर रखने की व्यवस्था की है, जिससे अनियमितताओं पर नियंत्रण रखा जा सके। हालांकि, सोशल मीडिया के माध्यम से प्रचार का हिसाब-किताब रखना एक बड़ा चुनौतीपूर्ण कार्य बना हुआ है, खासकर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर होने वाले खर्च को मॉनिटर करना आयोग के लिए एक बड़ी जिम्मेदारी है।
विधानसभा चुनाव में चंद्रपुर में भाजपा और कांग्रेस के बीच बगावत की लहर
लोकसभा चुनाव के परिप्रेक्ष्य में चंद्रपुर जिले में भाजपा और कांग्रेस दोनों को विधानसभा क्षेत्रों में बगावत का सामना करना पड़ रहा है। विधानसभा स्तर पर कांग्रेस को पिछले चुनाव में बढ़त मिली थी, और महाविकास आघाड़ी (एमवीए) तथा महायुति गठबंधन (एनडीए) के घटक दलों के उम्मीदवारों की राजनीतिक महत्वाकांक्षा ने कई उम्मीदवारों के बगावती रुख को बढ़ावा दिया है।
सोमवार (4 तारीख) को नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि थी, और इसके अंतिम क्षणों तक दोनों दलों के वरिष्ठ नेता बागी उम्मीदवारों को मनाने का प्रयास करते रहे। इनमें से कुछ प्रयास सफल हुए, जबकि कुछ बागी अपने फैसले पर अडिग रहे और अपनी स्वतंत्र उम्मीदवारी कायम रखी।
प्रमुख बगावती विधानसभा
इस समय वरोरा, चंद्रपुर और बल्लारपुर विधानसभा क्षेत्रों में बगावत की स्थिति सबसे गंभीर है। इन विधानसभा क्षेत्रों में प्रमुख उम्मीदवारों का विद्रोही रुख दोनों पार्टियों की चुनावी गणना को प्रभावित कर सकता है, जिससे इस बार की लड़ाई और भी चुनौतीपूर्ण होती नजर आ रही है।
राजनीतिक विश्लेषण:
चंद्रपुर में कांग्रेस को हाल के लोकसभा चुनाव में विधानसभा स्तर पर अच्छी बढ़त मिली थी, जिससे उसका आत्मविश्वास बढ़ा है। इसके अलावा महाविकास आघाड़ी के साथ गठबंधन से उसे अतिरिक्त समर्थन भी मिला है, जो भाजपा के लिए चुनौती का कारण बन सकता है। दूसरी ओर, महायुति गठबंधन के भीतर छोटे दलों की महत्वाकांक्षाएं और स्वतंत्र उम्मीदवारों का चुनाव लड़ने का निर्णय भाजपा के लिए परेशानी का सबब बन रहा है।
वर्तमान परिदृश्य से यह स्पष्ट होता है कि आगामी दिनों में स्थिति और भी पेचीदा हो सकती है। बागी उम्मीदवारों की स्थिति का क्या असर होगा, यह चुनावी माहौल में साफ होगा, परंतु अभी अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है। दोनों दलों के सामने यह चुनौती है कि बागियों को कैसे समायोजित किया जाए या फिर उनके प्रभाव से कैसे निपटा जाए।