राजुरा विधानसभा क्षेत्र में सामने आए मतदाता पंजीयन फर्जीवाड़े ने जिले की राजनीति में भूचाल ला दिया है। Chief Electoral Officer Maharashtra ने शुक्रवार (19 सितंबर) को फेसबुक पेज पर जारी प्रेसनोट में स्पष्ट किया कि 6,861 फर्जी वोटर पंजीकरण आवेदन रद्द कर दिए गए। लेकिन विश्वसनीय सूत्रों का दावा है कि चंद्रपुर पुलिस प्रशासन ने पिछले 11 महीनों में 5 बार चुनाव आयोग से संबंधित इलेक्ट्रॉनिक डेटा व तकनीकी जानकारी मांगी थी, ताकि अपराधियों तक पहुंचा जा सके – परंतु अब तक आयोग की ओर से कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला है।
राहुल गांधी का आरोप और चुनाव आयोग का जवाब
18 सितंबर को दिल्ली में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने इस मामले को जोरदार ढंग से उठाया। उन्होंने आरोप लगाया कि ऑनलाइन फॉर्म, ओटीपी एक्सचेंज, मोबाइल नंबरों और आईपी एड्रेस के माध्यम से संगठित स्तर पर फर्जी पंजीकरण कर वोट चोरी की कोशिश की गई।
इसके जवाब में ECI के सहायक निदेशक ने प्रेसनोट जारी कर राहुल गांधी के आरोपों का खंडन किया। महाराष्ट्र के मुख्य चुनाव अधिकारी ने भी विस्तार से अपना पक्ष रखते हुए कहा कि जिला प्रशासन की सतर्कता के चलते फर्जी पंजीकरण को समय पर रोक दिया गया और 6,861 आवेदन रद्द कर दिए गए।
पुलिस जांच पर रोक क्यों?
हालांकि, मामला यहीं खत्म नहीं होता। सूत्रों के अनुसार, चंद्रपुर पुलिस प्रशासन ने इस फर्जीवाड़े की गहन जांच के लिए चुनाव आयोग से 5 बार डेटा मांगा – जिसमें ऑनलाइन आवेदन का तकनीकी विवरण, संबंधित मोबाइल नंबर, आईपी एड्रेस और सर्वर लॉग शामिल हैं। लेकिन आयोग की ओर से अब तक कोई डेटा उपलब्ध नहीं कराया गया। पुलिस के सामने सबसे बड़ा सवाल यही है कि जब डेटा ही नहीं मिलेगा तो आरोपियों की पहचान और गिरफ्तारी कैसे होगी?
प्रशासन की कार्रवाई और कानूनी पहलू
मुख्य चुनाव अधिकारी के प्रेसनोट में बताया गया कि 1 से 17 अक्टूबर 2024 के बीच 7,592 नए वोटर रजिस्ट्रेशन आवेदन आए थे, जिनमें से अधिकांश में गंभीर अनियमितताएं पाई गईं। मतदान केंद्र स्तर अधिकारियों (BLOs) ने फील्ड वेरिफिकेशन में पाया कि कई आवेदक पते पर मौजूद ही नहीं थे, कई के दस्तावेज अधूरे थे। इस पर 6,861 आवेदन अवैध घोषित कर रद्द कर दिए गए।
जिला निर्वाचन अधिकारी ने इस मामले को गंभीर मानते हुए लोकप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 और आईटी एक्ट 2000 के तहत अपराध क्र. 629/2024 दर्ज कर राजुरा पुलिस थाने में मामला पंजीकृत किया।
सबसे बड़ा सवाल – वोट चोर पकड़ में आएंगे कैसे?
राजुरा का यह कांड सिर्फ पंजीकरण रद्द करने का मामला नहीं है। यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सीधा हमला है। जब तक चुनाव आयोग पुलिस को आवश्यक डेटा उपलब्ध नहीं कराता, तब तक असली मास्टरमाइंड और उनके नेटवर्क तक पहुंचना मुश्किल है। कर्नाटक CID की तरह चंद्रपुर पुलिस भी अब तक केवल प्रतीक्षा कर रही है।
