BJP विधायक गोपीचंद पडळकर के “11 लाख इनाम” वाले विवादित बयान पर ख्रिश्चन समुदाय ने चंद्रपुर में विशाल विरोध प्रदर्शन किया। विधायक की सदस्यता रद्द करने की मांग ज़ोर पकड़ रही है।
महाराष्ट्र की राजनीति में सत्ताधारी पक्ष के मंत्री हों या विधायक, इन दिनों जाति और धर्म पर विवादास्पद बयानबाज़ी का सिलसिला तेज हो गया है। इसका ताज़ा उदाहरण भारतीय जनता पार्टी के जत विधानसभा क्षेत्र से विधायक गोपीचंद पडळकर हैं, जिनके खिलाफ चंद्रपुर में ख्रिश्चन समुदाय ने ज़ोरदार विरोध प्रदर्शन कर उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द करने की मांग की है।
चंद्रपुर में हज़ारों की भीड़ ने निकाला विरोध मार्च
3 जुलाई को चंद्रपुर में सेंट एंड्रयूज चर्च से जिलाधिकारी कार्यालय तक ख्रिश्चन समुदाय ने विधायक पडळकर के खिलाफ विरोध मार्च निकाला। इस मार्च का आयोजन चंद्रपुर जिला पास्टर्स एसोसिएशन द्वारा किया गया था। प्रदर्शनकारियों ने जमकर नारेबाज़ी करते हुए सरकार से तत्काल कार्रवाई की मांग की।
विवादित बयान बना गुस्से की वजह
सांगली जिले के मिरज तालुका स्थित कुपवाड़ में एक गर्भवती महिला ऋतुजा राजगे ने आत्महत्या कर ली थी। इस मामले में उसके ससुरालवालों पर धर्मांतरण के लिए मानसिक प्रताड़ना देने का आरोप लगा। इस घटना के खिलाफ आयोजित मशाल मार्च के दौरान विधायक गोपीचंद पडळकर ने कथित तौर पर कहा: > “धर्मांतरण के लिए गाँवों में आने वाले ख्रिश्चन पाद्रियों को सैराट करो, और जो यह करेगा, उसे मैं खुद 11 लाख रुपये दूँगा।”
इस बयान ने न केवल ख्रिश्चन समुदाय में आक्रोश और भय पैदा किया, बल्कि इसे हिंसा के लिए खुले आम उकसाने वाला वक्तव्य करार दिया गया। विरोध में शामिल पास्टरों ने आरोप लगाया कि विधायक ने धर्मगुरुओं की हत्या के लिए ‘सुपारी’ देने जैसा कृत्य किया है।
जिलाधिकारी को सौंपा गया ज्ञापन
विरोध मार्च के अंत में प्रदर्शनकारी जिलाधिकारी गौडा से मिले और उन्हें लिखित ज्ञापन सौंपा। इस दौरान पास्टर निर्मल ने मीडिया से कहा: > “एक जनप्रतिनिधि द्वारा इस तरह का गैरजिम्मेदार बयान देना समाज में नफरत फैलाने और दो धर्मों के बीच टकराव की साजिश है। हम अपने धर्म में किसी को ज़बरदस्ती शामिल नहीं करते, लोग स्वेच्छा से आते हैं।”
उन्होंने सरकार से मांग की कि विधायक पर कड़ी कानूनी कार्रवाई हो, उनकी विधानसभा सदस्यता तत्काल रद्द की जाए, और ख्रिश्चन समुदाय को सुरक्षा प्रदान की जाए।
यह मामला महाराष्ट्र की राजनीति में धर्म आधारित ध्रुवीकरण की एक नई कड़ी है। खासकर आगामी स्थानीय निकाय और विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र धार्मिक भावनाओं को भड़काकर वोटबैंक साधने की रणनीति पर सवाल उठने लगे हैं। बीजेपी विधायक का यह बयान पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है, विशेषकर जब अल्पसंख्यक समुदाय के बीच असंतोष बढ़ रहा हो।
