महाविकास अघाड़ी को तगड़ा झटका, बगावत और अंदरूनी कलह ने बिगाड़ी कांग्रेस की रणनीति
महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर चंद्रपूर से बड़ा झटका सामने आया है। चंद्रपूर जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक की अध्यक्ष पद की दौड़ में अब तस्वीर साफ हो चुकी है कि महायुति (भाजपा-शिवसेना शिंदे गुट-राष्ट्रवादी) का उम्मीदवार अध्यक्ष बनने जा रहा है। लेकिन यह जीत सिर्फ एक चुनावी नतीजा नहीं, बल्कि महाविकास अघाड़ी के लिए गहरे राजनीतिक नुकसान का संकेत भी है।
‘सेनापति’ का पाला बदलना बना निर्णायक मोड़
चुनाव परिणाम आने से पहले ही सबसे बड़ा ट्विस्ट तब आया जब उद्धव ठाकरे की शिवसेना के जिलाध्यक्ष ने भाजपा में प्रवेश कर लिया। इस घटनाक्रम ने महाविकास अघाड़ी की पूरी रणनीति को धराशायी कर दिया। यह सिर्फ एक सदस्य का पाला बदलना नहीं था, बल्कि पूरे समीकरण को बदलने वाला ‘डाव’ साबित हुआ।
इस अवसर पर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष रवींद्र चव्हाण की मौजूदगी ने इस बदलाव को औपचारिक और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बना दिया। साथ ही चंद्रपूर के भाजपा विधायक बंटी भांगडिया, किशोर जोरगेवार और करण देवतले भी इस मौके पर मौजूद थे।
भांगडिया की रणनीति: पर्दे के पीछे का मास्टरस्ट्रोक
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि विधायक बंटी भांगडिया ने पहले ही कई अहम लोगों को महायुति में लाने का काम किया था। उन्होंने चुपचाप चुनाव पूर्व जोड़तोड़ कर माहौल महायुति के पक्ष में कर दिया। सांसद प्रतिभा धानोरकर का निर्विरोध चुना जाना और कांग्रेस में अंदरूनी कलह उनकी रणनीति की सफलता को दर्शाता है।
महाविकास अघाड़ी: रणनीति फेल, असंतोष सतह पर
इस चुनाव में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विजय वडेट्टीवार और सांसद प्रतिभा धानोरकर ने अपने मतभेद भुलाकर एकजुटता दिखाने की कोशिश की थी। लेकिन यह एकता सतही साबित हुई। चंद्रपूर जिला कांग्रेस सेवा दल के अध्यक्ष सूर्यकांत खणके ने खुलेआम नेतृत्व पर आरोप लगाते हुए सभी पदों से इस्तीफा दे दिया, जिससे कांग्रेस की अंदरूनी दरारें उजागर हो गईं।
कांग्रेस ने यह दावा किया था कि बँके के पूर्व अध्यक्ष (जो सुभाष धोटे के भाई हैं) का नामांकन वापस लेना एक रणनीति का हिस्सा था, लेकिन अब यह दावा खोखला प्रतीत हो रहा है।
कौन जीता, कौन हारा – असली तस्वीर
चुनाव परिणाम में महायुति समर्थक पैनल से 9 संचालक विजयी हुए हैं। वहीं, कांग्रेस समर्थकों ने भी बहुमत का दावा किया, लेकिन उद्धव सेना के जिलाध्यक्ष का भाजपा में शामिल होना निर्णायक कारक बन गया है। इससे यह तय हो गया है कि अध्यक्ष की कुर्सी पर महायुति का ही व्यक्ति विराजमान होगा।
पूर्व अध्यक्ष रवींद्र शिंदे को पुनः नामांकित किए जाने की चर्चा है, जिससे उनके फिर से अध्यक्ष बनने की संभावना प्रबल हो गई है।
चंद्रपूर जिला सहकारी बैंक का यह चुनाव न सिर्फ स्थानीय सत्ता समीकरण को दर्शाता है, बल्कि महाराष्ट्र की बड़ी राजनीतिक तस्वीर का भी संकेत देता है। भाजपा की रणनीतिक आक्रमकता, उद्धव गुट में बगावत और कांग्रेस की विफल एकता—इन तीनों की कहानी ने इस परिणाम को जन्म दिया। आगामी स्थानीय चुनावों में इसका प्रभाव स्पष्ट रूप से दिख सकता है।
