भाजपा में गुटबाजी की आड़ में OBC विरोध का शोर, ज़मीनी सच्चाई से परे सियासी चालबाज़ी
भारतीय जनता पार्टी (BJP) में चल रही गुटबाजी अब इतनी हावी हो चुकी है कि OBC विरोधी हवा खुद भाजपाईयों द्वारा चलाये जाने की चर्चा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ ही दिन पहले OBC जनगणना की घोषणा कर भाजपा को बहुसंख्य के समक्ष सबसे बड़े हिंतचिंतक के रूप में पेश किया। लेकिन चंद्रपुर जिले में वर्तमान में इसकी विपरीत स्थितियां नजर आ रही है।
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सूत्र बताते हैं कि स्थानीय भाजपा के कुछ लोगों की ओर से जिले में यह दुष्प्रचारित किया जा रहा है कि वर्तमान में चंद्रपुर शहर और ग्रामीण जिलाध्यक्ष पद पर नवनियुक्त किये गये चेहरों के चलते OBC पर कथित अन्याय हुआ है। लेकिन जिले की जनता समझदार है। जनता अभी भूली नहीं है कि भाजपा ग्रामीण जिलाध्यक्ष देवराव भोंगले को बरसों तक मौका दिया गया। पश्चात भाजपा ने उन्हें राजुरा से लड़ने का मौका दिया तो वे विधायक बन गये। इसके पूर्व भी OBC के संजय धोटे ही यहां विधायक हुआ करते थे। और तो और वरोरा की सीट पर भी OBC चेहरा अर्थात करण देवतले को मौका दिया तो वे वरोरा से विधायक बन गये। कांग्रेस के विरोधी दल नेता विजय वडेट्टीवार को कड़ी टक्कर देने वाला चेहरा श्रीकृष्ण सहारे भी OBC ही है। जनता को यह भी याद है कि चंद्रपुर शहर जिलाध्यक्ष के पद पर OBC चेहरा राहुल पावडे को बरसों से मौका दिया गया। वहीं OBC के डॉ. मंगेश गुलवाडे भी शहर जिलाध्यक्ष रहे। ऐसे में OBC पर इस बार अन्याय किये जाने की बात कहना महज एक राजनीतिक षड़यंत्र प्रतीत होता है। OBC विरोधी हवा भाजपा के भितर, चंद ऐसे लोगों की ओर से माहौल बनाया जा रहा है जो कुर्सी पाने के लिए लालायित है। अल्पसंख्यक एवं सवर्ण समाज के वरिष्ठ कार्यकर्ता व नेता बरसों से भाजपा की सेवा में लगे हैं, ऐसे में उनके नेतृत्व को नकारने की हवा बनाना महज एक राजनीतिक दांव-पेंच के अलावा कुछ नहीं हो सकता।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की चंद्रपुर जिला इकाई में हाल ही में हुई नियुक्तियों ने राजनीतिक हलकों में जबरदस्त हलचल मचा दी है। पार्टी ने शहरी जिलाध्यक्ष पद पर विधायक किशोर जोरगेवार गुट के समर्थक सुभाष कासनगोट्टूवार की नियुक्ति की है, जबकि ग्रामीण जिलाध्यक्ष पद पर पूर्व मंत्री सुधीर मुनगंटीवार के करीबी हरीश शर्मा की पुनर्नियुक्ति की गई है। यह नियुक्तियाँ पार्टी के दोनों प्रमुख गुटों को साधने का एक स्पष्ट प्रयास मानी जा रही हैं। लेकिन इस संतुलनकारी प्रयास के बावजूद OBC के नाम पर कुर्सी हथियाने की कवायद के चलते भाजपा की छवि खराब हो रही है।
गुटीय राजनीति का गणित
पूर्व मंत्री सुधीर मुनगंटीवार का वर्षों से संगठन पर वर्चस्व रहा है, लेकिन इस बार विधायक जोरगेवार ने पहली बार उनके दबदबे को चुनौती दी। दोनों गुटों के टकराव के कारण नियुक्ति प्रक्रिया लंबी खिंची और आख़िरकार भाजपा की कोर कमिटी ने दोनों को संतुष्ट करने के लिए एक-एक पद उनके गुटों को देने का फार्मूला अपनाया। यहां तक बताया जाता है कि एक नेता ने तो अपने कार्यकर्ता को मौका नहीं दिये जाने पर सीधे अपना इस्तीफा देकर राजनीतिक सन्यास लेने की धमकी तक दे दी थी।
OBC नेतृत्व चंद्रपुर जिले में उपेक्षित नहीं
चंद्रपुर जिले में ओबीसी और विशेष रूप से कुणबी समाज का भारी मतदाता आधार है। अब जब दोनों अहम पद अल्पसंख्यक समुदाय को दिए गए हैं, तो कुर्सी पाने के चक्कर में भाजपा के भितर की लड़ाई OBC के नाम पर ही लड़ी जा रही है। लेकिन वे इस बात को भूल रहे हैं कि सैंकड़ों ऐसे OBC चेहरे हैं जो वर्तमान में भाजपा में ही विधायक बन बैठे हैं। इसके पूर्व भी OBC चेहरों को ही पार्टी का नेतृत्व सौंपा गया था। OBC के नाम पर अल्पसंख्यक और सवर्ण नेतृत्व को सीरे से खारिज करना अनुचित है।