चंद्रपुर में गणेश विसर्जन शोभायात्रा को लेकर इस बार राजनीति ने धार्मिक परंपरा को भी अपनी जकड़ में ले लिया है। मामला मंडप लगाने का है, लेकिन असल लड़ाई भाजपा के दो धुरंधर नेताओं – पूर्व मंत्री और विधायक सुधीर मुनगंटीवार तथा विधायक किशोर जोरगेवार के गुटों के बीच वर्चस्व की है।
लोकमान्य टिलक स्कूल के सामने हर साल की तरह मुनगंटीवार समर्थक मंडप लगाना चाहते थे, लेकिन इस बार जोरगेवार खेमे के नगराध्यक्ष सुभाष कासनगोट्टवार ने भी उसी स्थान के लिए दावा ठोक दिया। प्रशासन ने दोनों को अलग-अलग ओर अनुमति दी, पर नियमों की अनदेखी कर मामला और भड़क उठा।
नियमों की अवहेलना और प्रशासन की चुनौतियाँ
महापालिका ने सख्ती से कहा कि मंडपों के बीच कम से कम 100 मीटर दूरी होनी चाहिए। बावजूद इसके भाजपा शहराध्यक्ष कासनगोट्टवार ने आदेश को पांव तले रौंदा और महज 10 फुट की दूरी पर ही मंडप खड़ा कर दिया। पुलिस की मौजूदगी और प्रशासन की नोटिस के बावजूद यह खुला उल्लंघन भाजपा की अंदरूनी सियासत का संकेत है। अब हालात बिगड़ने से रोकने के लिए पुलिस ने दोनों मंडपों के बीच पर्दा लगाया है और विशेष बंदोबस्त की है।
मुनगंटीवार बनाम जोरगेवार
यह पहली बार नहीं है जब मुनगंटीवार और जोरगेवार गुट आमने-सामने आए हों। सुधीर मुनगंटीवार, प्रदेश स्तर पर भाजपा के बड़े चेहरे, लंबे समय से संगठन पर पकड़ बनाए हुए हैं। चंद्रपुर में उनका नेटवर्क गहरा है और वे हर बड़े धार्मिक-सांस्कृतिक आयोजन में अपनी छाप छोड़ते आए हैं। वहीं, किशोर जोरगेवार को भाजपा की स्थानीय राजनीति में “विद्रोही चेहरा” कहा जाता है। कई मौकों पर उन्होंने मुनगंटीवार की कार्यशैली पर सवाल उठाए और खुद को “सच्चे स्थानीय नेता” के रूप में स्थापित करने की कोशिश की। दोनों के बीच खींचतान पिछले एक दशक से अधिक समय से चली आ रही है। विधानसभा चुनाव से लेकर महापौर की राजनीति तक, दोनों गुट बार-बार आमने-सामने आ चुके हैं।
सांस्कृतिक आयोजन पर सियासी साया
धार्मिक उत्सव लोगों को जोड़ने का काम करते हैं, लेकिन यहां यह सियासी गुटबाजी और शक्ति प्रदर्शन का प्रतीक बन गया है। मुनगंटीवार गुट अपनी परंपरा और पकड़ दिखाना चाहता है। जोरगेवार गुट सत्ता संतुलन बदलने की कोशिश कर रहा है। प्रशासन और पुलिस बीच-बचाव की कोशिश में हैं, पर नेताओं की जिद जनता में असमंजस और तनाव फैला रही है।
बड़ा सवाल
विसर्जन शोभायात्रा में माहौल शांतिपूर्ण रहेगा या भाजपा की अंदरूनी गुटबाजी इसे रणभूमि बना देगी, इस पर पूरे शहर की निगाहें टिकी हैं।
