50% सीमा पार करने वाले पाँच नगर परिषदों के चुनाव अधर में; चंद्रपुर, जिला परिषद चुनाव भी अनिश्चित
स्थानीय स्वशासन निकायों में आरक्षण की पचास प्रतिशत सीमा पार करने के एक महत्वपूर्ण मामले पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई करने वाला है, जिसका सीधा असर चंद्रपुर जिले की पाँच प्रमुख नगर पालिका परिषदों के चल रहे चुनावों पर पड़ने वाला है। इन परिषदों में आरक्षण की सीमा 50% से अधिक हो गई है, जिसके चलते राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों में भारी खलबली मची हुई है।
चुनावी भविष्य पर अनिश्चितता
बल्लारपुर, ब्रह्मपुरी, भद्रावती, घुग्घुस, और राजुरा नगर पालिका परिषदों में चुनाव प्रक्रिया चल रही है, लेकिन यहाँ आरक्षण की सीमा का उल्लंघन स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। उदाहरण के लिए, ब्रह्मपुरी में 52%, भद्रावती में 55%, राजुरा में 52%, बल्लारपुर में 61%, और घुग्घुस में 59% आरक्षण लागू है।
इन आँकड़ों ने उम्मीदवारों की धड़कनें बढ़ा दी हैं। कोर्ट के फ़ैसले की तलवार लटकने के कारण, चुनाव प्रचार धीमा पड़ गया है और उम्मीदवारों ने अपने खर्चों में भी कटौती शुरू कर दी है।
इसके अलावा, चंद्रपुर नगर निगम और जिला परिषद के आगामी चुनावों का भविष्य भी अनिश्चितता के घेरे में है, क्योंकि इन दोनों जगहों पर भी पचास प्रतिशत आरक्षण की समय सीमा का उल्लंघन हुआ है। आशंका है कि ये चुनाव भी स्थगित हो सकते हैं।
ओबीसी आरक्षण और 50% की लक्ष्मण रेखा
स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं में नागरिकों का अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को 27% आरक्षण लागू करने के कारण कई स्थानों पर कुल आरक्षण पचास प्रतिशत की सीमा को पार कर गया है। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश की मनमानी व्याख्या करके ओबीसी को 27% आरक्षण दिया गया, जिससे अन्य समाज घटकों का आरक्षण कम हुआ है।
इन याचिकाओं पर कल आने वाला फ़ैसला न सिर्फ़ इन पाँच नगर परिषदों, बल्कि जिले की दस नगर पालिकाओं और एक नगर पंचायत की पूरी चुनाव प्रक्रिया का भविष्य तय करेगा।
याद रहे: खंडपीठ ने पहले ही यह स्पष्ट कर दिया था कि यदि आरक्षण 50% से अधिक पाया जाता है, तो चुनावों को स्थगित कर दिया जाएगा।
कल का फ़ैसला क्यों है अहम?
वर्तमान में, वरोरा, गडचांदूर, मूल, चिमूर, नागभीड नगर पालिकाएँ और भिसी नगर पंचायत ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ आरक्षण 50% के भीतर है। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय केवल आरक्षण की सीमा लांघने वाली पालिकाओं के लिए अलग होगा, या इसका असर पूरी चुनाव प्रक्रिया पर पड़ेगा?
राजनीतिक हलकों में यह भी चर्चा है कि तेलंगाना सरकार ने भी स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं के चुनाव में मागासवर्गीयों को 42% आरक्षण लागू किया था, जिससे कुल आरक्षण 67% तक पहुँच गया था। उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद, तेलंगाना राज्य चुनाव आयोग को पूरा चुनाव कार्यक्रम स्थगित करना पड़ा था।
चंद्रपुर जिले में यह चुनाव तब्बल चार वर्षों के बाद हो रहे हैं, जिससे राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को राहत मिलने की उम्मीद थी, लेकिन अब इन पर 50% आरक्षण की सीमा का संकट मंडरा रहा है। कल, बुधवार को निर्दलीय उम्मीदवारों को चुनाव चिह्नों का वितरण होना है, 2 दिसंबर को मतदान और 3 दिसंबर को मतों की गिनती होगी।
चुनाव के भाग्य का फ़ैसला अब सुप्रीम कोर्ट के आज के फ़ैसले पर निर्भर करेगा।
