MLA जोरगेवार द्वारा 95 लाख में नाले पर बनाई दीवार ने विधानसभा में मचाया बवाल। विपक्ष ने इसे भ्रष्टाचार का नमूना बताया, सरकार सवालों में घिरी।
मित्रा’ को बचाने दी नाले की बलि? | मुनगंटीवार के तीखे सवाल | राठौड़ के जवाब ने बढ़ाई सरकार की फजीहत
महाराष्ट्र विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान बुधवार को भाजपा विधायक किशोर जोरगेवार द्वारा अपने व्यावसायिक ‘मित्रा’ के बंगले को बचाने के लिए नाले पर 95 लाख रुपए खर्च कर बनाई गई दीवार का मुद्दा जबरदस्त तरीके से गूंजा। विपक्ष ने इस मुद्दे को भ्रष्टाचार व सत्ता के दुरुपयोग से जोड़ते हुए सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया।
मुद्दा क्या है?
चंद्रपुर के हवेली गार्डन मार्ग पर स्थित विधायक जोरगेवार के करीबी के बंगले से सटे नाले पर बीते कुछ सप्ताहों में भारी-भरकम दीवार का निर्माण हुआ है। इस कार्य पर जलसंधारण विभाग ने 95 लाख रुपये खर्च किए, जिसका उद्देश्य कथित रूप से केवल बंगले की बाढ़ से सुरक्षा बताया जा रहा है — जबकि आसपास की झुग्गियों को कोई लाभ नहीं।
सियासी संग्राम कैसे शुरू हुआ?
विधानसभा में पूर्व मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता सुधीर मुनगंटीवार ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि यह दीवार नाले की प्राकृतिक चौड़ाई को कम कर रही है, जिससे आसपास की बस्तियों को खतरा है। उन्होंने जलसंधारण मंत्री संजय राठौड़ से पूछा: > “दीवार गलत नियोजन से बनी है, क्या निर्माण करने वाले अभियंता पर कार्रवाई की जाएगी? क्या सरकार इसकी मरम्मत का ठोस प्लान लाई है?”
मंत्री राठौड़ ने जवाब दिया कि नाले की चौड़ाई की जांच की जाएगी, और ज़रूरत पड़ी तो विस्तृत प्रस्ताव भेजा जाएगा। इस पर मुनगंटीवार ने तीखी प्रतिक्रिया दी: > “हम सजेशन नहीं, एक्शन चाहते हैं। नाले की प्राकृतिक चौड़ाई बरकरार रहे, इसकी गारंटी सरकार को देनी होगी।”
जोरगेवार की सफाई और पलटवार:
आलोचनाओं से घिरे जोरगेवार ने पलटवार करते हुए कहा कि यह काम झुग्गियों के लोगों की मांग पर हुआ और वडेट्टीवार नेता प्रतिपक्ष बनने की कोशिश कर रहे हैं, इसलिए सवाल उठा रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि जब वडेट्टीवार मंत्री थे, तब नाले पर 92 करोड़ रुपए के संरक्षण कार्य का प्रस्ताव लाया गया था।
यह विवाद सिर्फ एक दीवार का नहीं है — यह सत्ता के ज़रिए अपने करीबी को लाभ पहुंचाने के आरोप, विपक्ष के हमले, और सरकार के गोलमोल जवाबों का मुद्दा है।
विपक्ष के सवालों से स्पष्ट है कि मामला आगे बढ़ेगा, और सरकार पर भ्रष्टाचार, नियोजन की चूक और जनता के पैसों के दुरुपयोग का आरोप लगेगा।
राठौड़ का “सजेशन फॉर एक्शन” वाला जवाब सत्ता की दुविधा और दबाव को उजागर करता है। मुनगंटीवार और वडेट्टीवार की नाराज़गी, आगामी सत्र में और तीखी बहसों का संकेत देती है।
‘दीवार’ अब सिर्फ ईंट-पत्थर की नहीं, बल्कि राजनीतिक आक्षेपों की एक दीवार बन गई है, जो सत्ता और विपक्ष के बीच विश्वास, नियोजन और पारदर्शिता की परीक्षा बनकर खड़ी है।
