पूर्व नगरसेवक पप्पू देशमुख का दावा – बिना जरूरत के सड़क डिवाइडर पर लुटाए साढ़े तीन करोड़, मनपा को एक करोड़ का चूना। नियमों को ताक पर रखकर 3 निविदाएं रद्द कीं। SIT जांच और FIR की मांग को लेकर जनविकास सेना करेगी बड़ा आंदोलन।
चंद्रपुर महानगरपालिका में एक बड़े घोटाले का पर्दाफाश हुआ है, जहाँ शहर की एक महत्वपूर्ण और गड्ढों से भरी सड़क को नजरअंदाज कर, बिना किसी तत्काल आवश्यकता के साढ़े तीन करोड़ रुपये का सड़क डिवाइडर बनाने का काम मंजूर कर दिया गया। जनविकास सेना के पूर्व नगरसेवक पप्पू देशमुख ने एक सनसनीखेज खुलासा करते हुए आरोप लगाया है कि यह पूरा खेल मेसर्स सूर्यवंशी एंटरप्राइजेस नामक एक पसंदीदा ठेकेदार को फायदा पहुँचाने के लिए रचा गया। देशमुख ने दावा किया कि इस सौदेबाजी में मनपा के खजाने को लगभग एक करोड़ रुपये का सीधा नुकसान हुआ है, जबकि ठेकेदार को इतनी ही राशि का अनुचित लाभ पहुंचाया गया।
विश्वसनीय सूत्रों का हवाला देते हुए देशमुख ने सबसे विस्फोटक आरोप तत्कालीन मनपा आयुक्त विपिन पालीवाल पर लगाया। उन्होंने दावा किया कि इस काम के बदले में पालीवाल को कमीशन के तौर पर 50 लाख रुपये का “टोकन” मिला था।
प्रतिस्पर्धा खत्म कर पसंदीदा ठेकेदार को दिया काम
पप्पू देशमुख ने सवाल उठाया कि जब चंद्रपुर मनपा में गलाकाट प्रतिस्पर्धा के कारण ठेकेदार अनुमानित लागत से 25 से 30 प्रतिशत कम दरों पर काम लेते हैं, तो मेसर्स सूर्यवंशी एंटरप्राइजेस को यह 3.5 करोड़ का काम केवल 0.01% कम दर पर यानी लगभग अनुमानित लागत पर ही कैसे दे दिया गया?
उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया:
इरई नदी के किनारे 5 करोड़ का विसर्जन कुंड बनाने का काम 22% कम (₹3.90 करोड़) में हुआ।
1.5 करोड़ का सीमेंट कंक्रीट प्लेटफॉर्म बनाने का काम 34% कम (लगभग ₹1 करोड़) में हुआ।
1 करोड़ के आंतरिक सड़क मरम्मत का काम 25% कम (₹75 लाख) में हुआ।
देशमुख ने आरोप लगाया कि सड़क डिवाइडर की निविदा प्रक्रिया में, पांच में से तीन एजेंसियों को बिना कोई ठोस कारण बताए अपात्र घोषित कर दिया गया। यह केवल इसलिए किया गया ताकि प्रतिस्पर्धा को खत्म कर पसंदीदा ठेकेदार को काम दिया जा सके, जिससे मनपा को लगभग एक करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
क्या है कमिश्नर का ‘पालीवाल पैटर्न’?
पप्पू देशमुख ने आयुक्त रहते हुए विपिन पालीवाल के काम बांटने के तरीके को ‘पालीवाल पैटर्न’ का नाम दिया। उन्होंने इस पैटर्न का खुलासा करते हुए बताया:
- अनावश्यक काम निकालना: ऐसे काम चुने जाते थे जो करने में आसान हों और जिनमें मुनाफा ज्यादा हो, भले ही शहर को उनकी जरूरत हो या न हो।
अधूरी ई-निविदा: ई-टेंडर में जानबूझकर अधूरी जानकारी डाली जाती थी, ताकि ठेकेदारों को जानकारी के लिए मनपा कार्यालय के चक्कर काटने पड़ें।
ठेकेदारों को धमकाना: कार्यालय आए अन्य ठेकेदारों को दलाली करने वाले अधिकारियों के माध्यम से निविदा प्रक्रिया में भाग न लेने के लिए धमकाया जाता था।
पक्षपाती शर्तें: निविदा में पहले से ही पसंदीदा ठेकेदार के हित में शर्तें डाल दी जाती थीं, ताकि बाद में अन्य ठेकेदारों को इन्हीं शर्तों के आधार पर अपात्र ठहराया जा सके।
कमीशन की वसूली: इस तरह प्रतिस्पर्धा को खत्म कर, ऊंचे दामों पर काम देकर, बदले में नकद कमीशन वसूला जाता था।
देशमुख ने चेतावनी दी है कि इस घोटाले के विरोध में जनविकास सेना जल्द ही एक विशाल जन आंदोलन छेड़ेगी। उनकी मांग है कि सड़क डिवाइडर का काम तत्काल रद्द किया जाए और विपिन पालीवाल के खिलाफ SIT (विशेष जांच दल) का गठन कर उनकी जांच की जाए और आपराधिक मामले दर्ज किए जाएं।
