कांग्रेस की तिरंगा यात्रा के दौरान चंद्रपुर में एक बड़ा राजनीतिक बवाल खड़ा हो गया जब महाराष्ट्र विधानसभा में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री विजय वडेट्टीवार ने मध्यप्रदेश के मंत्री विजय शाह पर बेहद आपत्तिजनक भाषा में हमला बोला। उन्होंने बीजेपी मंत्री को “हरामखोर” और “नालायक” कहकर न केवल तीखा राजनीतिक बयान दिया, बल्कि पूरे देश की सियासत में एक नया विवाद छेड़ दिया है।
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विवाद की जड़: कर्नल सोफिया कुरेशी पर टिप्पणी
वडेट्टीवार का आरोप है कि भाजपा के मंत्री विजय शाह ने देश की शान, कर्नल सोफिया कुरेशी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की। कर्नल कुरेशी, जिनके परिवार की चार पीढ़ियाँ भारतीय सेना में सेवा दे चुकी हैं, हाल ही में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान दिखाए गए शौर्य के कारण चर्चा में आई थीं।
वडेट्टीवार ने कहा, “सैनिकों के सम्मान की बात करने के बजाय विजय शाह जैसे मंत्री सेना की काबिल अफसर का अपमान करते हैं। भाजपा ऐसे हरामखोर और नालायक मंत्रियों को अपनी पार्टी में बनाए रखती है, यही देश की राजनीति की सबसे बड़ी त्रासदी है।”
तिरंगा यात्रा: एकता का प्रतीक या राजनीतिक मंच?
यह तीखा बयान चंद्रपुर शहर में आयोजित तिरंगा यात्रा के दौरान आया, जिसका आयोजन शहीदों को श्रद्धांजलि और सैनिकों के सम्मान के लिए किया गया था। बारिश के बावजूद बड़ी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ता यात्रा में शामिल हुए। यात्रा की शुरुआत गांधी चौक से हुई, जहां महात्मा गांधी की प्रतिमा को पुष्पांजलि अर्पित की गई। यात्रा में विजय वडेट्टीवार, सांसद प्रतिभा धानोरकर, विधायक अभिजित वंजारी, विधायक सुधाकर अडबाले, जिल्हाध्यक्ष सुभाष धोटे, शहराध्यक्ष रितेश तिवारी, विनायक बांगडे, प्रवीण पडवेकर, नंदू नागरकर, सुनीता लोढिया, चंद्रपूर जिल्हा बँके अध्यक्ष संतोष सिंह रावत, सतिश वारजूरकर, महिला काँग्रेस अध्यक्ष सुनंदा धोबे, वैरागडे, अमजद अली, प्रशांत भारती, राजूरेड्ड तथा जिले के अन्य प्रमुख नेता शामिल हुए। ‘भारत माता की जय’, ‘वीर जवान अमर रहें’ जैसी घोषणाओं के बीच सैनिकों का सम्मान किया गया।
राजनीतिक समीकरणों में उलटफेर: वडेट्टीवार और धानोरकर एक साथ
तिरंगा यात्रा ने केवल राष्ट्रीय भावना का संचार ही नहीं किया, बल्कि कांग्रेस के आंतरिक मतभेदों को भी सार्वजनिक रूप से पाटने का मंच बन गया। वडेट्टीवार और सांसद प्रतिभा धानोरकर, जिनके बीच लंबे समय से टकराव की स्थिति थी, पहली बार एक साथ मंच पर नजर आए। यह दृश्य कांग्रेस में एक नई एकजुटता का संकेत माना जा रहा है, खासकर लोकसभा व विधानसभा चुनाव के बाद जब पार्टी गुटबाजी से जूझ रही थी।
भाजपा की चुप्पी पर उठे सवाल
वडेट्टीवार ने भाजपा पर हमला करते हुए यह भी कहा कि, “जब ऐसे मंत्री अपमानजनक टिप्पणी करते हैं, तो भाजपा उन्हें बाहर नहीं करती। इससे साफ जाहिर होता है कि पार्टी का असली चेहरा क्या है।” उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि क्या भाजपा में देशभक्ति का मतलब केवल सियासी फायदे तक सीमित है?
राजनीतिक हलचल और संभावित परिणाम
वडेट्टीवार के इस तीखे बयान ने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है। यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा की तरफ से इस बयान का क्या जवाब आता है। वहीं कांग्रेस इस यात्रा के जरिए पार्टी के अंदर टूट को जोड़ने और जनता के बीच अपनी छवि को फिर से मजबूत करने की कोशिश करती दिख रही है।
तिरंगा यात्रा के मंच से निकली यह आग अब केवल चंद्रपुर या महाराष्ट्र तक सीमित नहीं रहेगी। विजय वडेट्टीवार के बयान ने राजनीतिक गलियारों में गर्मी बढ़ा दी है। जहां एक ओर सेना का सम्मान और राष्ट्रीय भावना की बात की गई, वहीं दूसरी ओर शब्दों की तल्खी ने एक नई बहस को जन्म दे दिया – क्या राजनीति में मर्यादा अब बीते दिनों की बात हो गई है?