पालकी समारोह में भक्तिरस, सांस्कृतिक वैभव, तेजोमयता, उत्सवी आनंद और अटूट श्रद्धा का अद्भुत प्रदर्शन; दर्शन के लिए सड़कों पर जनसैलाब उमड़ पड़ा।
माता महाकाली महोत्सव के अवसर पर आयोजित भव्य नगर प्रदक्षिणा पालकी समारोह भक्तिरस, धार्मिक उत्साह और विविधता में एकता का एक शानदार प्रतीक बनकर सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। इस ऐतिहासिक आयोजन का साक्षी बनने के लिए सुबह से ही मंदिर परिसर में भक्तों की भारी भीड़ जमा हो गई थी। महोत्सव समिति के अध्यक्ष एवं विधायक श्री किशोर जोरगेवार ने विधि-विधान से माता की पालकी उठाकर इस भव्य शोभायात्रा का शुभारंभ किया।
‘जय माता दी’ के जयकारों से भक्तिमय हुआ शहर
माता महाकाली की चांदी की मनमोहक मूर्ति से सुसज्जित चांदी की पालकी ने मंदिर से अपनी यात्रा आरंभ की। यह शोभायात्रा गांधी चौक और जटपुरा गेट से होते हुए पुनः मंदिर परिसर में संपन्न हुई। पूरे मार्ग पर ‘जय माता दी’ के गगनभेदी जयकारों ने वातावरण को भक्ति और ऊर्जा से सराबोर कर दिया। शंख, तुरही, ढोल-ताशे और भक्ति गीतों की मधुर धुन पर पूरा चंद्रपुर शहर मानो भक्ति और उत्सव के रंगों में सराबोर हो गया।
देशभर की सांस्कृतिक झलकियां बनीं मुख्य आकर्षण
इस वर्ष के पालकी समारोह का मुख्य आकर्षण प्रसिद्ध जगराता गायक लखबीर सिंह लक्खा के सुपुत्र, पन्ना सिंह गिल लक्खा का रोड शो रहा, जिसने भक्तों में एक नया जोश भर दिया। इसके अतिरिक्त, शोभायात्रा में भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की कई अद्भुत झलकियां देखने को मिलीं:
- गंगा आरती का दिव्य और मनमोहक दर्शन।
- पोतराज का पारंपरिक एवं ऊर्जावान नृत्य प्रदर्शन।
- उत्तराखंड के केदारनाथ धाम से आए झांझ-डमरू दल की प्रस्तुति।
- मध्य प्रदेश के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत रौद्र शिवतांडव अघोरी नृत्य।
- कर्नाटक राज्य से बाहुबली हनुमान का सजीव चित्रण।
इन धार्मिक और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने पालकी की शोभा को कई गुना बढ़ा दिया। इनके साथ ही, पंढरपुर के 108 वारकरियों का टाल-मृदंग गजर, आदिवासी संस्कृति को दर्शाने वाले ढेमसा, रेला और ढोलशा नृत्य, घोड़े पर सवार नवदुर्गा की आकर्षक झांकी, बच्चों द्वारा शस्त्र कला का प्रदर्शन, विभिन्न व्यायामशालाओं द्वारा प्रस्तुत कौशलपूर्ण करतब, प्रसिद्ध बैंड दलों की धुनें और सिर पर कलश धारण की हुई महिलाओं की विशाल संख्या ने इस प्रदक्षिणा को एक अविस्मरणीय और भव्य धार्मिक स्वरूप प्रदान किया।
अनेकता में एकता का प्रदर्शन, हर समाज ने दर्ज की भागीदारी
यह शोभायात्रा केवल एक धार्मिक आयोजन न होकर, सामाजिक समरसता का एक जीवंत उदाहरण बनी। शहर के बौद्ध समाज, आदिवासी समाज, उत्तरभारतीय समाज, नाभिक समाज, लिंगायत समाज, बेलदार समाज, बुरुड समाज, छिपरा समाज, क्षत्रिय पवार समाज और तेलुगु समाज सहित विभिन्न समुदायों ने अपनी-अपनी झांकियां प्रस्तुत कर इस उत्सव में सक्रिय भागीदारी दर्ज कराई। शहर के विभिन्न भजन मंडलों, पठाणपुरा व्यायामशाला, स्वराज्य ढोल पथक, और श्रीकृष्ण पालकी झांकी ने भी अपनी प्रस्तुतियां दीं। गायत्री परिवार की कलशधारी महिलाओं और बंगाली समाज के शंखनाद ने वातावरण को और भी पवित्र और भक्तिमय बना दिया।
सेवा भाव: विभिन्न संस्थाओं ने की फल-जल वितरण की व्यवस्था
इस विशाल नगर प्रदक्षिणा के दौरान सेवा का अद्भुत भाव भी देखने को मिला। विभिन्न सामाजिक संगठनों और व्यक्तियों ने भक्तों के लिए चाय, फल और पानी का वितरण कर सेवा कार्य किया। इसमें कमल स्पोर्टिंग क्लब, गुरुद्वारा कमेटी, एलीवेट, जैन मंदिर संस्था, सराफा एसोसिएशन, दाउदी बोहरा समाज, मुस्लिम हक्क संघर्ष समिति, सिंधी समाज, माहेश्वरी सेवा समिति, चांडक मेडिकल, आशा ड्रायफ्रूट, इमरान खान, अनुप पोरेड्डीवार, महेंद्र मंडलेचा और बशीर आदि ने प्रमुखता से योगदान दिया।
इस अवसर पर विधायक किशोर जोरगेवार ने अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए कहा, “माता महाकाली की कृपा से चंद्रपुर शहर हमेशा भक्ति, संस्कृति और एकता के मार्ग पर आगे बढ़ता रहेगा।” यह आयोजन वास्तव में शहर की सामूहिक आस्था और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक बन गया।
