चंद्रपुर और घुग्घुस क्षेत्र के हज़ारों नझूल धारक नागरिकों की दशकों पुरानी मांग अब पूरी होने की कगार पर है। विधायक किशोर जोरगेवार की दृढ़ पहल और लगातार प्रयासों के बाद, महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने मुंबई मंत्रालय में आयोजित अहम बैठक में बड़ा फैसला लिया।
बैठक में मंत्री ने स्पष्ट आदेश दिए कि नझूल धारकों को स्थायी घरपट्टे देने की प्रक्रिया छह माह में पूरी की जाए। इसके लिए पांच अलग-अलग एजेंसियों को सर्वेक्षण कार्य सौंपा जाएगा, और इस पर आने वाला खर्च खनिज विकास निधि से उठाया जाएगा।
70 साल पुरानी समस्या का हल
चंद्रपुर शहर में करीब 39 झोपड़पट्टियां नझूल भूमि पर बसी हैं।
- इनमें से कई परिवार पिछले 50 से 70 वर्षों से रह रहे हैं, लेकिन उन्हें अब तक स्थायी पट्टे नहीं मिले थे। इस वजह से वे मूलभूत सुविधाओं और योजनाओं से वंचित रहे।
- अब तक केवल एक ही एजेंसी सर्वे कर रही थी, जिससे काम बेहद धीमी गति से चल रहा था। जोरगेवार ने इस मुद्दे को मजबूती से उठाया, जिसके बाद मंत्री
- बावनकुले ने पांच एजेंसियों की नियुक्ति का आदेश दिया।
- नतीजा : अब लगभग 18,000 घरों को स्थायी पट्टे मिलने का रास्ता साफ हो गया है।
बैठक में हुए अन्य बड़े निर्णय
- 700 नागरिकों को, जिनका सर्वेक्षण पूरा हो चुका है, तुरंत पट्टे देने का आदेश।
- घुग्घुस में उप-तहसील कार्यालय को मंजूरी – जिससे स्थानीय लोगों को प्रशासनिक कार्यों के लिए चंद्रपुर नहीं जाना पड़ेगा।
- स्वतंत्र तलाठी की नियुक्ति – नझूल मामलों को विशेष प्राथमिकता से निपटाने के लिए।
- खेल मैदान की मांग मंजूर – घुग्घुस के युवाओं के लिए लंबे समय से लंबित क्रीड़ांगण की बाधा दूर करने का आश्वासन।
- संजय गांधी योजना के लाभार्थियों को समय पर लाभ दिलाने हेतु तहसीलदारों की रिक्तियां तत्काल भरने का निर्देश।
राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव
विधायक किशोर जोरगेवार की लगातार पैरवी और ठोस भूमिका के चलते यह ऐतिहासिक निर्णय लिया गया है। यह कदम न केवल हजारों नागरिकों को राहत देगा, बल्कि चंद्रपुर-घुग्घुस क्षेत्र की राजनीति में जोरगेवार की पकड़ और मजबूत करेगा।
बैठक में भाजपा के चंद्रपूर जिलाअध्यक्ष सुभाष कासनगोट्टूवार, वरिष्ट नेता प्रकाश देवतळले, नामदेव डाहुले, भाजपा महामंत्री रवींद्र गुरनुले, शाम कनकम, सविताताई दंडारे, घुग्घुस शहराध्यक्ष संजय तिवारी, माजी नगरसेविका कल्पनाताई बगुलकर स्थानीय बड़े नेता, जनप्रतिनिधि और अधिकारी भी उपस्थित रहे, जिससे इस निर्णय को ‘जनता की जीत’ के रूप में देखा जा रहा है।
यह फैसला चंद्रपुर और घुग्घुस के नागरिकों के लिए नई सुबह की तरह है। दशकों से पट्टों के अभाव में जूझ रहे हजारों परिवार अब स्थायी हकदारी और निश्चित भविष्य की ओर बढ़ेंगे।
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