25 वर्षों के वर्चस्व को जोरगेवार के जोर ने तोड़ा
राजनीति एक ऐसी बिसात है जहां कब किसका पलड़ा भारी हो जाएगा और कब कौन मात खा जाएगा, यह कोई बता नहीं सकता। अनिश्चितता के इस राजनीतिक खेल में एक समय गुरू-शिष्य की परंपरा में रहे भाजपा के 2 नेताओं के बीच बीते कुछ वर्षों से अनबन इस हद तक पहुंच गई कि अब आम कार्यकर्ताओं को भी इसकी स्पष्ट लकीरें दिखाई पड़ रही है। भाजपा की एकजुटता वाली मजबूत दीवार में एक छेद नजर आ रहे हैं। चंद्रपुर शहर जिलाध्यक्ष पद अपने पाले में खींच लेने में कामयाब रहे विधायक किशोर जोरगेवार, घुग्घुस में करीब 25 वर्षों से एकछत्र राज करने वाले विधायक सुधीर मुनगंटीवार के गुट को तगड़ा झटका देते हुए यहां अपने खेमे के संजय तिवारी को वे शहराध्यक्ष बनाने में कामयाब रहे। इसके चलते राजुरा विधायक विधायक देवराव भोंगले एवं विवेक बोढ़े का राजनीतिक वर्चस्व घुग्घुस में दरक गया।
घुग्घूस शहर : जहां बदली भाजपा की कमान
घुग्घूस, जिसे जिले की औद्योगिक नगरी माना जाता है, यहां भाजपा की कमान करीब 25 वर्षों से मुनगंटीवार समर्थक देवराव भोंगले के पास थी। शहर अध्यक्ष पद पर लगातार उनके करीबी जैसे विवेक बोढे, शंकर पूनम और विनोद चौधरी का वर्चस्व रहा। विधायक मुनगंटीवार के सेवा केंद्र के निर्देशों पर ही शहर की भाजपा इकाई कार्य करती थी। लेकिन विधानसभा चुनाव में जोरगेवार की जीत के बाद एक-एक कर प्रमुख नेता उनके खेमे में शामिल होते गए। नतीजा यह रहा कि 25 वर्षों बाद शहर अध्यक्ष पद जोरगेवार खेमे के पास चला गया और हाल ही में संजय तिवारी को यह जिम्मेदारी दी गई, जो हंसराज अहीर के साथ-साथ जोरगेवार के भी कट्टर समर्थक माने जाते हैं।
गुरु-शिष्य अब राजनीतिक ध्रुवों पर आमने-सामने
चंद्रपुर जिले की राजनीति में एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के भीतर अंतर्विरोध और गुटबाजी की लहरें तेज होती नजर आ रही हैं। वर्ष 2014 तक गुरु-शिष्य जैसे संबंधों में बंधे भाजपा के वरिष्ठ नेता सुधीर मुनगंटीवार और किशोर जोरगेवार आज राजनीतिक ध्रुवों पर आमने-सामने हैं। ताजा घटनाक्रमों से स्पष्ट है कि भाजपा अब चंद्रपुर में दो गुटों में बंट चुकी है – एक तरफ मुनगंटीवार समर्थक, दूसरी ओर जोरगेवार खेमा। कभी मुनगंटीवार के करीबी माने जाने वाले जोरगेवार ने 2014 के बाद भाजपा छोड़ दी थी और 2019 में निर्दलीय विधायक बने। हालांकि 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने मुनगंटीवार के लिए प्रचार कर पुराने समीकरणों को फिर से जोड़ने की कोशिश की। लेकिन विधानसभा चुनावों में समीकरण बदल गए। मुनगंटीवार ने अपने कट्टर समर्थक बृजभूषण पाझरे को टिकट दिलाने के लिए दिल्ली तक प्रयास किए, मगर भाजपा आलाकमान ने चंद्रपुर से जोरगेवार को उम्मीदवार घोषित किया। जोरगेवार ने भाजपा में प्रवेश कर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। दूसरी ओर, बृजभूषण पाझरे ने बागी बनकर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरने का निर्णय लिया, लेकिन हार का सामना करना पड़ा।
घुग्घुस नगर परिषद चुनाव की दस्तक पर संकट
वर्तमान में भाजपा के भीतर दो गुटों की स्पष्ट रेखा बन गई है। विवेक बोढे की घुग्घूस शहर में पकड़ अब कमजोर होती नजर आ रही है, क्योंकि वह अब अपने गुरु विधायक भोंगले के साथ राजुरा विधानसभा क्षेत्र में ज्यादा सक्रिय हैं। उधर, जोरगेवार खेमे ने घुग्घुस शहर में संगठनात्मक पकड़ मजबूत कर ली है। अब सवाल यह उठता है कि आगामी नगर परिषद चुनावों में क्या भाजपा इन अंतर्विरोधों को सुलझाकर एकजुट हो पाएगी, या फिर मुनगंटीवार सेवा केंद्र बनाम जोरगेवार खेमा आमने-सामने होंगे?
भाजपा की गुटबाजी से कांग्रेस को मिलेगी बढ़त
यह ध्यान देने योग्य है कि अब तक लोकसभा और विधानसभा दोनों ही चुनावों में भाजपा को कांग्रेस से कम वोट मिले हैं। ऐसे में यदि भाजपा गुटबाजी का शिकार बनी रही, तो आगामी चुनावों में कांग्रेस को दोबारा बढ़त मिल सकती है। चंद्रपुर भाजपा आज एक ऐसे मोड़ पर खड़ी है, जहां उसे संगठन की एकजुटता और दिशा-दर्शन पर पुनः विचार करना होगा। अन्यथा, मुनगंटीवार और जोरगेवार की आपसी खींचतान न केवल पार्टी को कमजोर करेगी, बल्कि विपक्ष को मजबूत करने का अवसर देगी। आने वाले कुछ महीनों में नगर परिषद चुनाव की अधिसूचना के बाद, यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा के दोनों गुट रणनीति बनाकर एक साथ आते हैं या यह सत्ता संघर्ष और गहराता है।
News Title: Bjp Ghugus Sanjay Tiwari from Kishor Jorgewar faction outweighsVivek Bodhe of the Sudhir Mungantiwar camp!
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