महाजेनको की वॉशरीज़ से धुले गए उच्च गुणवत्ता वाले कोयले को ‘रिजेक्ट’ घोषित कर खुली बाज़ार में बेचा गया; सरकार को हजारों करोड़ का नुकसान।
महाराष्ट्र विधानसभा में आज एक बड़ा राजनीतिक भूकंप आया जब भाजपा विधायक किशोर जोरगेवार ने कोयला घोटाले को लेकर भ्रष्टाचार का गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि राज्य की बिजली उत्पादन कंपनी महाजेनको की कोल वॉशरीज द्वारा धोए गए उच्च गुणवत्ता वाले कोयले को जानबूझकर ‘रिजेक्ट कोल’ बताकर बाज़ार में बेचा जा रहा है, जिससे सरकारी खजाने को भारी चूना लगाया गया है।
क्या है पूरा मामला?
राज्य के WCL, MCL, SCEL, MECL, SCCL, जैसी कोयला खदानों से हर साल करीब 13.78 करोड़ टन कोयला निकाला जाता है। इस कोयले की गुणवत्ता सुधारने के लिए महाजेनको ने निजी वॉशरी कंपनियों को कोयला धुलाई का ठेका दिया।
परंतु, विधायक जोरगेवार ने दावा किया कि इन वॉशरीज से निकले उच्च गुणवत्ता के कोयले को रिजेक्ट कोल बताकर कम कीमत पर बाजार में बेचा गया है। इस घोटाले में लगभग 2.75 करोड़ टन कोयला, जिसका बाजार मूल्य प्रति टन 5,000 रुपये के आस-पास है, अवैध रूप से निजी कंपनियों को बेचा गया।
कितना बड़ा नुकसान?
इस प्रक्रिया से राज्य सरकार को करीब 13,000 करोड़ रुपये का सीधा नुकसान हुआ है। यह अब तक का सबसे बड़ा कोयला घोटाला माना जा रहा है।
विधानसभा में जोरदार मांग
जोरगेवार ने इस मुद्दे को औचित्य के प्रश्न के रूप में विधानसभा में उठाया और इस पूरे घोटाले की स्वतंत्र और उच्चस्तरीय जांच की मांग की। साथ ही उन्होंने सुझाव दिया कि भविष्य में इस प्रकार की धोखाधड़ी से बचने के लिए कोल वॉशरीज को बिजली परियोजनाओं के पास ही स्थापित किया जाए।
राजनीतिक हलचल और संभावित कार्रवाई
यह खुलासा महाराष्ट्र सरकार के लिए मुश्किलें बढ़ा सकता है। विपक्ष अब इस मुद्दे को लेकर सत्तारूढ़ दल पर हमलावर रुख अपना सकता है। यदि जांच होती है और आरोप सही पाए जाते हैं तो यह मामला केंद्र स्तर तक उछल सकता है।
