वेकोलि भटाडी कोयला खदान में मिट्टी उत्खनन का काम करने वाली आंध्र प्रदेश की कंपनी कावेरी सी5 जेवी पर एक नाबालिग बच्चे को पैसे लेकर नौकरी पर रखने और फिर मारपीट करके बिना मजदूरी दिए निकालने का गंभीर आरोप लगा है। बाल संरक्षण अधिकारियों की जांच के बाद कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर और एचआर हेड के खिलाफ दुर्गापुर पुलिस ने कई धाराओं में केस दर्ज किया है।
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क्या हुआ था?
-» बालक आर्यन श्याम जाऊलकर (17 वर्ष) को 12 दिसंबर 2024 को कंपनी द्वारा मिट्टी और पत्थर उत्खनन के काम पर रखा गया।
-» एचआर हेड गिरी सिद्धापल्ली ने उससे नौकरी के लिए 20,000 रुपये वसूले, लेकिन किसी अधिकारी को इसकी सूचना नहीं दी।
-» जब प्रोजेक्ट मैनेजर व्यंकटेश रेड्डी को पता चला कि नाबालिग काम कर रहा है, तो उन्होंने 29 जनवरी 2025 को आर्यन को बुलाकर गाली-गलौज और मारपीट की।
-» उसे।जान से मारने की धमकीदेकर बिना मजदूरी दिए निकाल दिया गया।
जांच में क्या सामने आया?
-» बाल संरक्षण अधिकारी शशिकांत मोकासे की टीम ने पाया कि:
-» कंपनी ने बाल श्रम कानूनों की धज्जियां उड़ाईं।
-» खदान का माहौल बच्चों के लिए खतरनाक था।
-» आर्यन के पिता की मृत्यु हो चुकी है और माँ अपंग है, जिसके कारण उसे काम करना पड़ा।
-» बाल कल्याण समिति ने पुष्टि की कि कंपनी ने बच्चे के साथ अत्याचार किया।
कानूनी कार्रवाई
दुर्गापुर पुलिस ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 323 (मारपीट), 506 (धमकी), बाल श्रम अधिनियम और अल्पवयीन न्याय अधिनियम के तहत केस दर्ज किया है। आरोपियों में:
1. गिरी सिद्धापल्ली (एचआर हेड)
2. व्यंकटेश रेड्डी (प्रोजेक्ट मैनेजर)
सामाजिक पहलू
आर्यन की माँ ने बताया कि परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी खराब है कि उनके पास भोजन तक के लिए पैसे नहीं थे। बेटे की कमाई पर ही घर चल रहा था। अब बाल संरक्षण विभाग उनकी मदद के लिए आगे आया है।
कंपनी की चुप्पी
कंपनी ने अभी तक इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। जांच में पता चला कि कंपनी के पास सीसीटीवी फुटेज भी नहीं था, जिससे उनके दोषी होने की आशंका और बढ़ गई है।
यह मामला बाल श्रम और कॉर्पोरेट जिम्मेदारी पर गंभीर सवाल उठाता है। पुलिस और बाल संरक्षण अधिकारी इस मामले में सख्त कार्रवाई का संकेत दे चुके हैं।