चंद्रपुर जिले की सहकारिता राजनीति में शुक्रवार (27 जून) को उस वक्त बड़ा राजनीतिक भूचाल आ गया, जब बहुचर्चित जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक चुनाव में कुल 113 उम्मीदवारों ने नामांकन वापस ले लिया, जिनमें विधायक विजय वडेट्टीवार और किशोर जोरगेवार जैसे दिग्गज नेता भी शामिल हैं। इस घटनाक्रम से जहां 13 उम्मीदवार निर्विरोध चुन लिए गए, वहीं शेष 7 पदों के लिए अब केवल 23 उम्मीदवार ही मैदान में बचे हैं।
नामांकन वापसी ने बदला सारा गणित
इस चुनाव में शुरू में 213 नामांकन दाखिल हुए थे, जिनमें से 155 वैध पाए गए। लेकिन 6 नामांकन कोर्ट द्वारा अमान्य घोषित किए गए। इसके बाद, जैसे ही एकसाथ 113 उम्मीदवारों ने नाम वापस लिए, पूरा चुनावी परिदृश्य बदल गया। यह स्पष्ट हो गया कि पर्दे के पीछे कोई बड़ी रणनीति खेली गई है।
ऐतिहासिक बना यह चुनाव: पहली बार सांसद और तीन विधायक मैदान में
इस बार का चुनाव इसलिए भी ऐतिहासिक माना जा रहा है क्योंकि पहली बार सांसद प्रतिभा धानोरकर, विधायक बंटी भांगडिया, विजय वडेट्टीवार, किशोर जोरगेवार, और पूर्व विधायक सुभाष धोटे जैसे चेहरे इस रणभूमि में कूदे। मगर नामांकन वापसी के चलते अब केवल सात पदों की लड़ाई शेष रह गई है।
विलास मोगरकार: अदालत से लेकर संचालक पद तक का प्रेरणादायक सफर
देवाडा खुर्द (पोंभुर्णा) के विलास मोगरकार की जीत इस चुनाव की सबसे प्रेरणादायक कहानी बनकर उभरी है। विरोधियों ने उन्हें चुनाव से बाहर करने के लिए तेलंगाना तक साजिश रची, लेकिन वहां से मुख्यमंत्री रेवंथ रेड्डी का समर्थन मिला। जब मोगरकार का नामांकन कानूनी पेंच में फंसा, तो उन्होंने न्यायालय का रुख किया और फैसला उनके पक्ष में गया। अब वे निर्विरोध संचालक चुने गए हैं।
निर्विरोध निर्वाचित 13 चेहरे: सत्ता और सहमति की मिसाल
1) प्रतिभा धानोरकर, सांसद
2) संतोषसिंह रावत, पूर्व अध्यक्ष
3) रविंद्र शिंदे, सहकारी नेता
4) संदीप गड्डमवार, सहकार विशेषज्ञ
5) संजय डोंगरे, वरिष्ठ संचालक
6) डॉ. अनिल वाढई, शैक्षणिक पृष्ठभूमि
7) गणेश तर्वेकर, समाजसेवी
8) आवेश पठाण, उद्यमी वर्ग से
9) नागेश्वर ठेंगणे, ओबीसी प्रतिनिधि
10) विलास मोगरकर, कानूनी योद्धा
11) नंदा अल्लूरवार, महिला सशक्तिकरण चेहरा
12) शेखर धोटे, कोऑपरेटिव रणनीतिकार
13) दामोदर मिसार, वरिष्ठ समाजसेवी
राजनीतिक गठजोड़ों की गुप्त गाथा
भाजपा ने दावा किया कि 13 में से 6 निर्विरोध उम्मीदवार उनके समर्थक हैं, जबकि रावत गुट का कहना है कि 9 विजेता उनके खेमे से हैं। 27 जून की रात सांसद धानोरकर, विधायक भांगडिया, पूर्व विधायक धोटे, और रावत के बीच गुप्त बैठकें चलीं। पर यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि आखिरकार किस समीकरण पर अंतिम सहमति बनी।
अब अगली टक्कर इन 7 पदों पर
पद श्रेणी स्थान गट/कोटा
संचालक पद वरोरा अ गट
संचालक पद चंद्रपुर ओबीसी
संचालक पद सिंदेवाही अनुसूचित जाति
संचालक पद चंद्रपुर अनुसूचित जनजाति
संचालक पद वरोरा एनटी
संचालक पद सिंदेवाही ब २
संचालक पद चंद्रपुर अ गट (सामान्य)
30 जून को अंतिम सूची जारी होगी, 10 जुलाई को मतदान, और 11 जुलाई को मतगणना होगी।
सहकारिता में भी ‘सियासी चाणक्य’ का दौर शुरू
इस चुनाव से साफ है कि अब सहकारी संस्थाएं भी स्थानीय सत्ता का बड़ा आधार बन चुकी हैं। जहां एक ओर गठबंधनों की चालबाज़ी ने बड़ी हस्तियों को पीछे हटने पर मजबूर किया, वहीं विलास मोगरकार जैसे जमीनी नेता उभर कर सामने आए। राजनीतिक गठजोड़ों, कानूनी लड़ाइयों और रणनीतिक बैठकों ने यह सिद्ध कर दिया है कि सहकारिता अब ‘सॉफ्ट पॉलिटिक्स’ नहीं, बल्कि पावर पॉलिटिक्स का नया मैदान बन चुकी है।
