माना टेकड़ी जंगल में मोरों का नरसंहार! एक किलोमीटर लंबा शिकारी जाल बरामद, वन विभाग की लापरवाही बेनकाब
चंद्रपुर जिले के माना टेकड़ी जंगल में राष्ट्रीय पक्षी मोर के शिकार का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यह इलाका बाघों के लिए मशहूर है, लेकिन अब वहां मोरों की तस्करी ने भी पैर पसार लिए हैं। समाजसेवी अनूप चिवंडे और पक्षी प्रेमी मनोज बंदेवार द्वारा किए गए इस खुलासे ने पूरे वन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
सोशल मीडिया से हुआ बड़ा खुलासा
मुंबई तक के रिपोर्टर विकास राजुरकर और स्थानीय पक्षी प्रेमियों ने इस गंभीर मामले को उजागर करते हुए वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किए हैं। इन वीडियो में एक किलोमीटर लंबा शिकारी जाल दिखाई दे रहा है जो माना नदी के किनारे बिछाया गया था। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह तस्करी कितने बड़े स्तर पर चल रही थी।
वन विभाग पहले से था वाकिफ, फिर क्यों नहीं हुई कार्रवाई?
चौंकाने वाली बात यह है कि समाजसेवियों ने एक साल पहले ही इस क्षेत्र में मोरों की तस्करी की सूचना वन विभाग को दी थी। इसके बावजूद कोई पुख्ता कदम नहीं उठाया गया। यह सीधे-सीधे विभागीय लापरवाही को उजागर करता है।
राष्ट्रीय धरोहर मोर पर संकट के बादल
मोर न केवल भारत का राष्ट्रीय पक्षी है, बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत का भी प्रतीक है। बावजूद इसके, इनकी सुरक्षा में भारी चूक सामने आ रही है। बाघों की सुरक्षा के लिए सक्रिय रहने वाला प्रशासन मोरों की रक्षा को लेकर क्यों सुस्त पड़ा है?
अब तक कितने मोरों का शिकार? कोई आंकड़ा नहीं!
अब तक कितने मोरों को तस्कर अपना शिकार बना चुके हैं, इसका कोई आधिकारिक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। यह स्थिति और भी चिंताजनक है।
सीसीटीवी की मांग ने पकड़ा जोर
स्थानीय नागरिकों और पर्यावरण प्रेमियों ने अब मांग की है कि जंगल क्षेत्र में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं ताकि शिकारियों की हर गतिविधि पर नजर रखी जा सके और इस अपराध पर रोक लगाई जा सके।
सवाल वही — क्या वन विभाग करेगा सिर्फ कागजी खानापूर्ति?
अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या वन विभाग इस घटना को भी सिर्फ औपचारिक जांच में समेट देगा, या फिर इन तस्करों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करके मोरों की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाएगा?
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