महाराष्ट्र में बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग को लेकर घुग्घुस से चंद्रपुर तक की पदयात्रा आज सुबह निकाली गई। इस मोर्चा का नेतृत्व स्वयं सांसद प्रतिभा धानोरकर कर रही है। कांग्रेस नेता विनायक बांगडे, रामू तिवारी, राजेश अड्डुर, राजू रेड्डी आदि की मौजूदगी से मोर्चा जोश पूर्ण दिख रहा है। EVM पर सवाल उठाते हुवे आगामी चुनाव बैलेट पेपर से करवाने की मांग कांग्रेस कर रही है। घुग्घुस से 25 KM पैदल चलकर चंद्रपुर कलेक्ट्रेट की ओर कूच कर रहे कांग्रेसी सैलाब से चंद्रपुर की राजनीति में एक भूचाल सा आ गया है।
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महाराष्ट्र राज्य में आगामी महानगरपालिका, नगर परिषद और जिला परिषद चुनाव बैलेट पेपर से कराए जाने की मांग को लेकर 23 दिसंबर 2024 को घुग्घुस से लेकर चंद्रपुर जिलाधिकारी कार्यालय तक पदयात्रा आयोजित की गई है। इस आंदोलन का नेतृत्व सांसद प्रतिभा धानोरकर कर रही है। यह पदयात्रा डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर स्मारक से शुरू होकर जिलाधिकारी कार्यालय तक पहुंच रही है। इस दौरान ग्रामीण क्षेत्र के नागरिकों को आंदोलन में भाग लेने का आह्वान किया जा रहा है।
EVM पर उठ रहे सवाल:
हाल ही में संपन्न हुई महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उसके सहयोगी दलों ने अप्रत्याशित बहुमत हासिल किया। भाजपा और मित्र दलों ने 288 में से 235 सीटों पर जीत दर्ज की, जो कई लोगों को अविश्वसनीय लगा। देश और राज्य में ऐसा मानने वाले लोग बढ़ रहे हैं कि EVM (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) दरअसल “इलेक्ट्रॉनिक विक्ट्री मशीन” बन गई है।
चुनाव में पारदर्शिता और विश्वसनीयता की मांग जोर पकड़ रही है। जनता का यह विश्वास होना अनिवार्य है कि उनका वोट उसी प्रत्याशी को गया जिसे उन्होंने चुना। EVM के प्रति संशय को देखते हुए लोग बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग कर रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण पर सवाल:
दुनिया के 195 देशों में से केवल 5-10 ही EVM का उपयोग करते हैं। अमेरिका, जर्मनी और ब्रिटेन जैसे विकसित देश भी बैलेट पेपर का इस्तेमाल करते हैं। कई देशों ने EVM को असुरक्षित मानते हुए इसके उपयोग को बंद कर दिया है। यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट के वकील, वैज्ञानिक एलन मस्क समेत अन्य विशेषज्ञ भी EVM पर सवाल खड़े कर चुके हैं।
जनता और नेताओं की प्रतिक्रिया:
जनता का कहना है कि अगर EVM पूरी तरह पारदर्शी है, तो चुनाव आयोग और सरकार बैलेट पेपर से चुनाव कराने में असमर्थ क्यों है। ग्रामीण इलाकों में भी EVM के खिलाफ विरोध बढ़ रहा है। मारकडवाड़ी में जब ग्रामवासियों ने अपने खर्च पर बैलेट पेपर से चुनाव कराने की कोशिश की, तो पुलिस ने हस्तक्षेप कर उन्हें रोक दिया और उनके खिलाफ केस दर्ज कर दिया।
क्यों बैलेट पेपर की मांग?
संदेश साफ है: बैलेट पेपर से चुनाव कराने से पारदर्शिता बढ़ेगी और जनता का चुनाव प्रणाली में विश्वास बहाल होगा।