चंद्रपुर के जुनोना गांव में 23 अगस्त को एक दिल दहला देने वाली घटना घटी। पिता–पुत्र अरुण कुकसे और विजय कुकसे रोज़ाना की तरह जंगल में पत्ते तोड़ने गए थे। अचानक झाड़ियों से निकले एक अस्वल ने उन पर हमला कर दिया। ग्रामीणों के अनुसार, भालू बेहद आक्रामक था और उसने पिता–पुत्र को बुरी तरह नोच डाला।
गांव के लोगों ने डंडों और शोर-शराबे से भालू को भगाने की कोशिश की। लगभग एक घंटे की जद्दोजहद के बाद भालू ने दोनों को छोड़ा, लेकिन तब तक अरुण कुकसे गंभीर रूप से घायल हो चुके थे। ग्रामीणों ने तत्काल घायलों को नज़दीकी अस्पताल पहुंचाया, जहां हालत गंभीर होने पर अरुण को नागपुर के एम्स रेफर किया गया।
इलाज के दौरान मौत
एम्स नागपुर में डॉक्टरों ने अरुण कुकसे को बचाने की पूरी कोशिश की, लेकिन 25 अगस्त की सुबह उनकी मौत हो गई। इस घटना से गांव में शोक और दहशत का माहौल फैल गया है। वहीं, उनका बेटा विजय अभी भी अस्पताल में भर्ती है और इलाज चल रहा है।
पकड़े जाने के बाद घायल भालू की मौत
हमले के बाद वन विभाग की टीम ने भालू को पकड़ लिया। लेकिन भालू भी गंभीर रूप से घायल था। इलाज और देखरेख के बावजूद 24 अगस्त को उसकी भी मौत हो गई।
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