Rajura Murti Greenfield Airport Stalled Due to Wildlife Conservation and Tiger Corridor; Chandrapur Morwa Runway Usage Restricted
वन विभाग की आपत्तियों को दूर करवाने में जनप्रतिनिधि नाकाम
गढ़चिरौली जिले में औद्योगिक उद्देश्य के लिए डेढ़ लाख पेड़ कटाई की अनुमति सरकार ने दी लेकिन चंद्रपुर के एयरपोर्ट पर वन कानून आज तक हावी है। औद्योगिक और पर्यटन की संभावनाओं से भरपूर चंद्रपुर जिले में ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट के निर्माण का सपना वन विभाग की आपत्तियों और बाघ कॉरिडोर की संवेदनशीलता के कारण अधर में लटक गया है। वहीं, मोरवा हवाई अड्डा रनवे विस्तार की भौगोलिक सीमाओं के चलते व्यावसायिक उड़ानों के लिए अनुपयुक्त बना हुआ है। मूर्ति और मोरवा में एयरपोर्ट के सपने को पूरा करने के लिए तत्कालीन वन मंत्री सुधीर मुनगंटीवार, सांसद प्रतिभा धानोरकर तथा स्थानीय विधायक किशोर जोरगेवार के प्रयास विफल साबित हुए है। अभी अधिवेशन का दौर चल पड़ा है, इस विषय को गति देना आवश्यक है। जनप्रतिनिधियों को इस पर ध्यान देना चाहिए।
मुनगंटीवार के प्रयासों से शुरू हुई पहल
पूर्व वित्त और वन मंत्री सुधीर मुनगंटीवार के प्रयासों से राजुरा तहसील के मूर्ति गांव के समीप ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट के लिए जमीन का चयन हुआ। अधिकांश जमीन का अधिग्रहण भी हो गया था। लेकिन केंद्रीय वन व पर्यावरण मंत्रालय की वन सलाहकार समिति ने प्रस्ताव को यह कहकर ठुकरा दिया कि वह क्षेत्र वन्यजीव अधिवास और बाघ कॉरिडोर में आता है। जुलाई 2023 की बैठक में महाराष्ट्र विमानतल विकास प्राधिकरण ने पक्ष रखा, परंतु अगस्त 2023 में प्रस्ताव खारिज कर दिया गया।
जनप्रतिनिधियों की पहल, लेकिन परिणाम शून्य
सांसद प्रतिभा धानोरकर ने अगस्त 2023 में केंद्रीय नागरिक विमानन मंत्री किंजरापु राममोहन नायडू से मुलाकात कर मूर्ति एयरपोर्ट और मोरवा हवाई अड्डे की स्थिति रखी। उन्होंने मोरवा के रनवे को 700 मीटर तक बढ़ाने की मांग की। विधायक किशोर जोरगेवार ने भी नवंबर 2023 में विधानसभा अध्यक्ष से इस मुद्दे पर चर्चा की, लेकिन कोई ठोस निर्णय नहीं हो पाया।
उद्योग और पर्यटन के लिए हवाई संपर्क क्यों जरूरी?
चंद्रपुर में कोयला खदान, बिजली उत्पादन केंद्र, सीमेंट, कागज, लौह खनिज उद्योग और आयुध निर्माणी जैसी बड़ी परियोजनाएं हैं। इनका संचालन देश के प्रमुख शहरों जैसे मुंबई, दिल्ली, नागपुर, बेंगलुरु से होता है। वहीं, ताड़ोबा अंधारी व्याघ्र प्रकल्प की वजह से हर साल देश-विदेश से हजारों पर्यटक आते हैं। लेकिन हवाई सुविधा न होने से यह क्षमता पूरी तरह उपयोग नहीं हो पा रही।
मोरवा हवाई अड्डा: सीमित उड़ानों के लिए ही सक्षम
1967 में बने मोरवा हवाई अड्डे की रनवे लंबाई 900 मीटर और चौड़ाई 28 मीटर है। पास ही महाऔष्णिक बिजली केंद्र की चिमनियां और ओवरहेड पावर लाइनें हैं, जिससे रनवे विस्तार संभव नहीं। यहां केवल चार्टर विमान या हेलिकॉप्टर ही उतर सकते हैं।
फ्लाईंग क्लब बनी एक नई शुरुआत
फरवरी 2025 में सांसद और एरो क्लब ऑफ इंडिया अध्यक्ष राजीव प्रताप रूडी ने मोरवा हवाई अड्डे पर फ्लाईंग क्लब का उद्घाटन किया। इसमें खासकर आदिवासी युवक-युवतियों को कम लागत में पायलट प्रशिक्षण दिया जा रहा है। यह प्रयास युवाओं के लिए सकारात्मक अवसर है, लेकिन व्यावसायिक उड़ानों की आवश्यकता को पूरा नहीं कर सकता।
विकास बनाम संरक्षण की टकराहट
एक ओर चंद्रपुर की औद्योगिक और पर्यटन क्षमता है, तो दूसरी ओर बाघ और वन्यजीवों का संरक्षण। ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट इस संतुलन के बीच फंसा है। मोरवा हवाई अड्डा सीमित है और ग्रीनफील्ड परियोजना वन विभाग की आपत्तियों के कारण ठप। अब जरूरत है कि सरकार, विशेषज्ञ और पर्यावरणविद् मिलकर कोई व्यवहारिक समाधान निकालें, ताकि चंद्रपुर भी देश के हवाई नक्शे पर मजबूत उपस्थिति दर्ज करा सके।
