चंद्रपुर जिले में शराब पर प्रतिबंध हटने के बाद नए शराब लाइसेंसों की मंजूरी में करोड़ों रुपए के घोटाले का खुलासा हुआ है। इस मामले में कई शिकायतें राज्य सरकार को प्राप्त हुई हैं। इस पर विधायक सुधाकर अडबाले ने विधान परिषद में तारांकित प्रश्न के माध्यम से गंभीर सवाल उठाए।
इस पर जवाब देते हुए उपमुख्यमंत्री एवं राज्य उत्पादन शुल्क मंत्री अजित पवार ने माना कि लाइसेंस वितरण में अनियमितताओं की शिकायतें सरकार को प्राप्त हुई हैं। उन्होंने बताया कि इस मामले की गहन जांच के लिए विशेष जांच दल (SIT) गठित किया गया है, जिसे 31 जुलाई 2025 तक रिपोर्ट प्रस्तुत करने की समयसीमा दी गई है।
दारूबंदी के बाद बढ़ा भ्रष्टाचार:
2015 में चंद्रपुर में शराब पर प्रतिबंध लगाया गया था, लेकिन यह प्रतिबंध सिर्फ कागजों तक सीमित रहा। अवैध शराब तस्करी और नकली शराब की आपूर्ति में वृद्धि देखी गई। अंततः, राज्य सरकार ने 17 मई 2021 को दारूबंदी हटा दी। लेकिन इसके बाद नए लाइसेंसों के नाम पर भारी भ्रष्टाचार हुआ।
2015 से पहले जिले में 315 लाइसेंस थे, जो अब बढ़कर 750 से भी अधिक हो गए हैं।
नियमों को दरकिनार करते हुए लाइसेंस बांटे गए।
राज्य उत्पादन शुल्क विभाग के तत्कालीन अधिकारियों – संजय पाटील (अधीक्षक), चेतन खारोडे (दुय्यम निबंधक), और अभय खताड (अधीक्षक) – को 1 लाख रुपये की रिश्वत मांगने के आरोप में लाचलुचपत प्रतिबंधक विभाग (ACB) ने गिरफ्तार किया।
SIT की जांच और कार्रवाई:
उपमुख्यमंत्री पवार ने विधान परिषद में जानकारी दी कि:
- 31 मार्च 2015 तक जिले में 519 अनुज्ञप्तियां कार्यरत थीं, जो 31 मार्च 2025 तक बढ़कर 846 हो चुकी हैं।
- शिकायतों की गंभीरता को देखते हुए गृह विभाग ने 15 अक्टूबर 2024 को SIT गठित की थी।
- जांच दल ने 2021 के बाद जारी लाइसेंसों और अन्य जिलों से ट्रांसफर की गई अनुज्ञप्तियों की भी जांच की है।
- SIT की अध्यक्षता एसीबी के अपर पुलिस आयुक्त संदीप दिवाण कर रहे हैं।
विधायक अडबाले ने इस मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाते हुए दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है, जिससे मामला और भी गर्मा गया है।
चंद्रपुर में शराब नीति में लापरवाही और भ्रष्टाचार की यह कहानी केवल प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि सुनियोजित घोटाले का संकेत देती है। SIT की रिपोर्ट से कई बड़े नामों का पर्दाफाश होने की संभावना है।
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