चंद्रपुर जिला मध्यवर्ती सहकारी (CDCC Bank) बैंक में भारी भ्रष्टाचार का खुलासा होने के बाद अब इस घोटाले की जांच SIT (विशेष जांच दल) करेगी। महाराष्ट्र विधानसभा में मंगलवार (25 मार्च) को पूर्व मंत्री और भाजपा विधायक सुधीर मुनगंटीवार ने इस घोटाले को लेकर सरकार से कड़ी कार्रवाई की मांग की। गृह राज्यमंत्री डॉ. पंकज भोयर ने इस पर जवाब देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री की मंजूरी से एसआईटी जांच करवाई जाएगी।
बैंक में घोटाले की हद पार, खातों से गायब हुए करोड़ों रुपये!
विधायक सुधीर मुनगंटीवार ने विधानसभा में बताया कि
चंद्रपुर जिला सहकारी बैंक में भ्रष्टाचार इस कदर बढ़ चुका है कि आम ग्राहक की गाढ़ी कमाई तक सुरक्षित नहीं है। खाताधारकों के खाते से पैसे अचानक गायब हो जाते हैं, नौकरियों की भर्ती में जमकर घोटाले किए जाते हैं और आरक्षण नीति को पूरी तरह दरकिनार कर दिया जाता है।
उन्होंने कहा, “अगर इन भ्रष्टाचारियों का खून किसी पैथोलॉजी में जांचा जाए, तो उसमें हीमोग्लोबिन नहीं, बल्कि सिर्फ भ्रष्टाचार ही मिलेगा!”
सुप्रीम कोर्ट के आदेश का भी पालन नहीं
मुनगंटीवार ने सुप्रीम कोर्ट के 17 मार्च 2025 के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि किसी भी खाताधारक की गलती न होते हुए यदि उसके खाते से पैसे निकाले जाते हैं, तो बैंक को तुरंत वह राशि वापस करनी चाहिए। लेकिन चंद्रपुर जिला सहकारी बैंक ने ऐसा नहीं किया, जिससे साफ पता चलता है कि बैंक के अधिकारियों और कर्मचारियों की इसमें मिलीभगत है।
आरक्षण के नियमों की खुली धज्जियां
इस घोटाले में सिर्फ वित्तीय अनियमितताएं ही नहीं, बल्कि संविधान द्वारा दिए गए अधिकारों का भी उल्लंघन हुआ है। विधायक मुनगंटीवार ने कहा कि इस बैंक में नौकरियों की भर्ती में दिव्यांगों, महिलाओं, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण नियमों को पूरी तरह नजरअंदाज किया गया।
उन्होंने आरोप लगाया कि नौकरियों की भर्ती में पैसे लेकर धांधली की गई। परीक्षा केंद्रों पर जानबूझकर अव्यवस्था फैलाई गई ताकि इच्छित उम्मीदवारों को फायदा पहुंचाया जा सके। इस गड़बड़ी को लेकर कई संगठनों ने विरोध प्रदर्शन और भूख हड़ताल भी की, लेकिन भ्रष्टाचारियों पर इसका कोई असर नहीं पड़ा।
सरकार ने दी एसआईटी जांच को मंजूरी
मुनगंटीवार ने इस गंभीर घोटाले पर सरकार से विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने की मांग की। इस पर गृह राज्यमंत्री डॉ. पंकज भोयर ने आश्वासन दिया कि इस मामले में गहराई से जांच करवाई जाएगी। उन्होंने खुलासा किया कि इस बैंक के खातों को हैक कर 33 ग्राहकों के 3.70 करोड़ रुपये हरियाणा के एक अज्ञात खाते में ट्रांसफर किए गए। यह मामला साइबर क्राइम से भी जुड़ा है और इसमें कई बड़े नामों के शामिल होने की संभावना है।
राज्यमंत्री ने कहा, “मुख्यमंत्री की मंजूरी के बाद एसआईटी का गठन किया जाएगा, जो इस पूरे मामले की तह तक जाएगी और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”
बड़े खुलासे की उम्मीद, कई रसूखदार हो सकते हैं बेनकाब!
एसआईटी जांच के आदेश के बाद अब इस घोटाले के कई बड़े राज खुलने की संभावना है। माना जा रहा है कि इसमें बैंक के कई उच्चाधिकारी, भ्रष्ट कर्मचारी और राजनीतिक रसूखदारों की संलिप्तता हो सकती है। महाराष्ट्र में यह मामला अब राजनीतिक रूप से भी तूल पकड़ चुका है और जनता को उम्मीद है कि एसआईटी की निष्पक्ष जांच के बाद दोषियों को सजा मिलेगी और लूटे गए करोड़ों रुपये ग्राहकों को वापस किए जाएंगे।
अब देखना यह होगा कि यह जांच कब शुरू होती है और कितनी निष्पक्ष रहती है। क्या वाकई दोषियों पर गाज गिरेगी, या यह मामला भी अन्य घोटालों की तरह राजनीतिक बयानबाजी और फाइलों में दबकर रह जाएगा?