“नगरपरिषद की निष्क्रियता पर फूटा महिलाओं का गुस्सा, गांधी चौक से नगरपरिषद तक नारेबाज़ी, बारिश में भी नहीं रुका विरोध”
बारिश की परवाह किए बिना घुग्घूस की सैकड़ों आक्रोशित महिलाओं ने गुरुवार को नगरपरिषद की निष्क्रियता और भ्रष्ट कार्यप्रणाली के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। यह ऐतिहासिक प्रदर्शन कांग्रेस महिला मोर्चा के नेतृत्व में हुआ, जिसमें “गली-गली में शोर है, नगरपरिषद चोर है” और “नगरपरिषद मुर्दाबाद” जैसे नारे गूंजते रहे।
नेतृत्व और मार्गदर्शन
इस तीव्र विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व महिला शहर अध्यक्ष संगीता बोबडे, जिल्हा उपाध्यक्ष यास्मिन सैय्यद, जिल्हा महासचिव पद्मा त्रिवेणी, दुर्गा पाटील, पुष्पा नक्षीने सहित कई महिला पदाधिकारियों ने किया। राजनीतिक मार्गदर्शन कांग्रेस की लोकप्रिय सांसद प्रतिभा धानोरकर, पूर्व पालकमंत्री विजय वड्डेटीवार, जिलाध्यक्ष सुभाष धोटे, शहर अध्यक्ष राजुरेड्डी ने दिया।
बारिश में भी संघर्ष
दोपहर करीब 1:30 बजे गांधी चौक से शुरू हुआ यह मार्च दो घंटे तक भारी बारिश में भी नहीं रुका। नगरपरिषद कार्यालय का घेराव करते हुए महिलाओं ने तीखे नारे लगाए।
मुख्याधिकारी गैरहाज़िर, महिला कर्मचारियों के अभद्र व्यवहार से भड़की भीड़
नगरपरिषद के मुख्याधिकारी निलेश रांजनकर की गैरमौजूदगी ने प्रदर्शनकारियों के आक्रोश को और भड़का दिया। वहीं एक महिला कर्मचारी द्वारा कथित अभद्र भाषा के प्रयोग ने स्थिति को तनावपूर्ण बना दिया। हालात की नजाकत को देखते हुए पुलिस उप-निरीक्षक सचिन तायवाडे और उनकी टीम ने स्थिति को नियंत्रण में लिया।
15 दिन का अल्टीमेटम, नहीं तो उग्र आंदोलन की चेतावनी
बाद में बुलाए गए मुख्याधिकारी रांजनकर को महिलाओं के तीखे सवालों और समस्याओं का सामना करना पड़ा। उपस्थित नागरिकों ने साफ शब्दों में नगर की बदहाल स्थिति की शिकायत की। अंततः मुख्याधिकारी ने 15 दिनों में समस्याएं सुलझाने का आश्वासन दिया, जिसके बाद आंदोलन को फिलहाल वापस लिया गया। लेकिन महिलाओं ने स्पष्ट चेतावनी दी — यदि वादे पूरे न हुए तो अगला आंदोलन इससे कहीं अधिक व्यापक होगा।
प्रमुख उपस्थिति
इस आंदोलन में निम्नलिखित प्रमुख महिलाओं और सामाजिक नेताओं की उल्लेखनीय उपस्थिति रही:
संध्या मंडल, मंगला बुरांडे, शिल्पा गोहील, राबिया शेख, वंदना क्षीरसागर, वर्षा पाटील, सुनीता श्रीवास्कर, मिरा पुसाटे, प्रतिभा वासेकर, अश्विनी धुर्वे, और किताबून शेख सहित 50 से अधिक महिलाएं तथा दर्जनों स्थानीय नेता।
पुरुष नेताओं में लक्ष्मण सदलावार, सैय्यद अनवर, शामराव बोबडे, अलीम शेख, रोशन दंतलवार, सुरज कन्नूर, शेखर तंगडपल्ली, शहेजाद शेख, सुरज मिश्रा समेत अनेक प्रमुख रूप से शामिल हुए।
यह आंदोलन केवल एक नगरपरिषद के भ्रष्टाचार या सुस्ती का मुद्दा नहीं, बल्कि महिलाओं की राजनीतिक चेतना के उभार का संकेत है। महिला कांग्रेस की यह सशक्त मौजूदगी आगामी स्थानीय निकाय चुनावों में एक निर्णायक भूमिका निभा सकती है। साथ ही, यह स्पष्ट करता है कि अब शहरी समस्याओं को नज़रअंदाज़ करना राजनीतिक दलों को भारी पड़ सकता है।
