राजुरा ‘वोट चोरी’ कांड में महाराष्ट्र के मुख्य निर्वाचन अधिकारी हो रहे ट्रोल
कांग्रेस नेता राहुल गांधी के प्रेस कांफ्रेंस का जवाब देने के लिए महाराष्ट्र के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के फेसबुक के अधिकृत अकाउंट से एक प्रेसनोट जारी किया गया। 19 सितंबर को जारी किए गए इस प्रेसनोट में राजुरा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र की ऑनलाइन मतदाता पंजीयन के फर्जीवाड़े को मान्य चुनाव आयोग ने मान्य तो किया लेकिन अपराध दर्ज करने के बाद के जांच व कार्रवाई को लेकर कोई जानकारी साझा नहीं की गई। इसके चलते उनकी पोस्ट पर साझा किए गए प्रेसनोट के जवाब में अनेक बुद्धिजीवियों ने महाराष्ट्र के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के फेसबुक पोस्ट के विरोध में अपने कमेंट लिखकर आलोचना की है। खासकर चंद्रपुर जिले के पत्रकार, राजनेता और सन्माननीय नागरिकों का इसमें समावेश है।
किस-किसने की चुनाव आयोग की आलोचना ?
समाचार लिखे जाने तक वैसे तो कुल 533 कमेंट महाराष्ट्र के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के फेसबुक पोस्ट पर उपलब्ध है। इसमें से अधिकांश कमेंट चुनाव आयोग के अपने दलिलों के खिलाफ ही नजर आ रहे है। उल्लेखनीय है कि बल्लारपुर से प्रत्याशी रही नेता अभिलाषा गावतुरे-बेहरे ने कमेंट में लिखा है – चुराव आयोग। जबकि पत्रकार प्रमोद काकडे लिखते है कि – फर्जी मतदाताओं को भले ही रद्द किया गया हो लेकिन वे पंजीकृत कहां से हुए है ? उनका आईपी एड्रेस क्या है, यह बताते क्यों नहीं हो? कुल 11 हजार मतदाता फर्जी होने का आक्षेप था, रद्द हुए 6 हजार तो बाकि के कहां गये ? वहीं नाना चालखुरे लिखते हैं कि 20 हजार फर्जी मतदाता थे और केवल 6861 को ही हटाया गया। वकील एड. मनीश गडदे-पाटील लिखते हैं कि आरोपी नहीं पकड़े गए, कैसे पकड़ेंगे ?
पोस्ट की प्रेसनोट में क्या लिखा था ?
महाराष्ट्र के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के फेसबुक की पोस्ट में जो प्रेसनोट जोड़ा गया है कि उसमें जानकारी दी गई है कि – राजुरा में 6,861 फर्जी वोटर आवेदन रद्द किए गए। समय पर कार्रवाई से फर्जीवाड़ा रोका गया। राजुरा विधानसभा क्षेत्र में फर्जी वोटर रजिस्ट्रेशन की बड़ी कोशिश नाकाम कर दी गई। जिला प्रशासन की सतर्कता और त्वरित कार्रवाई से कुल 6,861 फर्जी आवेदन रद्द कर दिए गए, जिससे ये नाम मतदाता सूची में शामिल नहीं हो सके। 1 से 17 अक्टूबर 2024 के बीच 7,592 नए वोटर रजिस्ट्रेशन आवेदन प्राप्त हुए थे। मतदान केंद्र स्तर अधिकारियों (BLO) ने जांच के दौरान गंभीर अनियमितताएं पाईं। कई आवेदक दिए गए पते पर रहते ही नहीं थे, कुछ आवेदक वास्तविक रूप से मौजूद ही नहीं थे, कई फॉर्म में फोटो और जरूरी दस्तावेज़ संलग्न नहीं थे। जांच के बाद 6,861 आवेदन अवैध घोषित कर खारिज कर दिए गए। जिला निर्वाचन अधिकारी ने इस प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए मतदाता पंजीयन अधिकारी और राजुरा के उपविभागीय अधिकारी को गहन जांच और कानूनी कार्रवाई के निर्देश दिए। इसके तहत लोकप्रतिनिधित्व कानून 1950 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के तहत मामला दर्ज कर राजुरा पुलिस थाने में अपराध क्र.629/2024 पंजीकृत किया गया है। अधिकारियों के अनुसार, समय पर कार्रवाई के चलते राजुरा (70) विधानसभा क्षेत्र की मतदाता सूची में फर्जी नाम शामिल नहीं हो पाए। जिला प्रशासन ने कहा कि यह घटना चुनावी पारदर्शिता बनाए रखने और लोकतांत्रिक प्रक्रिया की सुरक्षा का उदाहरण है।
