सियासी पारा कार्यकर्ताओं के सिर चढ़कर बोलने लगा है। फिलहाल तक तो चंद्रपुर जिले की सभी सीटें निर्धारित नहीं हो पायी है। लेकिन अभी से बगावत के सूर सुनाई दे रहे हैं। खासकर कांग्रेस में बागी उम्मीदवारों के बगावत करने की आशंका बढ़ गई है। चर्चा है कि वरोरा विधानसभा से यदि कांग्रेस की टिकट स्व. बालू धानोरकर के बड़े भाई अनिल धानोरकर को नहीं दी गई तो वे निर्दलीय होकर चुनाव लड़ने के लिए भी तैयार है। यही हाल चंद्रपुर का भी है। चंद्रपुर की कांग्रेस की सीट यदि राकांपा के शरद पवार गुट को जाती है तो यहां से कांग्रेस नेता राजू झोड़े बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं। लगभग यही आलम बल्लारपुर का भी है। यदि बल्लारपुर में कांग्रेस कोटे की सीट ठाकरे गुट के शिवसेना को गई तो कांग्रेस नेता डॉ. अभिलाषा गावतूरे निर्दलीय चुनाव लड़ेंगी। हालांकि उक्त तीनों नेताओं ने यह बयान नहीं दिये हैं। लेकिन उनके करीबी कार्यकर्ताओं की ओर से खुलेआम यह दावा और भरोसा दिलाया जा रहा है। इसके चलते कांग्रेस की टिकट नहीं मिलने पर बगावत के बादल मंडरा रहे हैं। इसका लाभ किसे मिलेगा, यह तो वक्त ही बताएगा।
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चंद्रपुर की राजनीति में शतरंज की बिसात बिछाई जा चुकी हैं। मुंबई और दिल्ली में फांसे फेंके जा रहे हैं। नेतागण अपने-अपने करीबियों के माध्यम से नये-नये पैत्रों व चालों को चलकर आगे बढ़ रहे हैं। इन चालों के जाल में कौन फंसेंगा, किसको मिलेगी जीत और कौन खाएगा मात, यह तो चंद दिनों में ही स्पष्ट हो जाएगा। परंतु नेताओं के साथ जो कार्यकर्ता मुंबई और दिल्ली नहीं जा पाएं हैं, वे अपने-अपने अजीज नेता के पक्ष में जनता को हौसला दे रहें हैं। इन कार्यकर्ताओं की ओर से दावा किया जा रहा है कि अगर पार्टी टिकट नहीं देगी तो हमारे नेता अपने बल पर ही निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे। कांग्रेस से बगावत करने के बाद भी जीत उनकी ही होगी। कार्यकर्ताओं के इन दावों के चलते राजनीतिक दलों के नेताओं की सांसें भी फूलने लगी है। क्योंकि अगर बगावत होती है तो इसका खामियाजा यकीनन राजनीतिक दल को ही भुगतना पड़ेगा।
चंद्रपुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। यहां बीते चुनाव में निर्दलीय विधायक किशोर जोरगेवार ने भारी मतों से जीत का सेहरा पहना था। लेकिन इस बार वे राकांपा के शरद पवार गुट में पक्ष प्रवेश करने की विश्वसनीय जानकारी सामने आ रही है। संभवत: वे कल राकांपा में प्रवेश ले सकते हैं। ऐसे में कांग्रेस के कोटे की चंद्रपुर की सीट यदि राकांपा को जाती है तो कांग्रेस से चंद्रपुर का चुनाव लड़ने वाले अनेक चेहरों पर निराशा का भाव उभरना स्वाभाविक है। इनमें से कांग्रेस नेता राजू झोडे की ओर से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ने की तैयारी होने की जानकारी उनके कार्यकर्ताओं की ओर से मिल रही है। यदि ऐसा होता है कि यहां काटे की टक्कर होगी। हो सकता है कि भाजपा सीधे तीसरे नंबर पर खीसक जाएं।
बल्लारपुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र महाराष्ट्र की दृष्टि से बेहद खास है। क्योंकि यहां राज्य के दिग्गज नेता के रूप में पहचाने जाने वाले भाजपा के वरिष्ठ नेता सुधीर मुनगंटीवार गत 15 वर्षों से प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। प्रमुख मंत्री पदों की जिम्मेदारी संभालते हुए उन्होंने करोड़ों की निधि तो लायी लेकिन वर्तमान में उनके खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए इच्छुक उम्मीदवारों की लिस्ट काफी लंबी हो चली है। यहां के कांग्रेस कोटे की सीट उद्धव ठाकरे गुट के शिवसेना को जाने की आशंका है। यदि ऐसा होता है ताे कांग्रेस नेता डॉ. अभिलाषा गावतूरे जो बीते अनेक वर्षों से सामाजिक कार्यों में आगे आकर कांग्रेस का दामन थामा था कि उन्हें उनके कार्य और नेतृत्व को देखते हुए बल्लारपुर की टिकट मिल जाएगी। परंतु शिवसेना नेता संदीप गिरहे को यदि टिकट दिया जाता है तो डॉ. गावतूरे यहां से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ सकतीं हैं। ऐसा उनके कार्यकर्ताओं की ओर से दावा किया जा रहा है। इस सूरत में भी बल्लारपुर में चुनावी मुकाबला कड़ा होगा।
सबसे दिलचस्प स्थिति इस समय वरोरा में देखने को मिल रही है। कांग्रेस सांसद प्रतिभा धानोरकर को अपने स्वर्गिय पति बालू धानोरकर के बड़े भाई अनिल धानोरकर और उनके खुद के छोटे भाई प्रवीण काकडे में से किसी एक को चुनने की स्थिति पैदा हुई। प्रतिभा धानोरकर का रुझान जेठ के बजाय अपने सगे भाई की ओर अधिक है। इस स्थिति के चलते कांग्रेस में बगावत की चिंगारियां आम कार्यकर्ताओं में से भी उठ रही है। प्रवीण काकडे का जहां विरोध हो रहा है, वहीं अनिल धानोरकर को इस टिकट के लिए काबिल के अलावा पहला हकदार माना जा रहा है। परंतु भाई के प्रेम और राजनीतिक बिसात में सांसद प्रतिभा धानोरकर कहां तक सफल हो पाती है, यह कहा नहीं जा सकता। यदि टिकट बंटवारे के समय अनिल धानोरकर को टिकट नहीं दी जाएगी तो वे निर्दलीय होकर चुनाव लड़ेंगे और कांग्रेस को इसका सबसे अधिक नुकसान भोगना पड़ेगा। यह बात तो तय है।