महायुति सरकार में ‘नंबर दो’ की भूमिका निभाएंगे शिंदे
महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर लंबे सस्पेंस के बाद आज तस्वीर साफ होने की उम्मीद है। बीजेपी विधायक दल की बैठक में मुख्यमंत्री पद का फैसला होगा। हालांकि, 11 दिनों तक सरकार गठन में सबसे बड़ी बाधा कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे बने रहे। एनसीपी प्रमुख अजित पवार पहले ही बीजेपी को समर्थन दे चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद बीजेपी ने शिंदे को साथ बनाए रखने की हर संभव कोशिश की।
Whatsapp Channel |
बीजेपी के लिए एकनाथ शिंदे का महत्व सिर्फ महाराष्ट्र तक सीमित नहीं है, बल्कि दिल्ली की सियासत में भी उनकी भूमिका अहम मानी जा रही है। शिंदे को नजरअंदाज करना बीजेपी के लिए आसान नहीं है, क्योंकि शिवसेना (शिंदे गुट) के समर्थन के बिना महायुति सरकार का समीकरण प्रभावित हो सकता है।
शिंदे की भूमिका और सत्ता की सियासत
महायुति को मिले प्रचंड जनादेश के बाद बीजेपी ने अपने मुख्यमंत्री के नाम पर जोर दिया। हालांकि, शिंदे की उम्मीदें इस बात पर टिकी थीं कि सत्ता का नेतृत्व उन्हीं के हाथों में रहेगा। लेकिन बीजेपी के बदले सियासी रुख ने शिंदे को ‘नंबर दो’ की भूमिका स्वीकार करने पर मजबूर कर दिया।
बीजेपी ने शिंदे की नाराजगी को दूर करने के लिए खास कदम उठाए। उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मंगलवार देर रात शिंदे से मुलाकात की और सरकार गठन को अंतिम रूप देने की कोशिश की। इसके बाद शिंदे ने ‘नंबर दो’ की भूमिका निभाने के संकेत दिए, लेकिन इसके लिए बीजेपी को काफी प्रयास करने पड़े।
शिंदे के बिना बीजेपी की राह कठिन
महाराष्ट्र के सियासी समीकरण में शिंदे की भूमिका इतनी अहम क्यों है?
1. शिवसेना का आधार वोट बैंक: शिवसेना (शिंदे गुट) के बिना बीजेपी को शिवसेना के कोर वोट बैंक का समर्थन नहीं मिलेगा।
2. सत्ता में स्थायित्व का सवाल: एनसीपी और शिवसेना जैसे सहयोगी दलों को साधने में शिंदे की भूमिका अहम है।
3. राजनीतिक संतुलन: शिंदे के साथ बने रहने से बीजेपी की महायुति सरकार ज्यादा स्थिर और भरोसेमंद मानी जाएगी।
आगे की राह
माना जा रहा है कि शिंदे अब महायुति सरकार में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाने को तैयार हैं। बीजेपी ने शिंदे को अपने साथ रखने के लिए उनके स्वास्थ्य और सियासी महत्व को प्राथमिकता दी। इससे स्पष्ट है कि महाराष्ट्र की सियासत में शिंदे की भूमिका बीजेपी के लिए न केवल जरूरी है, बल्कि उनकी मजबूरी भी है।
महाराष्ट्र की नई सरकार के गठन के बाद शिंदे और बीजेपी के बीच तालमेल पर सभी की नजरें होंगी। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सत्ता का यह संतुलन किस तरह से महाराष्ट्र की राजनीति को नई दिशा देगा।