पप्पू देशमुख के नेतृत्व में आंदोलन, निर्माण कार्य में तोड़फोड़; पूर्व कांग्रेस पार्षद नंदू नागरकर की विवादास्पद एंट्री से प्रभाग की राजनीति गरमाई
चंद्रपुर। बागला चौक से राजीव गांधी इंजीनियरिंग कॉलेज तक बन रहे सड़क डिवाइडर (दुभाजक) का मामला अब पूरी तरह से राजनीतिक रंग ले चुका है। इस विवादास्पद और घटिया गुणवत्ता वाले निर्माण कार्य के विरोध में आज, बुधवार, 29 अक्टूबर को दोपहर 2 बजे के आसपास पप्पू देशमुख के नेतृत्व में एक ज़बरदस्त आंदोलन किया गया।
आंदोलन हिंसक हुआ, काम बंद कराया गया
आंदोलनकारी इस डिवाइडर के निर्माण के खिलाफ कड़ा विरोध कर रहे थे, जिसके चलते उन्होंने मौके पर मौजूद निर्माण सामग्री की तोड़फोड़ की और चल रहे काम को तुरंत बंद करा दिया। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि यह डिवाइडर अनावश्यक है और इसमें बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है।
पूर्व पार्षद नंदू नागरकर का अप्रत्याशित हस्तक्षेप
आंदोलन जब ज़ोरों पर था, तभी अचानक कांग्रेस के पूर्व नगरसेवक नंदू नागरकर मौके पर पहुँचे और उनकी एंट्री ने पूरे मामले को एक नया मोड़ दे दिया। नागरकर ने आंदोलकों को धमकाते हुए सवाल उठाए:
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“मेरे प्रभाग का काम बंद क्यों कर रहे हो?”
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“आप दादागिरी क्यों कर रहे हैं?”
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“आपने मुझे इस संबंध में पत्र क्यों नहीं दिया?”
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“आप यह आंदोलन क्यों कर रहे हैं?”
नागरकर के इस आक्रामक रुख पर पप्पू देशमुख ने उन्हें तुरंत फटकार लगाई। देशमुख ने नागरकर को साफ़ शब्दों में कहा कि वह “ठेकेदार और भ्रष्ट अधिकारियों का बचाव करने की कोशिश न करें।”
नगरसेवक की भूमिका पर उठे गंभीर सवाल
पूर्व कांग्रेस नगरसेवक नागरकर की यह विवादास्पद भूमिका स्थानीय राजनीति में चर्चा का विषय बन गई है। आश्चर्य की बात यह है कि नागरकर महाकाली प्रभाग क्रमांक 12 के नगरसेवक थे, जबकि यह सड़क डिवाइडर पठाण पुरा प्रभाग क्रमांक 14 में बन रहा है।
राजनीतिक विश्लेषण: अपने प्रभाग से बाहर के काम में हस्तक्षेप करना और भ्रष्टाचार के विरोध में हो रहे आंदोलन को रोकना, यह संकेत देता है कि नागरकर का हित किसी व्यक्तिगत लाभ या ठेकेदार के साथ जुड़ा हो सकता है, जिससे उनकी निष्ठा पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं।
निर्माण कार्य की घटिया गुणवत्ता का पर्दाफाश
आंदोलन के दौरान, पप्पू देशमुख ने स्वयं डिवाइडर के निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर सवाल उठाते हुए एक प्रदर्शन किया। उन्होंने डिवाइडर में लगी एक लोहे की छड़ को सहजता से अपने हाथों से तोड़कर दिखा दिया। इस घटना ने यह सिद्ध कर दिया कि निर्माण में घटिया सामग्री का उपयोग किया जा रहा है और जनता के पैसे की बर्बादी की जा रही है।
आंदोलनकारियों की मुख्य माँगे
आंदोलनकारियों ने सरकार और प्रशासन से अपनी तीन प्रमुख माँगें रखी हैं:
- इस अनावश्यक और विवादास्पद डिवाइडर का काम तुरंत रद्द किया जाए।
- सड़क का काम प्राथमिकता के आधार पर शुरू किया जाए।
- डिवाइडर के निर्माण कार्य की उच्च स्तरीय जाँच की जाए और भ्रष्ट अधिकारी तथा संबंधित ठेकेदार के विरुद्ध कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए।
आंदोलन में प्रमुख सहभागिता
इस विरोध प्रदर्शन में मनसे (MNS) के पदाधिकारी मनोज तांबेकर, वर्षाताई भोमले, मंदाताई कराडे, प्रकाश चंदनखेडे, प्रगती भोसले, नेहा डुडलकर, कैलास पाटील के साथ-साथ सामाजिक कार्यकर्ता प्रतिक चिकाटे, राजु पांडे और जनविकास सेना के मनिषा बोबडे, इमदाद शेख, गोलू दखणे, प्रफुल बैरम, अमुल रामटेके, घनश्याम येरगुडे, अनिता पिसे, सचिन भिलकर, किशोर महाजन, देवराव हटवार, अरूणा मांदाळे, ललिता उपरे, माला गुरनुले, सुशिला चौधरी ने सक्रिय रूप से हिस्सा लिया।
