भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के भीतर एक बार फिर सियासी टकराव की चिंगारी भड़क उठी है। इस बार विवाद का केंद्र बने हैं चंद्रपुर के विधायक किशोर जोरगेवार, जिन पर गंभीर आरोप है कि उन्होंने सरकारी निधि का दुरुपयोग करते हुए अपने मित्र — जो एक सराफा और शराब वितरण कंपनी के संचालक हैं — के आलीशान निवास ‘हवेली गार्डन’ मार्ग पर स्थित नाले के पास सुरक्षा दीवार का निर्माण करवाया।
यह मामला तब और गर्मा गया जब भाजपा के ही वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने आगामी महाराष्ट्र विधानमंडल सत्र में इस प्रकरण को तारांकित प्रश्न के रूप में उठाने का निर्णय लिया। उन्होंने पूछा है:
» क्या सरकारी निधि से मित्र की सुरक्षा के लिए दीवार बनी?
» क्या यह सही है कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में ऐसी सुरक्षा दीवारें नहीं बनीं, जबकि एक निजी संपत्ति को प्राथमिकता दी गई?
» इस प्रकरण की जांच हुई है या नहीं?
» अगर नहीं, तो देरी के कारण क्या हैं?
» दोषियों पर क्या कार्रवाई हुई या होगी?
इन सवालों के मद्देनज़र आपदा प्रबंधन मंत्रालय ने संबंधित प्रशासन से रिपोर्ट तलब की है, और प्रशासनिक स्तर पर प्रारंभिक जांच शुरू हो चुकी है। इससे यह संकेत मिलता है कि भाजपा के भीतर मुनगंटीवार और जोरगेवार के बीच सियासी तलवारें एक बार फिर खिंच सकती हैं।
इस विवाद को और हवा तब मिली जब आम आदमी पार्टी (AAP) ने इस मुद्दे पर जोरदार प्रतिक्रिया देते हुए जिले के कलेक्टर कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई। आप का कहना है कि एक आम आदमी के पैसे का इस्तेमाल एक अमीर दोस्त की सुरक्षा के लिए किया गया, जो लोकतांत्रिक व्यवस्था के खिलाफ है।
इस प्रकरण को लेकर राजनीतिक गलियारों में हलचल है। यह मामला केवल भ्रष्टाचार या निधि के दुरुपयोग का नहीं, बल्कि सत्ता और सुविधा के गठजोड़ का प्रतीक बनता जा रहा है। भाजपा के भीतर यह आपसी कलह न केवल पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचा सकता है, बल्कि विपक्ष को भी हमलावर होने का नया मौका दे सकता है।
वर्तमान में सभी की निगाहें आगामी विधानमंडल अधिवेशन पर टिकी हैं, जहां मुनगंटीवार इस मुद्दे को जोरदार ढंग से उठाएंगे। यदि जांच में आरोप सिद्ध होते हैं, तो यह राज्य की राजनीति में बड़ा भूचाल ला सकता है।
